– डॉ॰ उमेशजी ओझा
ई सही बा कि हमनी के देश के मौजुदा अर्थव्यवस्था ज्ञान आ टेक्नोलॉजी के सहारे जतना आगे जाए के रहे जा चुकल बा. ओकरा बाद हमनी के विकास ज्ञान के विकास आ शोध प निर्भर होई. बाकी स्कूली स्तर प उत्कृष्टता कइसे लिहल जा सकता ऐकरा बारे में सोचल निहायत जरूरी बा. शिक्षो के स्तर प भारत के हालत बहुत बढिया नइखे. भारत के कवनो विश्वविद्यालय दुनिया के निमनका विश्वविद्यालयन में ना गिनाव. भारत के बढियको संस्थान डिग्री बाँटे भर के कारखाना बन गइल बा. पिछला लमहर समय से हमनी के जे शिक्षा के अनदेखी कइनी जा ओकर फल अब भुगतत बानी जा.
रउरा सभे के साल 2012 के तीन गो सर्वेक्षण, रिपोर्ट जवना में स्कूली शिक्षा प्रणाली प सवालिया निशान लगावल रहे, ईयाद होई. ओह रिपोर्ट के एगो गैर सरकारी संगठन ‘प्रथम‘ तइयार कइले रहें आ तब के केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल जारी कइले रहले. ओह रिपोर्ट के बनावे में प्राथमिक कक्षा के करीब 6,50,000 विद्यार्थियन के सर्वे शामिल रहे. ‘प्रथम‘ के रिपोर्ट बतावत रहे कि गुणवत्ता के स्तर प स्कूली शिक्षा के स्तर पहिले से खराब भइल बा. ओकरा मुताबिक पाँचवा में पढ़ेवाला 48.2 प्रतिशते विद्यार्थी दुसरा कक्षा के पाठ ठीक से पढ पवले. तीसरा कक्षा के मात्र 29.9 प्रतिशत विद्यर्थी परीक्षा दे पवले.
शिक्षा के अधिकार कानून लागू होखे से पहिले कर आँकडा तनी बढिया रहे. आरटीआई लागू होखे से स्कूल में दाखिला लेबे वालन के गिनिती त बढ़ल बाकिर कक्षा में हाजिरी आ पढ़ाई के स्तर घट गइल. ओकरा बाद के सर्वेक्षण में भारतीय स्कूल शिक्षा के अउर खराब हालत सामने आइल. विप्रो आ एजुकेशन इनिशिएटीव पवलस कि नामी स्कूलनो के शिक्षा स्तर निमन नइखे आ उहो बस पाठ रटावे पर जोर देत बाड़े.
एकरा अलावे अगर हमनी के ज्ञान प आधारित अर्थव्यवस्था बनावल चाही त उ सभ दस्तावेज आँखि खोले में मददगार होई.
आजु शिक्षा बेवसाय हो गइल बा. शिक्षा वेवस्था में निजी दखल बढ़ि गइल बा बाकिर निजी दखल शिक्षा के गुणवत्ता के विकल्प ना हो सके. कई गो राज्यन मे 60 प्रतिशत तकले विद्यार्थी निजी स्कूलन में बाड़े. जवन सरकारी स्कूलन में बाड़े ऊ टियूशन लेत बाड़े. काहें कि सरकारी स्कूलन में पढ़ाई ना होला. मानल जाला कि सरकारी स्कूलन के मास्टर मास्टराइन स्कूलो में आपन निजी काम करत लउकेला. वोहिजे मास्टर टियूशन पढ़ावे में. जवन माई बाप के थोड़ बहुत पूंजी बा उ अपना लईकन के निजी स्कूलन में भेजत बाड़े. निजी स्कूल के अकेला मकसद रहेला बढिया परिणाम देबे के. एहसे निजी स्कूल विद्यार्थियन के पीठ प किताब लदवाए आ रटवाए पर जोर देला. एह से विद्यार्थी बढिया नम्बर पाके कवनो नामी गिरामी उच्च शिक्षा संस्थान में नाम खिलवाए लायक भा नोकरी पावे लायक त हो जाले बाकिर उनकर मानसिक विकास आ समझ के बढिया विकास ना हो पावे.
उपर के सभ बात सर्वेक्षण में आ चुकल बा कि गड़बड़ी स्कूले से शुरू होला, जेकरा के सुधारे खातिर बड़हन बदलाव के जरूरत बा. बिना गुणवत्ता के मौजूदा शिक्षा से का हमनी के अइसन नवजवान तइयार कर पाइब जा जे आवे वाला समय के चुनौतियन के झेल सके? सरकार के पहल त करही के पड़ी बाकिर निजीओ क्षेत्र के आपन स्तर सुधारे के कोशिश करेके पड़ी.
आखिर देश के नयका पीढी के सवाल जे बा!
संपर्क सूत्र :
डॉ॰ उमेश जी ओझा,
39, डिमना बस्ती, डिमना रोड, मानगो, जिला – पूर्वी सिंहभूम (जमशेदपुर)
पिन – 831018
मोबाइल – 09431347437
email – kishenjiumesh@gmail.com