– सतीश कुमार सिन्हा
तेजी से बदलत जमाना का बावजूद आजुओ धनतेरस के परम्परा कायम बा आ समाज के हर वर्ग के लोग महत्व वाला अनेके सामान खरीदे ला एह दिन के साल भर तिकवेला.
हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल कार्तिक अन्हरिया के तेरहवाँ दिने धन्वतरि त्रयोदशी मनावल जाले जवना के आम बोलचाल में लोग धनतेरस कहेला. असल में ई धन्वन्तरि जयंती के पर्व ह आ आयुर्वेद के जनक धन्वन्तरि के जनमदिन का रूप में मनावल जाला.
धनतेरस का दिने सोना.चांदी के आ बरतन खरीदे के परम्परा ह. एह दिने बरतन खरीदे के शुरुआत कब, कइसे आ काहे भइल एकर कवनो पकिया प्रमाण त नइखे बाकिर मानल जाला कि जनम का समय धन्वन्तरि के हाथ मे अमृत कलश रहुवे. एह अमृत कलश के मंगलो कलश कहल जाला आ मानल जाला कि देव शिल्पी भगवान विश्वर्कमा एकरा के बनवले रहले. एही चलते एह दिन बरतन खरीदल लोग शुभ मानेला.
नयकी पीढि आपन परम्परा बढ़िया से समुझ सके एह ला भारतीय संस्कृति के हर पर्व से जुडल कवनो ना कवनो लोक कथा जरूर बा. दीपावली से पहिले मनावल जाए वाला धनतेरसो से जुड़ल एगो लोककथा बा जवन अनेक युग से कहल सुनल जात बा.
पौराणिक कथा में धन्वन्तरि के जनम के बारे में बतावल गइल बा कि देवता आ असुर के समुद्र मंथन से धन्वन्तरि के जनम भइल रहे. ऊ अपना हाथ में अमृत कलश लिहले प्रकट भइल रहले. एही चलरे उनकर नाम पीयूषपाणि धन्वन्तरि धरा गइल. उनुका के विष्णु के अवतारो मानल जाला.
परम्परा के मुताबिक धनतेरस के साँझ यम के नाम के दीया घर का देहरी पर राखल जाला आ ओकर पूजा क के प्रार्थना कइल जाला कि ऊ घर मे मत आवे आ केहू के कष्ट जनि देव. देखल जाव त ई धार्मिक मान्यता मनुष्य के स्वास्थ्य आ लमहर उमिर के विचार से बनल बा.
यम के दीयो निकाले का बारे मे एगो कहानी बा. एक बेर राजा हिम अपना बेटा के कुंडली बनववले. एहमें पता चलल कि शादी के ठीक चउथे दिने सांप कटला से उनकर मौत हो जाई. हिम के पतोह के जब एह बात के पता चलल त ऊ तय कइलसि कि उ हर हाल मे अपना पति के यम के कोप से बचाई. शादी के चउथा दिने उ पति के कोठरी का बाहर घर के सगरी जेवर आ सोना.चांदी के सिक्का के ढेर बनाके ओकरा के पहाड़ के रूप दे दिहलि आ खुद रात भर बइठ के गाना गावे लागल आ कहानी सुनावे लागल जेहसे ओकरा नींद मत आवे.
रात में जब यम सांप के रूप मे उनका पति के डंसे आइल त आभूषण के पहाड़ पार ना कर सकल आ ओही ढेर पर बइठ के गाना सुने लागल. एही में सगरी रात बीत गइल आ अगिला भोरे साँप के लवटे के पड़ल आ ऊ अपना पति के जान बचा लिहलसि. कहल जाला कि तबहिए से लोग घर के सुख.समृद्धि खातिर धनतेरस का दिन अपना घर के बाहर यम के दीया निकालेला जेहसे यम उनका परिवार के कवनो नुकसान मत चहुँपावसु.
हमनी के भारतीय संस्कृति मे स्वास्थ्य के जगहा धन से ऊपर मानल गइल बा. कहले जाला कि पहिला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर के माया. एही से दीपावली मे सबसे पहिले धनतेरस के महत्व दिआला.
धनतेरस का दिने सोना चांदी के बरतन, सिक्का, गहना खरीदे के परंपरा रहल बा. सोना सौर्दय त बढ़इबे करेला मुश्किल घड़ी मे संचित धन के रूप मे कामो आवेला. कुछ लोग शगुन के रूप मे सोना भा चांदी के सिक्को खरीदेला.
बदलत दौर में लोग के पसंद आ जरूरतो बदलल बा. एहसे एह दिन बरतन आ गहना का अलावे वाहन, मोबाइल वगैरहो खरिदाए लागल बा. एह घरी त धनतेरस का दिन वाहन खरीदे के फैशन जस बन गइल बा, कुछ लोग एह दिन कम्प्यूटरो वगैरह खरीदेला.
रीति रिवाज से जुडल धनतेरस आजु आदमी के आर्थिक क्षमता के सूचक बन गइल बा. बड़का लोग एह दिन विलास के सामान खरीदेला त गरीब तबका के लोग जरूरत के सामान खरीद धनतेरस के पर्व मना लेला. बाकिर सब कुछ का बावजूद लोग एह पर्व के भुलाइल नइखे आ अपना कूवत मुताबिक एह दिने खरीदारी करेला.
सतीश कुमार सिन्हा पटना में पत्रकार हैं.
बड़ी नीमन बा इ जानकारी.