कहि देहब ए राजा राति वाली बतिया : बाति के बतंगड़ – 19
– ओ. पी. सिंह महफिल अपना शबाब पर रहुवे. नाच मण्डली के मलकिनी साज वालन का पीछे बइठल नचनियन के जोश बढ़ावत रहली. मसनद के सहारा लिहले बाबू साहब नाच…
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– ओ. पी. सिंह महफिल अपना शबाब पर रहुवे. नाच मण्डली के मलकिनी साज वालन का पीछे बइठल नचनियन के जोश बढ़ावत रहली. मसनद के सहारा लिहले बाबू साहब नाच…
– ओ. पी. सिंह अब बतंगड़ ले के आगा बढ़ीं ओह से पहिले जरुरी लागत बा कि कुछ बतकुच्चन करत चलीं। काहे कि हो सकेला कुछ लोग कुमरपत आ सोर…
– हीरा लाल ‘हीरा’ जड़वा लपकि के धरेला गरदनवाँ देंहियाँ के सुई अस छेदेला पवनवा ! नस -नस लोहुवा जमावे सितलहरी सुन्न होला हाथ गोड़, ओढ़नो का भितरी थर- थर…
(भोजपुरी गीत) – डा. अशोक द्विवेदी भीरि पड़ी केतनो, न कबों सिहरइहें.. रोज-रोज काका टहल ओरियइहें! भोरहीं से संझा ले, हाड़ गली बहरी जरसी छेदहिया लड़ेले सितलहरी लागे जमराजो से,…
(भोजपुरी ग़जल) – सुधीर श्रीवास्तव “नीरज” जहां मे लौटि आइल जा रहल बा बचल करजा चुकावल जा रहल बा। हवस दौलत के कइसन ई समाइल सगे रिश्ता मेटावल जा रहल…
– डा० अमरेन्द्र मिश्र शेखर के गांजा के इ पहिलका दम रहे। अवरू सब साथी गांजा के दम पचावे आ जोम से मुँह आ नाक से धुँआ निकाले में माहिर…
– ओ. पी. सिंह नोटबन्दी के मार से आम जनता के भइल परेशानियन से कुछ नेता बहुते परेशान बाड़ें. उनकर कहना बा कि जौ का साथे घुनो पिसाता आ सरकार…
– ओ. पी. सिंह एह घरी के चरचन आ बकतूतन के अलगे अन्दाज हो चलल बा. सभे एही अन्दाज में पूछत बा कि – हम सही कि तू गलत ?…
– ओ. पी. सिंह मोदी जी नोटबन्दी के एलान का कइलें, जनता के शुभचिन्तक होखे के स्वांग करत नेतवन के लाइन लाग गइल. दीदीया आ बहिना के त बाते छोड़ीं…
– ओ. पी. सिंह मंगल का दिने मोदीजी फेरू एगो सर्जिकल स्ट्राइक मार दिहलें आ अबकी के हमला सीधे देश का हर घर, हर परिवार पर हो गइल. अबकी केहु…
(भोजपुरी ग़ज़ल) – शैलेंद्र असीम तहरी अँखिया में पानी बुझाते न बा पीर केतना सहीं हम, सहाते न बा रोज चूवेले टुटही पलानी नियन ई जिनिगिया के मड़ई छवाते न…