Month: दिसम्बर 2016

कहि देहब ए राजा राति वाली बतिया : बाति के बतंगड़ – 19

– ओ. पी. सिंह महफिल अपना शबाब पर रहुवे. नाच मण्डली के मलकिनी साज वालन का पीछे बइठल नचनियन के जोश बढ़ावत रहली. मसनद के सहारा लिहले बाबू साहब नाच…

कुमरपत – देश के समस्या के सोर : बाति के बतंगड़ – 18

– ओ. पी. सिंह अब बतंगड़ ले के आगा बढ़ीं ओह से पहिले जरुरी लागत बा कि कुछ बतकुच्चन करत चलीं। काहे कि हो सकेला कुछ लोग कुमरपत आ सोर…

गइले सुरुज, हाय छोड़ि मैदनवाँ

– हीरा लाल ‘हीरा’ जड़वा लपकि के धरेला गरदनवाँ देंहियाँ के सुई अस छेदेला पवनवा ! नस -नस लोहुवा जमावे सितलहरी सुन्न होला हाथ गोड़, ओढ़नो का भितरी थर- थर…

रोज-रोज काका टहल ओरियइहें !

(भोजपुरी गीत) – डा. अशोक द्विवेदी भीरि पड़ी केतनो, न कबों सिहरइहें.. रोज-रोज काका टहल ओरियइहें! भोरहीं से संझा ले, हाड़ गली बहरी जरसी छेदहिया लड़ेले सितलहरी लागे जमराजो से,…

गलत बेख़ौफ़ घूमे घर नगर में

(भोजपुरी ग़जल) – सुधीर श्रीवास्तव “नीरज” जहां मे लौटि आइल जा रहल बा बचल करजा चुकावल जा रहल बा। हवस दौलत के कइसन ई समाइल सगे रिश्ता मेटावल जा रहल…

घुन का फिकिरे दीयकन के दुबराइल : बाति के बतंगड़ – 17

– ओ. पी. सिंह नोटबन्दी के मार से आम जनता के भइल परेशानियन से कुछ नेता बहुते परेशान बाड़ें. उनकर कहना बा कि जौ का साथे घुनो पिसाता आ सरकार…

बकसऽ ऐ बिलार, मुरुगा बाँड़ हो के रहीहें : बाति के बतंगड़ – 15

– ओ. पी. सिंह मोदी जी नोटबन्दी के एलान का कइलें, जनता के शुभचिन्तक होखे के स्वांग करत नेतवन के लाइन लाग गइल. दीदीया आ बहिना के त बाते छोड़ीं…

बाँड़ का जनिहें चोरउका के पीड़ा : बाति के बतंगड़ – 14

– ओ. पी. सिंह मंगल का दिने मोदीजी फेरू एगो सर्जिकल स्ट्राइक मार दिहलें आ अबकी के हमला सीधे देश का हर घर, हर परिवार पर हो गइल. अबकी केहु…

राहि केतनो चलीं हम, ओराते न बा

(भोजपुरी ग़ज़ल) – शैलेंद्र असीम तहरी अँखिया में पानी बुझाते न बा पीर केतना सहीं हम, सहाते न बा रोज चूवेले टुटही पलानी नियन ई जिनिगिया के मड़ई छवाते न…