साचहूँ एगो गलत राजनीतिक बहस कइल जाव : तवलीन सिंह

by | Jan 13, 2013 | 1 comment

Tavleen_Singhनीति सेन्ट्रल डॉट कॉम पर प्रकाशित अपना लेख में अमेरिकी भारतीय मूल के मशहूर पत्रकार तवलीन सिंह एगो बड़हन सवाल उठवले बाड़ी देश के लिबरल, वामपंथी रुझान वाला सेकुलरन का सोझा. उनुका शिकायत बा कि अकबरुद्दीन ओवैसी के जेल में काहे डालल गइल जबकि भारत में आपन बात कहे के आजादी बा? लिखले बाड़ी कि ओवैसी के भाषण से अधिका खतरनाक ताली पीटत ऊ भीड़ रहल जवन ओवैसी के भाषण सुनत रहे, जवन लंदन से लवटला पर ओवैसी के स्वागत में जुटल रहे.

ओवैसी के भाषण के भड़काऊ अंश के जिक्र करत तवलीन सिंह लिखले बाड़ी कि भाषण के खासियत ई ना रहल कि ओवैसी दिहलस. ऊ त एगो स्थानीय नेता हउवे जेकर कवनो राष्ट्रीय महत्व नइखे. चिंता के बात ई बा कि ऊ भाषण निचला मध्य वर्गीय अधपढ़ हिंदुस्तानी मुसलमानन के बड़हन समूह के सोच दर्शावेला. तवलीन सिंह लिखले बाड़ी कि अइसनका ढेरे लोग से उनुकर भेंट कबो मुरादाबाद, लखनऊ, दिल्ली भा मुंबई के बाजारन में होत रहेला आ ऊ ई देख सुन के रिसिया जाली कि एहन का मन में हिन्दुस्तान से कतना नफरत बा.

इहे सोच ओवैसी का भाषणो में उजागर भइल. हिंदुस्तान का बारे में नफरत भरल भाषण करत ओवैसी कहलस कि, “ऊ लोग जे कहेला कि मुसलमानन के दोसरा देश चल जाए क चाहीं ना जाने कि मुसलमान जब जाई त अपना साथे आगरा के ताजमहल, दिल्ली के लाल किला आ कुतुबमीनारो लेले जाई आ तब हिंदुस्तान में रह का जाई? अयोध्या में एगो टूटल राम मंदिर आ अजंता एलोरा में कुछ नंगा मूर्ति.” जब रउरा एह बात पर सोचब त पाएब कि देश के आम मुसलमान का सोचेला हिंदुस्तान के पुरान सभ्यता आ संस्कृति का बारे में. ओहनी के लागेला कि मुगलन के आवे से पहिले ले एह देश में त संस्कृति आ सभ्यता के बस एगो रेगिस्तान जस रहल. .

हमनी के चाहत रहे कि एह मुद्दा पर बहुत पहिले से बात शुरू कर दिहल गइल रहीत बाकिर “सेकूलरिज्म” के पक्ष में भारत के प्राचीन इतिहास के पढ़ावल हमेशा महटियावल गइल. एह चलते अइसन हिंदू बहुते कम मिलिहें जे हिंदुस्तानी सभ्यता का बारे में बतिया सकस. जबकि मुसलमानन के लरिकाइएं से मदरसा में एकरा के घोंट घोंट के पियावल जाला कि ऊ के हउवें. बाद में बड़ भइला पर ई बात हिंदुत्व आ बुतपरस्ती से नफरत का चलते हिंदुस्ताने से नफरत में बदले लागेला.
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अतना लिखला का बाद तवलीन सिंह ओवैसी के भाषण के चरचा करत लिखले बाड़ी कि मौजुद भीड़ के ताली आ हँसी का बीच ओवैसी आगे कहलस कि “एहनी के ढेर भगवान होले…. राम, लक्ष्मण, दुर्गा, गणेश … हर महीने ई नया नया भगवान पैदा करत रहेलें. एह बात के छोड़ दीं कि ई भाग्यलक्ष्मी के ह. हम नइखी चाहत कि एहनी के भगवानन के फालतू नाम ले ले के हम एहिजा के माहौल खराब कइल नइखीं चाहत.” ओवैसी आगे कहलस कि हिंदूवन के पवित्र गऊ माता बाजार में बिकाए आवत रहेले आ मुसलमान ओकरा के खरीदत रहेलें. अगर मुसलमान गोमांस ना खइतन त हिंदूवन के ई “माता” देश के एक एक तिनका ले चबा जाइत आ देश रेगिस्तान बन जाइत.”

अब एह भाषण के विश्लेषण करीं त देखब कि एहमें देश के मुख्य धर्म खातिर कतना नफरत भरल बा. आ अगर हमरा जइसन केहू, हम हिंदू ना हईं, एह बात के अपना लेख में चरचा करो त तुरते ओकरा के सांप्रदायिक कह दिहल जाई. तवलीन सिंह लिखले बाड़ी कि हिंदुस्तान के मूल विचार हिंदुवन के बहुमत का बावजूद हर तरह के धार्मिक आजादी के रहल बा. एहसे ओवैसी के ई भाषण सउदी अरब में भलही जायज मान लिहल जाव हिंदुस्तान में अइसन भाषण के कवनो जगहा नइखे. दुर्भाग्य के बात बा कि देश के बौद्धिक जगत में “वामपंथी उदारवादियन” का चलते एह सब के कबो चरचा ना कइल जाव आ एह पर होखे वाला बहस के राजनीतिक रूप से गलत मानल जाला.

ध्यान देबे जोग बा कि कुछ दिन पहिले ले ओवैसी के पार्टी संप्रग सरकार के सदस्य रहुवे. कांग्रेस पार्टी के हिंदूविचार वाला राजनीतिक पार्टियन से त नफरत रहेला बाकिर खतरनाक मुस्लिम समूहन से नजदीकि में कवनो आपत्ति ना होखे. जे लोग केरल में एगो शिक्षक के हाथ काट लिहल ओकरे समर्थन से केरल में कांग्रेस काम करेले.

सबकुछ का बावजूद, तवलीन के कहना बा कि, ओवैसी के पार्टी एक जमाना से हैदराबाद के चुनाव जीतत आइल बा आ ओवैसी के हैदराबाद में आपन विचार रखे के आजादी होखे के चाहीं. जरूरत ओकरा के जेल में डलला का बदले एहमुद्दा पर बहस उठावे के बा. एह पर सार्वजनिक चरचा होखे के चाहीं कि एह तरह के विचार के जगहा हिंदुस्तान में होखे कि ना?

तवलीन सिंह के पूरा लेख अंगरेजी में पढ़ीं.

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1 Comment

  1. प्रभाकर पाण्डेय

    पूरी तरे सहमत…पर (एह पर सार्वजनिक चरचा होखे के चाहीं कि एह तरह के विचार के जगहा हिंदुस्तान में होखे कि ना?)………विचार रखले के आजादी के मतलब इ ना की जेकरा जवने बुझा उ उहे बोल देव….संप्रेषण पर उहवें प्रतिबंध सुरु हो जाला जब ओसे राष्ट्र की गरिमा, अस्मिता, एकता आदि पर प्रहार होखे।….एइसन मनई के दउड़ा के गोली मार देबे के चाहीं…….जय हिंद।।

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