नेपाल में भइल भोजपुरी खंडकाव्य “रमबोला” के एकल पाठ

by | Jun 5, 2019 | 0 comments

नेपाल भोजपुरी समाज, वीरगंज के आयोजन में महान संत तुलसीदास जी के जीवन प्रसंग पर लिखल आपन मशहूर भोजपुरी खंडकाव्य “रमबोला” के एकल पाठ भोजपुरी आ हिंदी के पुरनिया साहित्यकार डॉ. हरीन्द्र हिमकर में कइनी.

नेपाल के भोजपुरी हृदयस्थली वीरगंज (नेपाल के प्रवेश द्वार) के वीरगंज पब्लिक कॉलेज में जब कवि के सस्वर स्वर गूँजल त सभा में उपस्थित सभे साहित्यनुरागियन के पोर-पोर में “रमबोला” भीने लागल. आरोह-अवरोह के क्रम श्रोतागण के बान्हे में पूरा पूरी सफल होत गइल.

“रमबोला” खण्डकाव्य साहित्यकार डॉ. हरीन्द्र हिमकर आजु से 41 बरीस पहिले यानी सन 1977 में लिखले रहनी. बाकिर एह खंडकाव्य के छंद से गुजरला का बाद लागेला कि आजुओ के स्थिति-परिस्थिति में ई केतना सान्दर्भिक बा.

“धरती के रग-रग भइल राग
अदिमि-अदिमि हो गइल नाग”

शुरू के ईहे पंक्ति समाज के गह-गह के खोल के छितरा देहले बा. ओहका बाद बा कि –

“राजा से रूस गइल रानी
होखे लागल खींचा-तानी.
राजा परजा के मेल गइल,
शासन कठपुतरी खेल भइल.”

पढ़ला-सुनला से लाग रहल बा कि कवि आजुए के ज्वलंत मुद्दा शासन-प्रशासन के गठजोर पर बात कर रहल बाड़ें.

कार्यक्रम में उपस्थित नेपाल के वरिष्ठ पत्रकार आ विश्लेषक चंद्रकिशोर कहनी जे – “रमबोला” खंडकाव्य भारत-नेपाल के सीमाँचल क्षेत्र में भोजपुरी के एगो उत्कृष्ट रचना के रूप में प्रतिष्ठित बा. वईसे “रमबोला” भारत के कइयन कॉलेजन में पढ़ावल जाला.

साहित्यकार हिमकर भारत- नेपाल के बॉर्डर , रक्सौल के निवासी बानी आ नेपालो में भोजपुरी-हिंदी साहित्य के समृद्ध करे में हुनकर खास योगदान बा.

नेपाल में पिछला 46 बरीस से भोजपुरी भाषा, साहित्य, संस्कृति आ समाज के क्षेत्र में काम करत आ रहल साहित्यिक संस्था ” नेपाल भोजपुरी समाज, वीरगंज” के सचिव रितु राज कहनी – हमनी ला हिमकर सर अभिभावक खनिया बानी. समय-समय पर हमनी का हिमकर सर से मार्गदर्शन मिलत रहेला।”

एकल पाठ कार्यक्रम के बेवस्थापन के जिम्मा सम्हार रहल समाजे के सह-सचिव अज़मत अली आ सदस्यन शिव संदेश, रंजीत यादव, अशोक कुशवाहा ‘धनरजऊ’, नेपाल में भोजपुरिया बेयार बहावे में आ भोजपुरिया साहित्य के माटी के जोगावे में तन-मन-धन से लागल बाड़ें लोग.

साहित्यकार हिमकर आपन युवा काल में लिखल साहित्यिक रचना “रमबोला” से साहित्य जगत में एगो प्रसिद्ध नाम के रूप में स्थापित हो गइल बानी.

खंडकाव्य के एक अंश में कवि लिखत बाड़ें –

“ऊ रामचंद्र के राज भुलाइल बा कहवाँ
का अबही ले ना भइल इहवाँ के धरम हानि
कब होइ ऊ अवतार भठाइ ऊँच-खाल
कब होइ सबका घर से अगहनुवा विहान”

पिछला 1 जून सनीचर के भइल एह कार्यक्रम में नेपाल भोजपुरी समाज दूगो नया प्रयोग कइलसि. पहिलका त ई कार्यक्रम में सपत्नीक उपस्थित होखे के रहे आ दोसर कि कार्यक्रम में प्रवेश खातिर शुल्क लगावल गइल रहे. ई दुनू प्रयोग आपन पहिल प्रयासे में सफल रहल.

कार्यक्रम के समीक्षा सत्र में नेपाल में भोजपुरी-हिंदी कविता लेखन में सक्रिय शिक्षिका-कवियित्री अनीता साह आ रक्सौल के कमलेश कुमार आपन-आपन समीक्षा प्रस्तुत कइलख लोग.
कार्यक्रम उद्घोषणा के सफलतापूर्वक निर्वहन पत्रकार रितेश त्रिपाठी जी कइलन. कार्यक्रम के डिज़ाइन करे के भूमिका में चंद्रकिशोर आ रितेश त्रिपाठी रहनी.
नेपाल भोजपुरी समाज के सचिव रितु राज के अध्यक्षता में भइल एकल पाठ कार्यक्रम में वीरगंज समाज के विभिन्न क्षेत्र के साहित्य प्रेमियन जोड़ीयन के उपस्थिति रहल.

(स्रोत – रितु राज, वीरगंज, नेपाल)

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