अखिल भारतीय भोजपुरी लेखक संघ के विचार गोष्ठी आ निंदा प्रस्ताव

by | Mar 26, 2014 | 3 comments

BhojpuriLekhak

– ओमप्रकाश अमृतांशु

साहित्य समाज के आइना होखेला. साहित्य में समाज के दरद, प्रेम, वियोग के भाव समाहित रहेला. भोजपुरी कहानी कवनो भाषा से कम नइखे. प्रतिरोध के स्वर अत्यंत मुखर बा. भोजपुरी कहानी के विषय जमिन से जुड़ल आ स्पष्ट होखेला. आज के समसामयिक विषय चाहे कवनो प्रकार के होखे, भोजपुरी के कहानियन में लउकत बा.

इहे कुल्हि विचार सामने आइल जब पिछला दिनें, 23 मार्च के, अखिल भारतीय भोजपुरी लेखक संघ के ओर से खेलगांव दिल्ली में एगो विचार गोष्ठी के आयोजन भइल. विषय रहे समसामयिक समस्या आ भोजपुरी कहानी. एह गोष्ठी में दस गो चिंतक लोग अलग-अलग विषय पे प्रकाश डाले के प्रयास कइलस.

जामिया मिलिया विश्वविद्यालय, हिन्दी विभाग के राजेश कुमार मांझी आपन कहानी मजूर के कुछ अंश सुनवलन. गांव के समसामयिक विषय के चित्र सबके सोझा रखलन. कहलन कि विरोध के लहर जब ले ना जागी, तबले गरीबन के भाग्य ना जागी.

रंगकर्मी आ कहानीकार लवकांत सिंह समाज में व्याप्त दहेज के विषय उठवलन. कहलन कि दहेज आज समाज के हर वर्ग के लोगन के नोंच-नोंच के खा रहल बा.

हेलो भोजपुरी के संपादक राजकुमार अनुरागी पुरान आ जकड़ल परम्परा के तूड़े पे जोर दिहलन. पूछलन कि जवना परम्परा से समाज दुखित बा उ परम्परा काहे खातिर रही.

योगेश सिंह के अनुसार समय कवनो होखे साहित्य ओहि समाज के तत्व होखे.

रंगकर्मी संजय रितुराज भिखारी ठाकुर के गीत “गंगा जी के भरली अररिया” सुनाके कहलन समकालिन आ बीत चुकल समयो पे चर्चा होखे के चाहीं.

भोजपुरी रचनाकार आ चितंक संतोष पटेल भोजपुरी कहानी में अवरू संवेदना जोड़े के जरूरत बतवलन. कहलन कि नयका लेखक लोग नीमन लिखता. अपना लेखन मे धार देबे ला एह लोग के चाहीं कि पुरनिया लोगन के रचना पढ़े.

मुख्य वक्ता नवल किशोर ‘निशांत’ चर्चा कइलन कि साहित्यकार लूती होखेला, जेकरा में आग छिपल होखेला. आज के शोषित, दलित आ भ्रष्टाचार समाज के हर बिन्दू पे नजर रखे के चाहीं. मुद्दा रउरा अगल-बगल, आमने-सामने बिखराइल बा.

गोष्ठी के अध्यक्षता करत इग्नु के आ वरिष्ठ साहित्यकार शत्रुघ्न प्रसाद चिंता जतावत कहलन कि भोजपुरी के लोग भोजपुरी प्रतिभा के नकार देता. समकालिन साहित्य में सामाजिक चेतना, साहित्य लेखन के रूप समझे के पड़ी. अपना भितरी से भोजपुरी हीनता के भाव निकाले के पड़ी. कहलन कि भाषा के महत्व भाषा बोलहीवाला देबेला.

संगोष्ठी में पन्द्रहवीं लोक सभा के कार्यकाल में भोजपुरी के संवैधानिक मान्यता ना मिलल, एह बात प सभे मिल के चिंता आ दुख जाहिर कइल. गोष्ठी में अखिल भारतीय भोजपुरी लेखक संघ का तरफ से एह बारे में एगो निंदा प्रस्ताव पास कइल गइल. जेकरा पे सभे आपन-आपन हस्ताक्षर कइल आ भोजपुरी खातिर जोर-शोर से काम करे पे बल दीहल. राय इहे रहल कि भोजपुरी लिखेवाला के कमी नइखे, कमी बा त बस भोजपुरी अपनावे वाला के, भोजपुरी पढ़ेवाला के.

शायद एही से हमनी के भोजपुरी के आवाज संसद आ सरकार तक नइखे पहुंच पावत. अब समय आ गइल बा एक साथ मिल के भोजपुरी के दिया जरावे के. हम त बस अतने कहल चाहत बानी.

जय भारत! जय भोजपुरी !

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3 Comments

  1. raj kumar anuragi

    बहुत बढियां अमृतांशु जी , भोजपुरी साहित्य में भोजपुरी कहानी के अहम स्थान बा आ भोजपुरी कहानी कवनो दुसर भाषा से कम नईखे .

  2. kiran

    भोजपुरी के बात अलबेला।

  3. santosh patel

    आभार, अमृतांशु जी

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