आप मतलब आप से नइखे (बतकुच्चन १३७)
अपना आँख के फूला ना लउके बाकिर दोसरा का आँखि के माढ़ा जरूर लउक जाला. कहे के मतलब कि आदमी आपन गलती, आपन कमी ना देखे आ दोसरा के दोस…
मनुज बली नहीं होत है, समय होत बलवान (बतकुच्चन १३६)
मनुज बली नहीं होत है, समय होत बलवान. बाकिर आदमी समय के बान्ह पावे भा ना ओकरा के मापे के कोशिश हमेशा करेला. अब त घंटा मिनट सेकेंड चलत बा…
डगर प डगरल (बतकुच्चन १३५)
घर आ डेरा, चलल आ डगरल. घर डेरा ना होखे आ डेरा घर ना कहाव. ओही तरह चलल कुछ अउर बात ह डगरल कुछ अउर. हालांकि घरो में आदमी रहेला…
बिलाई भागे सिकहर टूटल (बतकुच्चन १३४)
सुतार बइठला के बात ह. बइठ जाव त सब काम देखते देखत पूरा हो जाव आ ना बइठे त बरीसन ले इंतजार करत रह जाईं. सुतार आ सुजोग. बढ़िया तार…
कहां उड़ि गईल सोन चिरैया
– जयंती पांडेय बाबा लस्टमानंद अपना पोती शुभी के सवाल से बड़ा हरान रहेले. अब काल्हुए के बात ह, हठात आ के पूछलसि, “बाबा अपना देश के सोना के चिरई…