(नवरात्र के नउवां दिन, अतवार, १३ अक्टूबर २०१३)
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि |
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी |
माई दुर्गा अपना नवाँ रूप में ” सिद्धिदात्री ” का नाम से जानल जाली.नवरात्र में नवाँ दिन माई के एही रूप के पूजा होला.इहाँका सभ प्रकार के सिद्धि के देबेवाली हईं.माई सिद्धिदात्री के चार गो भुजा बा आ इहाँके वाहन सिंह हऽ.इहाँका कमल के फूल पर भी आसीन होखींले.एही माई के कृपा से भगवान शिव के आधा शरीर देवी के भइल रहे आ एह कारण उहाँके नाँव अर्धनारीश्वर परल रहे..माई सिद्धिदात्री के उपासना कइला का बाद भक्तन आ साधकन के लौकिक आ पारलौकिक सभे प्रकार के कामना पूर्ण हो जाली सन.नवदुर्गा में अंतिम माई सिद्धिदात्री दुर्गाजी के जय हो.


(चित्र आ विवरण डा॰रामरक्षा मिश्र का सौजन्य से)

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