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कब जगबS जा ? जब सब कुछ तहस-नहस हो जाई तब का ?

by | Jun 18, 2011 | 4 comments

Prabhakar Pandey

– प्रभाकर पाण्डेय “गोपालपुरिया”

आजु रमेसर काका के रिसि सातवाँ आसमान पर बा. सबेरहीं से उ झल्ला रहल बाने, चिल्ला रहल बाने. पूरा गाँव रमेसर काका के बड़ी इज्जत करेला. सबकी दिल में उनकरी प्रति सनमान बा. पर गाँव के लोग इ नइखे समझि पावत की भोला-भाला रमेसर काका के आजु का हो गइल बा.

रमेसर काका अपनी दुआरे पर खड़ा होके चिल्ला रहल बाने. धीरे-धीरे पूरा गाँव के लोग-लइका उहाँ एकट्ठा हो गइल बा. पर केहू के ई हिम्मत नइखे होत की रमेसर काका से उनकी चिल्लइले के कारन पूछो. अरे भाई रमेसर काका एतना गुस्सा में बोलत बाने कि ऊ का कहत बाने उहो समझ में नइखे आवत.

भीड़ की बीच से मुखिया काका धीरे-धीरे सरकत-सरकत रमेसर काका की लगे पहुँचि गइने. अरे ई का ? मुखिया काका के त देखते रमेसर काका उनसे लिपटी गइने अउर लगने भोंकार पारि के रोवे. मुखिया काका पेयार से रमेसर काका के पीठि ठपठपावे लगने अउर चुप करावे लगने.

धीरे-धीरे रमेसर काका के रोवाई सांत हो गइल अउर उ उहवें लोटा में धइल पानी से आँखि-मुँह धोवे लगने. आँखि-मुँह धोवले की बाद ऊ मुखिया काका से कहने, “भाई, अगर समय रहते धेयान ना दिआई त बहुते अनर्थ हो जाई. आखिर हमनीजान कब चेतबि जा?” रमेसर काका के एतना बाति सुनले की बाद मुखिया काका कहने, “अरे रमेसर! तूँ पहिले एकदम सांत हो जा अउर साफ-साफ बतावS की का कहल चाहतारS.”

रमेसर काका सांत होके कहल सुरु कइने, “भाई एक-दु रूपया के सवाल नइखे, अरबों-खरबों रुपया के सवाल बा अउर एतने ना सबसे बड़हन सवाल बा हम भारतीयन के, भारत माई के, भारत माई की सपूतन के जवन भारत माई खातिर अपना के नेवछावर क देहने।” अबहिन केहु कुछ अउर बोलो ओकरी पहिलहीं रमेसर काका फेनु कहल सुरु कइने, “आपन देस कबो गरीब ना रहल. एके सोने के चिरई कहल जाव. हम तोह लोगन के बता दीं की स्विस बैंक के डाइरेक्टर के ई कहनाम बा की उनकी बैंक में 280 लाख करोड़ की लगभग भारतीय रूपया जमा बा. अरे ई सब रूपया भस्टाचारी लोग जमा करवले बा. भस्टाचारिये ना ई लोग देस के गद्दार बा. अगर एतना रूपया अपनी देस में आ जाव त अपनी देस के 30 साल के बजट बिना टेक्स के बन जाई. अरे एतने ना अगर ए पइसा के बेरोजगारन खातिर खरच कइल जाव त लगभग 60 करोड़ रोजगार के अवसर बनावल जा सकेला.”

रमेसर काका के ई बाति सुनले की बाद फेकनी काकी भीड़िए में से धीरे से बोलली, “अरे बाप रे! अपनी देस के एतना पइसा बिदेसन में बा अउर अपनी देस के लोग खइले-खइले बिना मुअता, त केहू दवा की अभाव में मुअता. अरे एतने नाहीं, गरीबन के लइका ठीक से पढ़ाई नइखन कुल क पावत. चारू ओर बेरोजगारी अउर गरीबी आपन पैर पसारि ले ले बा.”

फेंकनी काकी के बाति खतम होते फेनु से रमेसर काका कहल सुरु कइने, “एतना सब होखलो की बादो हम भारतीय धेयान नइखीं जा देत. केहू के गरज नइखे की देस के भाड़ में गइले से बचाओ. अपनी देस की भस्टाचारी राजनेतन अउर नोकरसाहन के कड़ा जबाब देव. अरे हमनी जान आज भी इही भस्टाचारियन कुल के आपन अगुआ मानत बानी जा. हमनी जान की आँख के पट्टी कब खुली? अंगरेज हमनीजान पर 200 साल राज कइने कुल अउर लगभग 1 लाख करोड़ भारतीय पइसा लुटनेकुल पर बहुत कुछ बनइबो कइने कुल पर आजादी की बाद भारते में जनमल भस्टाचारी लोग 280 लाख करोड़ लूट लेले बाटे लोग अउर लूटले के काम अबहिन थमल नइखे, जारिए बा. तोह लोगन खुदे सोंच जा कि केतना भारतीय रूपया इ भस्टाचारी लोग ब्लाक क के रखले बा.”

एतना सुनते मुखिया काका त आग-बबूला हो गइने अउर गरजि के कहने, “अब कमर कसि लेहले के ताक बा. एगो लड़ाई आजादी खातिर भइल रहे अउर अब एगो लड़ाई भस्टाचारियन से होई. कवनो भी सरकार होखो अगर ऊ भस्टाचार पर लगाम नइखे लगावत अउर ए काला धन के वापस नइखे ले आवत त उहो सरकार भस्टाचारी बा अउर एइसन सरकार के भी उखाड़ि के फेंकि देहले के ताक बा. एतने ना…..”

मुखिया काका के बाति के बीचवे में काटत रमेसर काका फेरु सुरु हो गइने, “भाई! अगर हमनी जान अबहिन ना चेतनी जाँ त 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, सीडब्लूजी घोटाला, आदर्श हाउसिंग घोटाला…अउर ना जाने एइसने केतने घोटालन की तरे घोटालन के बाढ़ि आ जाई अउर माई भारती के रसातल में ले के चलि जाई. अब कमर कसि लेहले के ताक बा. ओही नेता के ओट दिआई जवन ईमानदार होखो अउर जनहित अउर देसहित में काम करो. अगर घरही के नेता बा अउर चोर बा, भस्टाचारी बा त ओके खिलाफत कइले के ताक बा. ओके छठी के दुध इयाद दिअवले के ताक बा.”

रउआँ का सोंचतानी ? का इहींगाँ देस के बरबाद होत देखत रहबि आकि रउओ कुछ करबि ? अरे रउआँ ए देस के एगो नागरिक हईं अउर सरकार रउएँ बनावेनी, ए बात के समझी अउर जातिवाद, भाई-भतीजावाद, छेत्रवाद से ऊपर उठि के सही के चुनाव करीं अउर एतने ना जहाँ भी गलत होखत देखीं ओकरी खिलाफ में खड़ा हो जाईं. अगर रउआँ ए बाति पर धेयान देइबि त हर घर फेरू खुसहाल हो जाई. केहू खइले बिना ना मुई अउर हर हाथन में काम रही, सबकी दिल में सबकी प्रति पेयार अउर सनमान रही अउर फेरु से हमनीजान गर्व से कहबि जा कि हमनीजान भारतीय हईं जा अउर हमनीजान के भारतीय होखले पर गर्व बा.

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4 Comments

  1. praksh

    280 lakh karod ke chintaa baa unkaa lekin bhojpuri ke jaun balaatkaar hotaa okraa chintaa naikhe Rameswar chacha ke ?

    It is high time that we people of bhojpuri start fighting for the respect of bhojpuri.

  2. amritanshuom

    प्रभाकर जी ठीक कहत बाडन रमेसर काका .हमनी के अबहियो से चेत जाय के चाहीं .लेकिन रमेसर काका पे कइसे विशवाश कइल जाव की उ ईमानदार बाडन .खैर राउर रचना बहुत नीक लागल .
    धन्यवाद!
    ओ.पी.अमृतांशु

  3. गणेश जी "बागी"

    प्रभाकर भईया, राउर लिखे के शैली बहुते बरियार बा, रमेसर काका के आवाज आज देश के आवाज बनला के जरुरत बा, बहुत नीमन सनेशा जात बा एह कहानी से, आम जन के लड़ाई बिना आम जन के लड़ले सुधियाये मान के नईखे , काहे से की सियासत से जुडल लोग ना चाहि की भ्रष्टाचार के मुद्दा देश के मुद्दा बनो, भईया पैसा वाला लोग ही नु सियासत में बा आ जेकरा लगे पइसा बा उहे नु स्विस बैंक में राखी, आ स्विस बैंक में एक नमर के पईसा केहू काहे राखी | सब गड्बल झाला वोइजे से बा |
    बहुत बहुत बधाई बा हेइसन बरियार कहानी लिखे खातिर |

    गणेश जी “बागी”

  4. Hemvant

    India Me
    गरीबी आपन पैर पसारि ले ले बा.I bat Ek dm shi Ba unce ji……….

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