प्राणायाम : साँस के साधे के विज्ञान

– ममता सिंह

प्राण संस्कृत शब्द ह जवना के मतलब होला साँस लिहल. आ एही साँस लेबे के तरीका साधे के विज्ञान के प्राणायाम कहल जाला. प्राण = साँस आ आयाम = साधल भा नियन्त्रण. आयुर्वेद, जीवन के वेद, में प्राण के पाँच गो प्रकार बतावल गइल बा, प्राण (साँस आ धड़कन), आपान (शरीर से मल निकालल), उडान (शरीर में ध्वनि के रुप निकालल), समान (पाचन आ अपचयन), आ व्यान (एच्छिक मज्जा तंत्र).

साँस के साधले प्राणायम ह. हमनी हर आदमी के साँस लेबे के एगो तरीका होला जवन हमनी का बचपन से बनावत आवेनी आ जवन तरीका मूल लय से अलग होला. ओह लय से जवना का साथ हमनी जनम लिहिले. हमनी के अपना महसूसल जानकारी, अनुभव, आ दुनिया के पहिचाने के तरीका से एह साँस का लय पर असर पड़ेला आ हमनी का ऊ लय धर लिहिले जवन हमनी का हिसाब से सबले ठीक लागेला. एह चलते घबराइल आदमी जल्दी जल्दी साँस लेला, उदासल आदमी धीरे धीरे, हड़बड़िया आदमी कबो तेज कबो धीरे साँस लेला, वगैरह. अब चूंकि ई सीखल भा बनावटी तरीका ओह तरीका से फरक होला जवन हमनी के साँस लेबे के मूल भा प्राकृतिक तरीका के सामंजस्य, संतुलन आ सफाई से दूर होखेला, एह से हमनी का आगा चलि के तरह तरह के बीमारी का चपेटा में आ जाइले.

अब ओह मूल सामंजस्य आ संतुलन के वापस ले आवे वाला तरीका भा साँस के साधे के ज्ञान प्राणायम के खास तत्व होला, हालांकि एकरा अभ्यास का दौरान आदमी अपना शरीर के भितरी क्रिया आ भावनात्मक अंसतुलनो के ठीक करेला आ एह साथे कई गो असंगतिओ के दूर कर लेला जवन बीमारियन का रुप में सामने आवत रही सँ. एह बाति के वैज्ञानिको अध्ययन में सही पावल गइल बा.

प्राणायाम से हमनी का फुफ्फुस भा फेफड़ा में पर्याप्त मात्रा में प्राणवायु आक्सीजन चहुँपेला आ हमनी के VO2 max (प्राणवायु आक्सीजन के अधिकतम मात्रा जवन आदमी अपना सबसे बेसी मेहनत का दौरान इस्तेमाल कर सकेला ) बढ़ जाला. एह प्राणायाम से स्ट्रोक वाल्यूमो (हृदय के हर धड़कन में शरीर में भेजल जाये वाला खून के मात्रा ) बढ़े लागेला. प्राणायाम के नियमित अभ्यास से बहुत स्थायी आ गहरे असर करे वाला फायदा मिलेला. प्राणायाम के दर्जनो लोकप्रिय तरीका बाड़ी सँ जवन कुछ खास फायदा आ कुछ खास उद्देश्य से कइल जाले. प्राणायाम के कुछ तरीकन के नाम नीचे दिहल जा रहल बा

भास्तृका प्राणायाम
अनुलोम विलोम प्राणायाम
कपालभाति प्राणायाम
ब्रह्मरी प्राणायाम
उज्जयी प्राणायाम
शैताली प्राणायाम
नाड़ी शोधन प्राणायाम
दृग प्राणायाम
सुर्यभेद प्राणायाम
चन्द्रभेद प्राणायाम
त्रिबंध प्राणायाम
वगैरह.

प्राणायाम में मुद्रा आ आसन के सही इस्तेमाल कइल जरुरी होला. एहसे प्राणायाम हमेशा कवनो प्रशिक्षित आ प्रमाणित योग शिक्षक भा गुरु से सीखे के चाहीं. काहे कि गलत तरीका से प्राणायाम कइला पर शरीर के बहुत बड़ नुकसान हो सकेला बहुते खराब परिणाम आ सकेला.

प्राणायाम करे के सबले बढ़िया समय सबेरे भा सँझिया के होला आ प्राणायाम भरसक खाली पेट करे के चाहीं.


ममता सिंह के अबले तीन गो किताब अंगरेजी में प्रकाशित हो चुकल बा. Migraines For The Informed Woman (Rupa & Co. Publishers), Mentor Your Mind (Sterling Publishers. EDR: April 2011) आ Rev Up Your Life! (Hay House India. EDR: June 2011). अकरा अलावे ममता सिंह हॉलिस्टिक हेल्थ थेरापिस्ट के प्रमाणित डिप्लोमा होल्डर, अमेरिका में आईएफए प्रमाणित एरोबिक इन्स्ट्रक्टर आ स्पोर्ट्स न्यूट्रनिस्टो हई. ममता सिंह दुनिया भर में अनेकन वेबसाइटन पर स्वास्थ्य आ फिटनेस पर नियमित रुप से लिखत रहेली. अपना व्यस्त समय में से कुछ कुछ ऊ अँजोरियो खातिर लिखत रहे के आश्वासन दिहले बाड़ी. जल्दिये ममता सिंह के लिखल पोस्ट अँजोरिया पर प्रकाशित होखल करी.

ममता सिंह से संपर्क खातिर

Website www.mamtasingh.com

Follow Me on Twitter – @MamtaSingh_

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2 thoughts on “प्राणायाम : साँस के साधे के विज्ञान”
  1. ममता जी राउर अंजोरिया पे प्रकाशित ज्ञान से हमनी के खूब फायदा होखत बा .

    राउर बहुत -बहुत धन्यवाद !

    ओ.पी.अमृतांशु

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