अपना मूल के जनला समझला के माने
गँवई लोक में पलल-बढ़ल अगर तनिको संवेदनशील होई आ हृदय -संबाद के मरम बूझे वाला होई, त अपना लोक के…
गँवई लोक में पलल-बढ़ल अगर तनिको संवेदनशील होई आ हृदय -संबाद के मरम बूझे वाला होई, त अपना लोक के…
– डा0 अशोक द्विवेदी कहल गइल बा कि मूरख उलटेला तबो मुरुखे रहेला बाकि साक्षर उलटि के राक्षस हो जाला,…
– डाॅ. अशोक द्विवेदी ‘लोक’ के बतिये निराली बा. आदर-निरादर, उपेक्षा-तिरस्कार के व्यक्त करे क टोन आ तरीका अलगा बा.…
– डाॅ. अशोक द्विवेदी अनेकता मे एकता क उद्घोष करे वाला हमन के महान देश इहाँ क रहनिहार हर नागरिक…
– डाॅ. अशोक द्विवेदी बहुत पहिले एक बेर क्रिकेट देखत खा, भारत के ‘माही’ मिस्टर धोनी का उड़त छक्का के…
– डाॅ. अशोक द्विवेदी चउधुरी साहेब के पम्पिंग सेट जब मर्जी होला तबे चलेला. दस लीटर डीजल दिहला पर, तीन…
बियफे, 6 अगस्त, जंतर मंतर, नई दिल्ली. धरना प्रदर्शन क पेटेन्ट जगह. ‘वन रैंक वन पेंशन’ पर जुटल जुझारू फौजी…