बीस बरीस पहिले अपना चरम पर चहुँपल राम जनमभूमि आन्दोलन का बारे में छद्म सम्प्रदाय निरपेक्षियन के कहना जीत गइल बा. सबले दुख के बात ई बा कि सगरी खुन आ बवाल से समझौता का रास्ते चल के बचल जा सकत रहे.

ई कहना बा डा॰ सुब्रह्मण्यम स्वामी के. डेली पायनियर में अपना स्तंभ में डा॰ स्वामी लिखले बाड़न कि ६ दिसम्बर १९९२ का दिने एगो ढाँचा, जवना के बाबरी मस्जिद कहात रहे, गिरा दिहल गइल रहे. आ देश का मानस पर ऊ घटना आजु ले पीड़ा देत बा काहें कि नवही हिन्दुस्तानियन के भारत के असल इतिहास नइखे पढावल बतावल गइल. एह चलते आजु ढेरे लोग ओह घटना के विंध्वंसकारी मानत बाड़ें. बाकिर असल में भइल का रहल? एगो मंदिर के भसा के ओह पर एगो दोसर ढाँचा खड़ा कइल गइल रहे आ उ असल विध्वंस रहल.

स्वामी आगे लिखले बाड़न कि ओह घटना से दू साल पहिले उनुकर भेंट विहिप आ भाजपा के लोग से एगो घर पर भइल रहे. नया बनल प्रधानमंत्री चंद्रशेखर तब उनुका के काम दिहले रहलें कि एह लोग से आपन आन्दोलन रोक देबे के कहल जाव. चन्द्रशेखर तब स्वामी से कहले रहलें कि विहिप के बता देस कि मुस्लिम नेता लोग से बात कर के ओहिजा से ऊ ढाँचा हटवा दीहें.

विहिप आ भाजपा के लोग तब एहला तइयार हो गइल रहे बाकि दुर्भाग्य से चन्द्रशेखर सरकार ढेर दिन ले ना चल पावल. डा॰ स्वामी लिखले बाड़न कि अगर ऊ सरकार एको साल अउर चल गइल रहीत त एह मसला के समाधान निकल आइल रहीत. बाकिर का बाबरी मस्जिद के ढाँचा गिरावे के कवनो कानूनी राह बाचल रहे? डा॰ स्वामी के मानना बा कि हिन्दूवन के एहला शर्मिंदगी उठवला के कवनो जरूरत नइखे कि मस्जिद के ढाँचा हटा दिहल लोग काहे कि एगो दोसरा मुकदमा में सुप्रीम कोर्ट राय जाहिर कर चुकल बा कि मुस्लिम मत में मस्जिद अनिवार्य ना होखे आ जनहित में कवनो मस्जिद के हटावल जा सकेला.

सउदी अरब, पाकिस्तान आ ब्रिटिश काल के भारतो में सड़क बनावे ला मस्जिदन के गिरावल गइल बा. मक्का के बिलाल मस्जिद, जहाँ पैगम्बर साहेब खुद नमाज पढ़त रहलें, के गिरावे में सउदी सरकार एको बेर ना सोचलसि. मस्जिद भा चर्च ओह माने में धार्मिक जगहा ना होले जइसन मंदिर होला. चर्च आ मस्जिद पूजा के जगहा होले.नमाज त कतहियों पढ़ल जा सकेला. अमेरिका में विहिप पुरान चर्च खरीद के ओकरा के मंदिर में बदलत रहेले आ कवनो ईसाई कबो एह ला विरोध ना जतवलें.

जबकि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का बाद भगवान भा देवता खुद रहेलें आ मंदिर हमेशा ला भगवान भा ओह देवी देवता के हो जाला. आ एही तर्क पर एक बेर इंगलैंड से भगवान नटराज के मूर्ति वापिस लिहल गइल रहे जवन थंजावुर मंदिर के रहल. आ एह काम में डा॰ स्वामी राजीव गाँधी का निहोरा पर लागल रहलें.

इहो साँच बा कि लोकतंत्र में केहू के ई हक ना होखे कि कानून अपना हाथ में लेव. बाकिर सरकार चाहे त कानूनी तरीका से अयोध्या, मथुरा, आ काशी के मंदिरन पर से, भा कहीं त देश के तीन सौ अइसन जगहन से, मस्जिदन के हटवा सकेले. डा॰ स्वामी आगे लिखले बाड़न कि ८०० साल के इस्लामी शासन आ २०० साल के ईसाई शासन का बादो हिंदू जिंदा रह गइले. आजुओ ८० फीसदी हिन्दुस्तानी हिंदू हउवें आ अपना पुरान सभ्यता के आजु ले पालन करत बाड़ें. एहसे हिंदूवन के चाहीं कि जवन सुधार जरूरी बा तवना के करवा लेसु आ नेता लोग से कह देसु कि हमार बात मानऽ ना त भाँड़ में जा!

हालांकि ई कहल आसान बा कइला ले. आजु देश में लोकतंत्र का नाम पर मैच फिक्सिंग के दौर चलत बा. जवना के एके मकसद बा हिंदूत्व समर्थकन के सत्ता से बाहर राखे के. एह बीमारी के इलाज कइल बहुते जरूरी बा. संसद में अइसनका लोगन के चिन्हल आ ओह लोग के पर्दाफाश कइल जरूरी बा जे लोग हिंदू विरोध के राह पर चलत बा.

अंत में डा॰ स्वामी लिखले बाड़न कि हिंदू एह काम में तबले सफल ना हो पइहें जबले ऊ महाभारत काल के अर्जुन वाला उहापोह से बाहर ना निकलिहें. युद्ध के मैदान में शत्रु पक्ष में आपन केहू ना होला.

पूरा लेख रउरा एहिजा पढ़ सकीलें – डेली पायनियर

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