बतकुच्चन – १००

by | Mar 8, 2013 | 0 comments


पिछला कुछ महीना से फाँसी का फैसला पर गृहमंत्रालय अतना फदफदा गइल बा कि ताबड़तोड़ फाँसी सकारे के सलाह दिहले जात बा. अब एह बात पर बहुते कुछ मन करे लागल कहे सुने के. बाकिर आजु के हालात अइसन हो गइल बा कि बतियावे के आजादी भले होखे बतावे के आजादी नइखे रहि गइल. ऊ करिहन त करसु रउरा बोलीं बताईं मत ना त पुलिस ध के ले जाई आईटी एक्ट में. कह सकीलें कि एह एक्ट से अखबार के का मतलब. त जान जाईं कि हर अखबार के आजुकाल्हु नेट संस्करण मौजूद बा आ उहो ओह एक्ट के जद में आ जाई. से चलीं बात बदलल जाउ.

रहल सवाल बतकुच्चन के त ओकरा खातिर लस्त पस्त, लथपथ, आ लदर फदर बा हमरा लगे. लस्त माने शिथिल, पस्त माने हिम्मत हारल. लथपथ माने लदर फदर. पानी पाँक से बोथाइल भा भींजल कपड़ा पहिरले. भोजपुरी के बहुते शब्द खोजे चलब त कवनो शब्दकोष में ना मिली. एक त भोजपुरी में बहुते शब्द कोष बाड़ी स ना आ जवन बड़लो बाड़ी सँ तवनो में सगरी शब्द नइखे मिले वाला. शब्द बनेला ध्वनि से. हर ध्वनि से शब्द ना बने बाकिर हर शब्द से ध्वनि निकलेला जरूर. भोजपुरी भा लोकभाषा के खासियत होला कि ध्वनि से शब्द बहुते बन जाली सँ. काहे कि ओहिजा व्याकरणाचार्य लोग मौजूद ना रहे आ व्याकरण के बंधन ना भेंटाव. से तीन कोस पर पानी बदले आठ कोस पर बानी.

अब फदफदइले के ले लीं. बासी कढ़ी में उबाल आवे लागे भा दूध गाढ़ हो के खउलत जाव त ओह में से फदफद के ध्वनि निकले लागेला. अब ओही ध्वनि से शब्द बना लिहल गइल फदफदाइल. ओही तरह फनफनाइल के हाल बा. खीसि जब नाक से तेज तेज साँस निकले लागे त फन फन करेला आ शब्द बन गइल फनफनाइल. रउरा इहो कह सकीलें कि जब आदमी नाग का तरह फन निकाल लेव त ओकरा के फनफनाइल कहल जा सकेला. एही तरह लदर फदर बनल. देहि पर भींजल बोथाइल कपड़ा होखे त चलत घरी फदर फदर जइसन आवाज होखे लागेला. कहे के मतलब इहे कि बहुते शब्दन के जनम एही तरह के ध्वनि से हो जाला. लस्त पस्त आ लथपथ सुने में भलही एक जस लागे आ बुझाव कि लस्त पस्ते से लथ पथ बनल होखी बाकिर मतलब अतना फरदवला बा दुनु के कि एह तरह के मानल गलत हो जाई. आदमी जब हार के शिथिल पड़ जाव त कहल जाला कि लस्त पस्त हो गइल बा. लस्त से बनल एगो शब्द जवन भोजपुरी में सुने के मिलेला तवन ह अलस्त. अलस्त पड़ल आदमी आ आलसी आदमी अलग अलग होला. आलसी अपना मरजी से शिथिल पड़ल, पटाइल, रहेला जबकि अलस्त आदमी अपना मजबूरी में, अपना पस्त होखला का चलते शिथिल पड़ जाला. आलसी का सोझा अइसन कवनो मजबूरी ना होखे. राजनीतिओ में कुछ गोल आलसियन के बा त कुछ अलस्तन के. राजनीति में लउके वाला हर बात होखे ना, आ हर होखे वाला बात लउके ना. मीडियो में सबकुछ साँचे ना रहे. एके बतिया के अलग अलग लोग अलग अलग तरह से समुझावे के कोशिश करी. केहू कही कि बरतन आधा भरल बा त केहू कही कि बरतन आधा खाली बा. ओही में जे खोजी पत्रकार बा से खोजे लागी कि बरतनवा अधियावल के भा एहमें आधे काहे भरल गइल? कहानी उहे बनी जवन एगो हाथी का बारे में सात गो आन्हर बतवले रहलें. एहसे सम्हरे के जिम्मेदारी राउर बा. अरधो कहे त सरबो बूझे, सरबो कहे त बरधो बूझे!

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सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
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पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 10 गो भामाशाहन से कुल मिला के पाँच हजार छह सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)


18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया


(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(5)

5 अगस्त 2023
रामरक्षा मिश्र विमत जी
सहयोग राशि - पाँच सौ एक रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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