छठ गीत, काँच ही बाँस के बहँगिया,
काँच ही बाँस के बहँगिया, बहँगी लचकति जाय. बहँगी लचकति जाय. बात जे पुछेलें बटोहिया बहँगी केकरा के जाय ? बहँगी केकरा के जाय ? तू त आन्हर हउवे रे…
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काँच ही बाँस के बहँगिया, बहँगी लचकति जाय. बहँगी लचकति जाय. बात जे पुछेलें बटोहिया बहँगी केकरा के जाय ? बहँगी केकरा के जाय ? तू त आन्हर हउवे रे…
पटना के घाट पर देबेलू अरघिया हो, केकरा लागी ? पटना के घाट पर देबेलू अरघिया हो, केकरा लागी ? ए करेलू छठ बरतिया हो केकरा लागी ? ए करेलू…
– ओ.पी. अमृतांशु मोर भईया बसेलें महंगा मनेर, ले ले अइह हो भईया कुलिया-चुकियावा ! हमरा हीं देशे बहिनी कुलिया महंग भइले, छोड़ देहूं ए बहिनी कुलिया-चुकियावा ! नाहिं छोडबो…
– ओ.पी. अमृतांशु नीमिया भइली कचनार, महारानी रउरी अँगना में ! लहसेला दावाना-मडुयावा, फुलाइल बेला फुलवा नू हो, ए मईया, गमकेला ओढ़ऊल हार महारानी रउरी अँगना में ! चम-चम चमकेला…
– आर्य सम्पूर्णानन्द शारदीय नवरात्र शुरु होखते जगहे-जगह रामलीला के मंचन शुरु हो जाले अउर दशमी के रावण के मार के दशहरा खूवे धूम धाम से मनावल जाला बाकिर आईं…
– रामरक्षा मिश्र विमल तहरा दरश के जुटी कब सुजनिया, देवी हो मइया ना बानी तहरे शरनिया, देवी हो मइया ना. लछिमी के रूप बरिसावेला धनवा दुखियो के खूब अगरावेला…
(24 अगस्त 2010 के पड़े वाला राखी के त्यौहार का अवसर पर) – रामरक्षा मिश्र विमल अइसे त हर अनुष्ठान में रक्षा सूत जजमान बन्हवावेले अपना पुरोहित से बाकिर सावन…