आन का कमाई पर, तेल-बुकवा

by | Oct 8, 2015 | 0 comments

– शिलिमुख

आम आदमी का नाँव प’ सत्ता पावे वाली पारटी के मुखिया, आम आदिमी क भला करसु भा ना करसु बाकि आम आदमी का टेक्स से कमाइल पइसा से आम मनई का संवेदना-सद्भाव क राजनीतिकरन त कइये देले बाड़न. शेखी बघारे आ आत्म प्रचार में त ऊ पहिलहीं से आगा रहल बाड़न. लोग कतनो चिचियाव, ऊ आपन जोतले रहिहन.

अपना वादा का मुताबिक बिजुली सस्ता त कर ना पवले, अब ओकरा प 100/- से लेके 500/- रुपया तक टैक्स लगा दिहले. वी.आइ.पी. तौर तरीका आ ठाट बाट से परहेज करे के बात अउर बा, अब ऊ अपना बिधायकन के चानी कटवावे पर उतारू बाड़न. एही से उनहन लोग क तनखाह एकठ्ठे 400 प्रतिशत करे क अनुमोदन कइले बाड़न. माने तनखाह एक लाख आ टी.ए., डी.ए. अलगा से. ईहे ना मँहगाई क खयाल राखत वाहन यानी गाड़ी घोड़ा क राशि 2 लाख से बढा के 12 लाख करे क फैसला कइलन.

लोभ-लालच, बाहबाही आ झुठिया समाजिक स्टेटस का चकरघिन्नी में पिसात एह महानगर दिल्ली में सुव्यवस्था आ सुशासन खोजे वाला समाज भकुवाइल बा कि जवन सत्यवादी हरिश्चन्द महराज सबसे अलगा, पारदर्शी राजनीति क दावा करत, भ्रष्टाचार मेटावे खातिर आइल रहलन, एघरी अपना दल आ अपना के चमकावे में लागल बाड़न; मय बिपक्षी पारटियन क मसीहा बने खातिर कबो थर्ड त कबो फोर्थ फ्रन्ट बनावे में बाझल बाड़न. अकेल का का करसु, आम आदमी ठहरलन, कबो चान कबो सूरुज पर टोन कसेलन, कबो समाजिक सौहारद का नाँव पर, हिन्दू मुसलमाँ, गाय -सूअर क दोहाई देत, अपना प्रचार खातिर सद्भावना बिज्ञापन देलन.

हाय-हाय रे मजबूरी, जीउ मानत नइखे, देश क सबसे बड़का नेता जे बने क सूर सवार बा. घर सम्हारस कि देश; बुझाते नइखे. लोभ-लालच, सबसिडी, पानी -बिजली फ्री बाँटे क जवाल अलगा चउँड़ धइले बा; दिमाग में रहि रहि ईहे खेयाल आवऽता कि जब जनते के पथभ्रष्ट कइल जा सकेला त का फालतू में समाजिक आ राष्ट्रीय “विजन” क बात सोचल जाव ? त रुपयवा फेंड़ पर फरे खातिर नया सोचान सोचे के परल. कहलन कि अब शराब रात भर बिकाये क छूट मिले के चाहीं आ पिये वालन क उमिर घटाइ के 21 बरिस कइ देबे के चाही. बस ई आम नाँव के आदमी “झूम शराबी झूम, रात दिन खूब नशे में झूम.” गावे लागी; “थोड़ी सी और पिला दे साकी” कहला क झंझटे खतम, फेर त एह ससुरन के रोटी दाल, पढ़ाई लिखाई, आ रोजी रोजिगार क चिन्तवे ना रही. मस्त आ पस्त परल रहिहें स.

बे नशा के ई सब संभव नइखे, कबीर बाबा झुठहीं थोरे कहले रहले “मन मस्त हुआ तब कयूँ बोले ?” जब मन टंच रही, त खुदे लोग अपना के शहंशाह बूझे लागी, आ “चाह गई, चिन्ता गई, मनुआ बेपरवाह” हो जाई. बड़ा सोचावट का बाद त “मेक इन इन्डिया” के काट “मेक-इन्डिया” भेंटाइल. एही आइडिया से “मेक पार्टी” होई ढेर चिन्ता आ चिन्तन क जरूरते नइखे, इहाँ त कानून बेवस्था ठीक करे का चक्कर में दू-दू गो कनून-मंत्री खुदे कनून का फेरा मे गँवावे के पर गइल. जवन रुचेला, तवने पचेला ;उनहूँ खातिर ठीक रही आ एह आम अदिमियो खातिर ठीक रही.

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 10 गो भामाशाहन से कुल मिला के पाँच हजार छह सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)


18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया


(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(5)

5 अगस्त 2023
रामरक्षा मिश्र विमत जी
सहयोग राशि - पाँच सौ एक रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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