(बाँए से जनार्दन राय, अवधेश प्रधान, प्रकाश उदय, भगवती प्रसाद द्विवेदी, सदानन्द शाही आ अशोक द्विवेदी)
(बाँए से जनार्दन राय, अवधेश प्रधान, प्रकाश उदय, भगवती प्रसाद द्विवेदी, सदानन्द शाही आ अशोक द्विवेदी)

विश्व भोजपुरी सम्मेलन के बलिया इकाई अउर पाती सांस्कृतिक मंच के एगो बड़हन आयोजन पिछला अतवारा का दिने बलिया के टाउन हाल बापू भवन में भइल.

एह आयोजन के पहिला सत्र में पाती संपादक डा॰ अशोक द्विवेदी, प्रो॰ अवधेश प्रधान आ प्रो॰ सदानन्द शाही का हाथै एह साल के “पाती अक्षर सम्मान ” डा॰ प्रकाश उदय आ डा॰ भगवती प्रसाद द्विवेदी के दिहल गइल.

भोजपुरी दिशा बोध के पत्रिका ‘पाती’ के 75 वां अंक प्रकाशित भइला के संदर्भ में ‘पाती आ भोजपुरी कथा साहित्य’ विषय पर एगो परिचर्चा करावल गइल जवना में कुँवर सिंह विश्वविद्यालय के भोजपुरी विभागाध्यक्ष डा॰ नीरज सिंह, भीमराव अंबदेकर बिहार विश्वविद्यालय के भोजपुरी विभागाध्यक्ष डा॰ जयकान्त सिंह जय, डा॰ रघुवंश मणि पाठक, डा॰ भगवती प्रसाद द्विवेदी, डा॰ प्रकाश उदय, डा॰ कमलेश राय वगैरह भोजपुरी कथा साहित्य के नवका रचनाशील विविधता के उजागर करे के दिसाईं पाती पत्रिका के लगातार काम कइला के सराहना कइल गइल.

मुख्य अतिथि प्रो॰ सदानंद शाही आ अध्यक्ष प्रो॰ अवधेश प्रधान ‘पाती’ के प्रेम कथा विशेषांक के संदर्भ में विस्तार से चरचा करत कहनी कि २४ गो कहानीकारन के बहुरंगी कहानियन के एह बिटोर में भोजपुरी के सगरी विविधता अपना सांस्कृतिक चेतना का साथे सामने आइल बा. प्रेम के अनगिनत रूप के कहानीकार एह कहानियन में ओकरा खासियत का साथे चित्रित कइले बाड़े.

प्रो़ सदानंद शाही के कहना रहल कि भोजपुरी भलही आज आपन असर समाज के हर वर्ग पर जमवले जात बिया बाकिर एकरा के संवैधानिक मान्यता दिआवे खातिर एगो बड़हन आन्दोलन खड़ा कइला के जरूरत बा. एकरा के कानूनी रूप से सकार लिहल जाव एह खातिर जरूरी बा कि भोजपुरी में हर तरह के लेखन सामने आवे. दोसरो भासा से मजगर रचना के अनुवाद भोजपुरी में होखत रहे के चाहीं.

सम्मेलन के पहिला सत्र के अध्यकता करत प्रो॰ अवधेश प्रधान के कहना रहल कि भोजपुरी कविता आ कथा साहित्ये भर ना. बलुक भोजपुरी रचनाशीलता के समहर रूप में परोसे में पाती पत्रिका के महती योगदान रहल बा. जनपदीय भाषा साहित्य के एह नवजागरण के श्रेय ‘पाती’ पत्रिका के जाता.

दोसरका सत्र में पाती अक्षर सम्मान से डा॰ प्रकाश उदय आ डा॰ भगवती प्रसाद द्विवेदी के सम्मानित करत नारियल, शाल, प्रमाणपत्र आ स्मृति चिह्न दिहल गइल.

कार्यक्रम मेंं शैलेंद्र मिश्र आ ओमप्रकाश भोजपुरी गवनई परोसले जवना के सभे आनन्द लिहल. खास क के भोजपुरी राष्ट्रगीत बटोहिया के.

समारोह के आखिरी आ तिसरका सत्र में कुबेर नाथ मिश्र विचित्र के अध्यक्षता में कवि सम्मेलन के आयोजन भइल. एह में दयाशंकर तिवारी, भालचंद्र त्रिपाठी, कमलेश राय, भगवती प्रसाद द्विवेदी, शशि प्रेमदेव, प्रकाश उदय, कन्हैया पाण्डेय, शत्रुघ्न पाण्डेय, विजय मिश्र, शिवजी पाण्डेय रसराज, नवचन्द तिवारी, बी एल शर्मा मृदुल, विजय शंकर पाण्डेय, हीरालाल हीरा, शिवपूजन लाल विद्यार्थी, अशोक तिवारी, अशोक द्विवदी, त्रिभुवन प्रसाद सिंह प्रीतम, गिरिधर , जनार्दन राय ने काव्य पाठ किया। सम्मेलन में डा. नीरज सिंह, डा. जयकांत सिंह, डा. ब्रजभूषण डा. रघुवंशमणि पाठक आदि करुण, शुभचिन्तक कलंकी आपन आपन कविता सुना के तरह तरह के रस के सवाद सुनेवालन के चखवले.

सबेरे दस बजे से शुरू भइल कार्यक्रम साँझ छह बजे ले चलल आ सहज भाव से एकर बढिया संचालन कइलन कौशल कुमार सिन्हा.

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One thought on “भोजपुरी खातिर एगो बड़हन आन्दोलन चलवला के जरूरत : सदानन्द शाही”
  1. बहुत – बहुत बधाई। पाती के संघर्ष आ भोजपुरी प्रेम एक दिन जरूर सफल होइ….

कुछ त कहीं......

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