
सपना के फेंड़
– ऋचा चलऽ, फेरु सपनन के फेंड़ लगाईं जा ! मउरल-दनात अमराई से अलगा सड़की का गुलमुहरन का नीचे लुकवा दीं जा कूल्हि पुरान योजना […]
– ऋचा चलऽ, फेरु सपनन के फेंड़ लगाईं जा ! मउरल-दनात अमराई से अलगा सड़की का गुलमुहरन का नीचे लुकवा दीं जा कूल्हि पुरान योजना […]
– आनन्द संधिदूत जब आँगन का बीच में डँड़वार आ खेत का बीच में सड़क निकललि त खेत क बगड़ी आँगन का गउरइया किहें आके […]
– डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल दहेज के बाइ-बाइ बिहार के एगो समाचार काफी चर्चित भइल. अब बिहार में सरकारी नौकरी खातिर चुनल गइल जुवकन के […]
– डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल बाबूजी के याद कइल अंधविश्वास हटे ? ओइसे त हर साल पितृपक्ष पर अपना तथाकथित विद्वान मित्र लोगन के टिप्पणी […]
– डॉ अशोक द्विवेदी लोक के संस्कृति, लोक-हृदय के भीतर निरन्तर बहत रहे वाली आत्मीय अन्तर्धारा हऽ। जीवन में तमाम आधुनिक बदलाव का बादो ई […]
– डॉ. हरेश्वर राय हमार सान ह हमार पहचान ह भोजपुरी, हमार मतारी ह हमार जान ह भोजपुरी। इहे ह खेत, इहे खरिहान ह इहे […]
– तारकेश्वर राय जोगीरा सा रा रा रा … राब गुर त भेटाते नइखे, महंग भइल चाउर ।। बी.पी.एल. के कारड लेके, झनकऽ का करबऽ […]
– तारकेश्वर राय देख ए बाबू, सुनऽ ए भाई देशवा हमार जरऽता । कहीं बस, कहीं कार, केहू खुनसे में बरऽता ।। सद्बुद्धि छोड़ छाड़ […]
– तारकेश्वर राय पुरनकी पतईया, फेड़वा गिरावे । जइसे गिरहथ, कवनो खेतवा निरावे ।। नइकी पतइया बदे, जगहा बनावे । जाए के बा एक दिन, […]
गीतकार- लाल बिहारी लाल स्त्री स्वर- सांवरिया आ जइतऽ एक बार अंखियाँ कब से राह निहारे, नैना तरसे हमार सांवरिया आ जइतऽ एक बार…. पानी […]
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