ई देश ह वीर जवानन के…

by | Aug 20, 2010 | 0 comments

Ashutosh Kumar Singh

– आशुतोष कुमार सिंह

हर साल आजादी मिलला के खुशी में हमनी के 15 अगस्त के राष्ट्रीय परब के रूप में मनावेनी जा. हमनी के एह 15 अगस्त से ठीक 22995 दिन पहिले अंग्रेजन के गुलामी से आजाद भइल रहनी जा. जवना बेरा हमनी के आजाद भइनी जा ओह बेरा हमनी के नइकी सरकार के सामने आम लोगन के रोटी, कपड़ा आ मकान के दीहल सबसे पहिलका लक्ष्य रहे. बाकिर ऊ लक्ष्य अबहीं तक पूरा नइखे हो पाइल !! जवन लोग आपन जान के बिना परवाह कइले विदेशी हुक्मरानन से हमनी के मुक्त करवलस, ऊ लोग ई सब देख के खून के लोर पीअत बा. ओही में से एगो बाड़न शंभू दत्त (शर्मा). इहां के आपन नाम के आगे से शर्मा एह से हटा देले बानी काहे कि एह से उहां के जातिगत अलगावद के गंध आवेला. शंभू जी से हमार मुलाकात दू साल पहिले 10 अक्टूबर के लाजपत भवन, नई दिल्ली में भइल रहे. गांधीयन सत्याग्रह ब्रीगेड के महासचिव श्री दत्त के उमिर 90 के ऊपर रहे अउर उहां के कामकाज करे के तरीका कवनो नवजवान के फेल क देवे वाला रहे. नियत समय से पांच मिनट पहिले हम उहां से मिले पहुंच गइल रहनी. हम उहां के अनुभव के पूरा-पूरा लाभ उठावे के प्रयास कइनी. पहिलका सवाल हमार संविधान के प्रासंगिता के ऊपर रहे, उहां के बिना कवनो लाग-लपटे के बिहार के लाल राजेन्द्र बाबू कि ऊ बात कोट कइनी जवना में राजेन्द्र बाबू कहले रहीं, हमनी के संविधान नीमन बा. बाकिर जब नीमन से नीमन चीज बेइमानन के हाथ में पड़ेला त ओकर मोल माटी के बराबर हो जाला. राजनीतिक लोगन के आचार-व्यवहार से शंभू जी बहुते दुखी रहन, उ कहलन कि, आज के राजनीतिज्ञ वोट खातिर जनता के शराबी आ बेइमान बना रहल बाड़न. उहां से हम पूछनी कि अगर आज गांधी जी जीयत रहतीं त उहां के इ सब देख के का करतीं? उहां के जवाब रहे, गांधी त ई कबो ना सोचले होइहें कि उनकर सपना के भारत के अइसन हाल हो जाई. उहां के रहतीं त उहां के ‘हार्ट अटैक’ हो जाइत. गांधी जी के बारे में आपन अनुभव बांटत उहां के कहनी कि, एक बार हम काका कालेलकर से गांधी के एक पैरा में परिभाषित करे के कहनी त, कालेलकर जी गांधी जी के चार शब्दन में परिभाषित करत कहनी कि, – सत्य, अहिंसा, संयम आ सेवा एह चार गो तत्व से मिलके गांधी के निर्माण होखेला. तब से ई चार गो शब्द हमरा जिनगी के जीवनमंत्र बन गइल.
बाकिर शंभू जी के देश के हालात के देख के ई विश्वास ना होखत रहे कि उनका ख्वाबन के ताबीर अतना भयानक होई. उनकर कहनाम रहे कि, जब नागरिक चुप बइठ जइहें अउर देश जुल्म बरदास्त करी त देश डूब जाई. हमनी जइसन नवजवानन के संदेश देत शंभू जी कहनी कि, हम आपन नया पीढ़ी से उहे बात कहे के चाहब जवन हमरा से हमार बुजुर्ग लोग कहले रहे-अगर भारते ना रही त के जीवीत रही, अगर भारत बचल रहल त रहहूं वाला रउए लोग बानीं.

शंभू जी जइसन कई लाख लोग अबहियों जीवित बा जे गुलामी के दंश के झेलले बा अउर अब आजाद भारत के बुरा हाल प लोर बहा रहल बा. एही आलोक में पिछला 9 अगस्त 2010 के दिल्ली में ‘‘एट होम समारोह’’ में बिहार से आइल पांच गो आजादी के मस्तानन – सिवान से सत्यनारायण साह आ राम लक्ष्मण सिंह, पूर्वी चम्पारण से आइल युगल सिंह आ अरवल से आइल राम एकवाल शर्मा आ श्री द्वारिक साव के राष्ट्रपति जी के ओर से सम्मानित कइल गइल. सम्मानित होखे वालन आजादी के एह दिवानन के दोसरा दिने दिल्ली स्थित बिहार निवास में स्थानीय आयुक्त आलोक वर्द्धन चतुर्वेदियो सम्मानित कइलन अउर आजादी से जुड़ल एह लोगन के कहानियन के बहुते संजीदगी से सुनलन.
एह समय प हमरा हिंदी के एगो गीत के कुछ पंक्ति इयाद आ रहल बा-

ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का
इस देश का यारों क्या कहना, ये देश है दुनिया का गहना
दिलबर के लिये दिलदार हैं हम, दुश्मन के लिये तलवार हैं हम
मैदां में अगर हम डट जाएं, मुश्किल है कि पीछे हट जाएं .

जवना बेरा ई गीत साहिर लुधियानवी जी लिखले होइहें, ओह बेरा का ऊ ई सोचले होइहें ई देश
वीरन के जगह प भ्रष्टन खातिर जानल जाई. आज खुद हमनी के आपन दुश्मन बन गइल बानी जा.
शंभू जी के शब्दन के आगे बढ़ावत हम आपन बात खतम करे के चाहत बानी- ऐ ! हमार नवजवान भाई लोग आपन जवानी के अइसहीं बरबाद मत होखे दी लोग, भ्रष्टतंत्र के खतम करे के दिशा में आगे आईं लोग अउर अपना बुजुर्गन के ख्वाबन के ताबीर के भयानक होखे से बचावे में आपन योगदान दीं लोग. अपना बुजुर्गन खातिर हमनी के ओर से इहे सबसे बड़ श्रद्धांजलि होई.

राउर
आशुतोष कुमार सिंह


(प्रस्तुत लेख बिहारी खबर साप्ताहिक समाचार पत्र में छप चुकल बा.)


संपर्क

bhojpuriamashal@gmail.com

‌+919891798609

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