उदय शंकर “प्रसाद” के कविता – बखारी, मजबूरी

(1) बखारी बास के चचरा गोल गोल मोडाईल ऊपर से खरई सरिया के बंधाईल माटी के लेप चचरा पे लेपाईल बखारी के रूप लेके खड़ियाइल फिर टीका लगल अगरबत्ती बाराईल…

उदय शंकर के दू गो कविता

(1) नून इक दिन बहुत हाहाकार मचल भात, दाल, तरकारी में। काहे भैया नून रूठल बा बइठक भइल थारी में। दाल-तरकारी गुहार लगईलक नून के बइठ गोरथारी में तरकारी कहलक…

सोचऽ आजादी पउलस के

रामजियावन दास बावला देश भयल आजाद मगर रण कै बरबादी पउलस के,सोचऽ आजादी पउलस के ? के के आपन खून बहावल,के आपन सर्वस्व लुटावल,केकर लड़िका बनै कलक्टर ई ओस्तादी पउलस…

भोजपुरी संगम के 144 वीं ‘बइठकी’

‘भोजपुरी संगम’ के 144 वीं ‘बइठकी’ भइल त रहे कुछ दिन पहिले आ समय पर खबर मिलियो गइल रहुवे. बाकिर हमार एंजियोप्लास्टी के ऑपरेशन का चलते देरी से प्रकाशित कर…

निर्गुण आ भजन – गोपाल दूबे

निर्गुण – देह दुनिया भरम ह बलवान करम गति,भीतरी के सांच भीतरीये पहचान ले,बुद्धि कुबुद्धि के फेरा में उलझि मत,नर सेवा ही सांचो नरायन जप मान ले. केतनो तू मंहगा…

अनिल ओझा ‘नीरद’ के दू गो गीत

अनिल ओझा ‘नीरद’ (एक) दोसर का बूझी इहवाँ, दोसरा के बेमारी?ऊ त बूझऽतारी चीलम, जेह पर चढ़ल बा अँगारी।। देशवा के देखऽ अपना, आजु इहे हाल बा।नेता लोग का करनी…

त हम का करीं

आचार्य अंबिका दत्त त्रिपाठी ‘व्यास’ हम जनम भर केहू के मनावत रहीं,केहू माने न माने त हम का करीं,आसरा में उमरिया बितावत रहीं,केहू जाने न जाने त हम का करीं.…

सतीश प्रसाद सिन्हा जी के निधन

भोजपुरी गीत नवगीत के बरियार हस्ताक्षर सुप्रसिद्ध साहित्यकार सतीश प्रसाद सिन्हा जी के निधन के खबर पा के मन बहुते दुखी हो गइल. सतीश प्रसाद सिन्हा जी के जनम 1…

‘कथ’ आ शिल्प के तनाव में अर्थ के ‘लय

डॉ. उमाकान्त वर्मा (अपना कवनो परिचित-अपरिचित, बोझिल स्थिति से उकेरल प्रभाव के मानसिक दबाव के महसूस करीले त हमार सृजन प्रक्रिया सुगबुगाले। ई दबाव कथ आ शिल्प दूनों में होला…

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