लोक कवि अब गाते नहीं
(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) उपन्यास का बारे में “लोक कवि अब गाते नहीं” सिर्फ भोजपुरी भाषा, ओकरा गायकी, आ भोजपुरी समाज के गिरावट…
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(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) उपन्यास का बारे में “लोक कवि अब गाते नहीं” सिर्फ भोजपुरी भाषा, ओकरा गायकी, आ भोजपुरी समाज के गिरावट…
– डॉ. गोरख मस्ताना सहर भइल सुरसा निगल रहल गाँव के चिमनी चबाये लागल निमिया के छाँव के नगर नगर नेहिया के दियरी टेमाइल नफ़रत के रोग गाँव गाँव में…
१६ जनवरी के सिवान के पत्रकार भवन में भोजपुरी अकादमी के प्रादेशिक भोजपुरी कवि सम्मलेन के शानदार आयोजन भइल. ” भोजपुरी में हर तरह के अभिव्यक्ति के क्षमता बा. एकर…
भोजपुरी जनमानस के वेदना उभारत एगो उपन्यास अँजोरिया भोजपुरी के बढ़न्ती आ विकास खातिर हमेशा से प्रतिबद्ध रहल बिया आ एह खातिर ओकर हमेशा से कोशिश रहल बा कि भोजपुरी…
– ओ.पी. अमृतांशु पर घर के आसरा कइली मतारी, आइल पतोहिया भारी रे. रोएली लोरवा ढारी मतारी, रोएली लोरवा ढारी रे. नव महीना दरदिया सहली ,बबुआ के जनमवली देवता-पितर पूजली,…
– डॉ. गोरख मस्ताना भोजपुरी भासा ला बा, अरपित उमिरिया पुरबिया हई…….. हम हई भोजपुरिया, पुरुबिया हई हमरी अंगनवा में गंगा जी के धार बा आरी आरी दुनु ओरिया तीरथ…
– प्रो. शत्रुघ्न कुमार जानत नइखी टपके लागेला कहवा से ई शब्दन के बूंद लेके हथवा में लेखनी सोचे लागिला जब जब, बन जाला सदा कगजवा पर अक्षर उहे बूंद…
– डॉ. कमल किशोर सिंह एक साल अउर सरक गइल, कुछ छाप आपन छोडि के. भण्डार भरि के कुछ लोगन के , बहुतन के कमर तोड़ि के. प्रकोप परलय के…
– भगवती प्रसाद द्विवेदी सोगहग लवटब हम तहरा लगे / तहरा में जइसे लवटेले स पखेरू डैना फड़फड़ावत चहचहात ठोर चुँगियावत अपना खोंता में जइसे लगहर गाय के थान से…
– ओ.पी. अमृतांशु तोर नैना, मोर नैना, मिलके भईले चार. चलऽ खेलल जाई, ओका-बोका नदिया किनार. नदिया के तीरे-तीरे, बहकि बेयरिया. संघे-संघे उड़ी गोरी, तोहरो चुनरिया. हियना के डाढ़े-पाते, झुमिहें…
पिछला दिने कोलकाता में केन्द्रीय सचिवालय हिंदी परिषद नयी दिल्ली के कोलकाता ईकाई का तरफ से हरेन्द्र कुमार जी के उनकर बहुचर्चित भोजपुरी उपन्यास “सुनीता सान्याल के डायरी” खातिर स्व॰…