बतकुच्चन ‍ – ८५

by | Nov 23, 2012 | 0 comments


सँवास, हहास, भड़ास, आ बतास. एह चारो में कवनो आपसी रिश्ता ना होखला का बावजूद आजु के बतकुच्चन एहनी पर करे के बा. बतास के मतलब बहत तेज हवा त होखबे करेला बाकिर ओहु ले खास मतलब होला हवा से पसरे वाला बेमारियन से. फलाना के बतास लाग गइल भा बतास धर लिहलसि. ई सब सुने के मिलत रहेला आ ओकर मतलब इहे होला कि हवा से पसरे वाला बेमारी. भड़ास का बारे में बस अतने कहब कि जब आदमी के खीस के भाड़ फूटेला त जवन उद्गार निकलेला ओकरे के भड़ास कहल जाला. हालांकि भड़ास खाली खीसे से ना उपजे, जरतवाहियो से उपजेला. अकसरहाँ आदमी अपना दुख से दुखी कम होलें अनका क सुख देखि के अधिका दुखी होलें. आजुकाल्हु अइले दिने केहू ना केहू टीवी पर, मीडिया का सोझा आपन आपन भड़ास निकालत रहत बा. ओह लोग के कहना बा कि आजु के नेतवन के हहास ध लिहले बा. एहनी ला घोटाला के कवनो सीमा नइखे. लड़िकाईं में गणित में पढ़ावल पहाड़ा अंगरेजी का फेर में भुला गइल आदमी. ना त दहाईं, सैकड़ा, हजार, दस हजार, लाख, दस लाख, करोड़, दस करोड़, अरब, दस अरब, खरब, दस खरब, नील, दस नील, पदम, दस पदम, शंख, दस संख, महाशंख आजु के घोटालाबाजन के कामे आ जाइत. अब त हर बात करोड़, हजार करोड़, लाख करोड़, करोड़ करोड़ पर अटकि जात बा. शायद मीडिया आम आदमी के विचार कर के नील पदम शंख महाशंख के बात नइखे करत. नेतवन के एह बेतहासा लालसा के हहास ह, नेतवन के इ हहास पता ना कतना पुस्त ला कमाए खातिर बा. बबुआ के बिआह ना भइल त गइल बंश पानी पिए. बाकिर अरबन खरबन के बिटोराव से पेट नइखे भरत. ओकरा सवाँस नइखे एह हहास से. सवाँस के मतलब जब साँस, श्वास, लेबहु के मौका ना मिले त कहल जाला कि सवाँस नइखे आ जब मिल जाला त कहाला कि अब जा के सवाँस मिलल बा. से नेतवन के तनिको सवाँस नइखे. बाढ़ होखे, सुखाड़ होखे, जमीन होखे पताल होखे, हर जगहा कमाई करे के टेव खोज निकालत बाड़न स. आ कहत बाड़ें कि सवाँस नइखे जनता के चिन्ता कइला से. सवाँस ला फुरसताह शब्दो के इस्तेमाल हो सकेला बाकिर फुरसताह आदमी ऊ होला जेकरा माथे ढेरहन जिम्मेदारी ना होखे आ जे फुरसत में रहेला. कहीं कि ओकरा लगे हमेशा सवाँसे सवाँस बा. अइसनके फुरसताह लोग दोसरा के हहास पर नजर गड़वले राखेलें. ऊ देखत बाड़न कि आजुकाल्हु चारो तरफ हहास के नजारा लउकत बा. नेता से लिहले अफसरान ले सबका हहास बन्हले बा कमाई, खास करि के करियाह कमाई, बिटोरे के आ एह चलते ओकरा सवाँस नइखे कि ऊ आपन जवाबदेही समुझ सको, जवना काम खातिर ओकरा के चुनल भा बहाल कइल गइल बा ओह काम के कर सको. अब रउरा भड़ास निकाल सकीलें कि एकनी के हहास के बतास धर दिहले बा आ सवाँस नइखे कि फुरसताह हो सक सँ. एही बीच दू गो राज्य के चुनाव आ गइल बा आ मामिला अउरी गरमा गइल बा. एक फरीक के दोष दाग सोझा अवते दोसरको फरीक के दाग दोष खोज निकालल जात बा. एह से एक बात त साफे झलके लागल बा कि काजल के कोठरी में केतहू सयानो जाय, एक लीक काजल की लागिहै पे लागिहै. एह काजल के कोठरी में सभका पर दाग लागल लउकत बा. बाचल बा उहे लोग जिनका अबही ले एह कोठरी में जाए के मौका ना मिलल भा कहीं कि अगर मौका मिलबो कइल त हिम्मत ना भइल.

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(3)


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(4)

18 जुलाई 2023
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(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(5)

5 अगस्त 2023
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