कबीर : लोकज भाषा के सिद्ध सन्त
डॉ अशोक द्विवेदी ‘कबीर कूता राम का/मुतिया मेरा नाउँ। गले राम की जेंवड़ी/जित खैंचे, तित जाउँ।।’ कबीर उत्तर भारत के अइसन फक्कड़ मौला सन्त रहलन, जे अपना सहज लोकचर्या आ…
अथ कटहर पुराण
गंगा प्रसाद ‘अरुण’ जा हो निझाइल जवानी! एह भरल बसंत के भोरहरिया में इयादो आवे के रहले त रामेटहल काका आ कपार पर चकरघिन्नी खात उनकर कहटर पुरान! असल में…