अधिकतर रचना हिंदी में रहे वाला एह पत्रिका के अबकी के अंक में बिहार आ दिल्ली के राजनीतिक चरचा का अलावे, भोजपुरी गौरव उमाशंकर सिंह के निधन से जुड़ल खबर, छपरे के कोठियाँ नराँव गाँव के समाजसेवी हरिदयालबाबू के निधन पर लेख, दिल्ली के विधायक मुकेश शर्मा से प्रभाकर पाण्डेय के साक्षात्कार, जवना में मुकेश शर्मा आरोप लगवले बाड़न कि पूर्वाचले के लोग अपना फायदा ला पूर्वांचल के बेच दिहल, भोजपुरी में प्रभाकर पाण्डेय के लिखल कहानी पेंचर पहुना, आदर्श तिवारी के लिखल यात्रा आलेख “इतिहास के आईना में रोहतास, सुरभी विप्लव के लिखल भिखारी ठाकुर आ भारतीय लोक रंगमंच पर लेख, बतकुच्चन के एगो कड़ी, डा॰ गोरख मस्ताना के लिखल भोजपुरी कविता, रवि कुमार गिरी के लिखल भोजपुरी कहानी अइसन कब होई, गणेश जी बागी के लिखल भोजपुरी व्यंग, सौरभ पाण्डेय के लिखल “मकर संक्रांति” हिन्दी में, भोजपुरी साहित्यकार सिपाही सिंह श्रीमंत के बारे में संतोष पटेल के लेख हिंदी में, आ भोजपुरी सिनेमा से जुड़ल बहुते सामग्री प्रकाशित भइल बा.
एकरा अलावे बाकी सामग्री ना त भोजपुरी में बा ना भोजपुरी से कवनो तरह से जुड़ल. तबहियों एह पत्रिका के प्रशंसा एह ला त करहीं के पड़ी जे एह विकट हालात में, जब लोग पत्र पत्रिका किताब खरीद के के कहो, अइसहुंवो पढ़े में असकतियाए लागल बा, ई लगातार आ समय पर प्रकाशित होत आवत बिया. एह ला एकरा संरक्षक परिवार के धन्यवाद देबे के पड़ी.
पत्रिका के ई संस्करण भोजपुरी पत्रिका के वेबसाइट पर उपलब्ध बा जवन एगो अउर बड़ाई जोग बात बा. आजु का जमाना में भोजपुरी पत्रिका भा किताबन के प्रकाशन इंटरनेटो पर उपलब्ध करावल ओकर लोकप्रियता बढ़ावे में सहायक होई बाकिर अधिकतर प्रकाशक एह बात से सहमत नइखन बूझात. जवना से नेट पर भोजपुरी सामग्री निकहा मात्रा में देखे के नइखे मिलत.
sabke bahut bahut dhanyabad, aur khaskar ke OP Sir ji ke…!! aap log ke bahut sujhav aawat ba ki bhojpuri ke lekh bhojpuri bhasha mei patrika mei rahe ke chai…. aap sab se anurodh ba …. rauaa sab bheji kuch acha acha lekh ….. jaroor lagawal jai …. Jai Bhojpuri….!!
Raur
Kuldeep
email: bhojpuripanchayat@gmail.com
http://www.bhojpuripanchayatlive.com/E-Magzine.html
आदरणीय ओम प्रकाश भाई जी,
परनाम,
मूल पोस्ट के संशोधन के साथ प्रस्तुत करें खातिर बेर बेर आभार ।
राउर अनुज
गणेश जी बागी
श्याम जगोता के कार्टून से लेके जीवन के मूल -मंत्र,पेंचर पहुना के खिचड़ी नाहन पवितर बना दिहलस .संतोष पटेल के चिड़ियाँ , सुनील तिवारी के नारी सम्मान आ रामाशंकर श्रीवास्तव के हास्य-व्यंग हंसा-हंसा के पेट फुला दिहलस .ओ .पी जी के बतकुच्चन आ मस्ताना जी के आसरा के दियारी से मन हरियर हो गइल .पाण्डेय जी के जोगिया बाबा ,सिंह जी के तमाचा में बहुत मजा आइल .वरदे !वर ,भिखारी ठाकुर के रंगमंच ,कम उमिर में बियाह के फायदा ,अइसन कब होई से लेके फ़िल्मी मसाला भी बहुत स्वादिष्ट लागल .घर जमाई मत कहिये प्लीज बहुत नीमन .
“भोजपुरी पंचायत “पत्रिका से जुडल सभ लोगन के बहुत -बहुत धन्यवाद !
ओमप्रकाश अमृतांशु
माफ करब बागी जी रउरा लेख के जिक्र गलती से छूट गइल रहुवे. मूल पोस्ट में सुधार कर लिहल गइल बा.
आपके,
ओम
बहुत नीमन प्रयास बा .संपादक मंडल के बहुत -बहुत धन्यवाद .
आदरणीय संपादक जी ,
परनाम,
बड़ा नीमन से रउआ भोजपुरी पंचायत के एह अंक के समीक्षा कईले बानी, बड़ा दुःख से कहे के पड़त बा कि भोजपुरिया लोगन के नज़र आजु काल भोजपुरी रचना, लेख भा भोजपुरी साहित्य में हो रहल काम तक नईखे पहुँच पावत ।
एही अंक में एगो हमरो व्यंग आलेख छपल बा जवन ना खाली भोजपुरी में बा बलुक भोजपुरिया समाज के एगो बहुत बडहन मुदो व्यंग के माध्यम से उठावल बा ।
एकरा अलावे एगो भोजपुरिया भाई आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी के भोजपुरिया तीज त्यौहार से जुडल बहुते ज्ञानवर्धक आलेख “मकर संक्रांति” हिंदी में छपल बा ।
सादर ।
सम्माननीय संपादकजी,
रउआँ लिखतानी ‘जब लोग पत्र पत्रिका किताब खरीद के के कहो, अइसहुंवो पढ़े में असकतियाए लागल बा’..इ बहुत बड़हन चुनवती बा भोजपुरी सामग्रियन की साथे। हम रउआँ के बता दीं की कुछ दिन पहिले एगो मानल-जानल संगठन के तहत एगो भोजपुरी के अच्छा पत्रिका निकलत रहल ह..जवन बीच में बंद हो गइल रहल ह..हम एकर कारन जानल चहनी त पता चलल की 10-12 महीना में एके मात्र दुगो ग्राहक मिलल रहने हँ..सबक्राइब कइले रहने हँ….त पत्रिका से जुड़ल एक वेयक्ति के कहना रहे की आखिर पत्रिका चली कवनेगाँ…विज्ञापन भी नइखे मिल पावत..काहें की विज्ञापन देबे वाला पहिले इ जानल चाहता की पत्रिका के पहुँच कहाँ ले बा, केतना लोग ले बा।।
त हम ए निष्कर्ष पर पहुँचनी की भोजपुरी पत्रिका आदि निकालल बहुते कठिन काम बा…उ हे निकाल पाई जेकरी लगे ए पर खरच करे लायक पइसा बा अउर ना त केहू के समर्थन बा।।
लोग के अपनी माई-भाषा के सम्मान देबे के चाहीं..कम से कम कुछ ना क सकेनी त टिपिया त दीं ताकि भोजपुरी में काम करेवाला लोगन के उत्साह बनल रहो….जहिया भोजपुरिया लोग हिरदय सो भोजपुरी से जुड़ जाई..ए अपनी माई-भाषा के सनमान करे लागी..ओही दिने से भोजपुरी..भोजपुरी हो जाई।। जिहें माई भोजपुरी त जी भोजपुरिया समाज, संस्कृति।