64वाँ गणतंत्र दिवस के पहिले भारत के महामहिम राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के संबोधन

by | Jan 25, 2013 | 0 comments

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प्यारे देशवासी,

चौंसठवाँ गणतंत्र दिवस के पहिले का साँझ हम भारत में आ विदेशों में बसल आप सबही के हार्दिक शुभकामनाएं देत बानी. हम अपना सशस्त्र सेना, अर्ध सैनिक बल अउर आंतरिक सुरक्षा बलो के खास तौर पर बधाई देत बानी.

पिछला साठ साल का दौरान भारत में बहुते बदलाव आइल बा. ई ना त अचके में भइल बा ना दैवयोग से. इतिहास के गति में बदलाव तब आवेला जब ओकरा सपना के साथ मिलेला. उपनिवेशवाद क राख से एगो नाय भारत बनावे के महान सपना 1947 में ऐतिहासिक शिखर पर पहुँचल, आ एहूसे अधिक खास बात ई भइल कि स्वतंत्रता से राष्ट्र-निर्माण के नाटकीय कथा क शुरुआत भइल. एकर नींव 26 जनवरी, 1950 के सकारल हमनी के संविधान रखलसि, जवना के हमनी हर साल गणतंत्र दिवस के रूप में मनाइले. एकर प्रेरक सिद्धांत रहुवे, राज्य आ नागरिकन के बीच एगो सहमति माने कि न्याय, स्वतंत्रता अउर समानता से पोसल बरियार सार्वजनिक-निजी भागीदारी.

भारत अंग्रेजन से स्वतंत्रता एहसे ना लिहले रहल कि ऊ भारतीयन के आजादी से फरका राखे. संविधान दुसरकी आजादी के प्रतीक रहल आ ई आजादी रहल लिंग, जाति, समुदायन में गैर-बराबरी क घुटन से आ ओह दोसरो तरह के बेड़ियन से, जवन हमनी के बहुत दिन से जकड़ले रहुवे.

ई संविधान अइसन क्रांतिकारी बढ़न्ती के प्रेरणा दिहलसि जवन भारतीय समाज के आधुनिकता के राह पर आगे बढ़वलसि. समाज में एही लगातार बढ़न्ती से बदलाव आइल, काहें कि हिंसक क्रांति भारतीय परिपाटी ना ह. अझुराइल सामाजिक ताना-बाना में बदलाव पर अबहियो काम जारी बा, आ एकरा के समय-समय पर कानून में आवत सुधारन आ जनमत के ताकत से प्रेरणा मिलत रहल बा.

पिछला साठ बरीस में अइसन बहुते कुछ भइल बा जवना पर हमनी का गर्व कर सकीले. हमनी के आर्थिक विकास दर तीन गुना से अधिका हो गइल बा. साक्षरता दर में चार गुना से अधिका बढ़ोतरी भइळ बा. अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भरता लिहला का बाद अब हमनी का खाद्यान्न के निर्यातक हो गइल बानी. गरीबी के मात्रा में बहुते कमी ले आवल गइल बा. हमनी के एगो अउर खास उपलब्धि लैंगिक समानता के दिशा में हमनी के प्रयास बा.

ई केहू ना कहल कि ई काम आसान होखी. साल 1955 में लागू भइल हिंदू कोड बिल, जइसन पहिलका बड़ कोशिश में जवन समस्या आइल रहल, ओकर अलग कहानी बा. ई खास कानून जवाहर लाल नेहरू आ बाबा साहेब अंबेडकर जइसन नेतालोग के अविचल प्रतिबद्धते से पारित हो पावल रहे. जवाहरलाल नेहरू बाद में एकरा के अपना जीवन के शायद सबले बड़हन उपलब्धि बतवले रहले. अब समय आ गइल बा कि हर-एक भारतीय महिला खातिर लैंगिक समानता पकिया कर दिहल जाव. हमनी का ना त एह राष्ट्रीय दायित्व से बाच सकीले ना एकरा के छोड़ सकीले काहे कि एकरा के नजरअंदाज कइला के बहुते बड़ कीमत चुकावे के पड़ी. निहित स्वार्थ आसानी से हार ना मानसु. एह राष्ट्रीय लक्ष्य के पूरा करे ला सिविल समाज अउर सरकार के मिल-जुलके प्रयास करे के होई.

प्यारे देशवासी,

हम अइसन समय रउरा के संबोधित करत बानी जब एगो बहुते भयंकर त्रासदी हमनी के निश्चन्तता के भरम झकझोर डलले बा. एगो लड़िकी संगे नृशंस बलात्कार आ ओकर हत्या, एगो अइसन महिला के जवन उदीयमान भारत के आकांक्षा के प्रतीक रहल, हमनी के हृदय के सूनापन से आ हमनी के मन के खीसि से भर दिहले बा. हमनी का एगो जान से अधिका गँववले बानी जा; हमनी का एगो सपना गँवा दिहले बानी. यदि आज हमनी के नवही नाराज बाड़ें त का हमनी का ओहनी के दोष दे सकीले?

एगो कानून देश के बा. बाकिर ओही ले ऊपर एगो कानून अउर बा. महिला के पवित्रता भारतीय सभ्यता के समहर दर्शन के नीति निर्देशक सिद्धांत हवे. वेद में कहल गइल बा कि माता एक से अधिका हो सकेले; जन्मदात्री, गुरुपत्नी, राजा के पत्नी, पुजारी जे पत्नी, हमनी के दूध पिआवे वाली आ हमनी के मातृभूमि. मां हमनी के बुराई आ दमन से बचावेले. माँ हमनी के जीवन आ समृद्धि के प्रतीक होले. जब हमनी का कवनो महिला साथे जानवर जस बेवहार करीले त अपना सभ्यता के आत्मा लहुलुहान कर दिहिले जा.

देश के आपन नैतिक दिशा फेरू से तय करे के समय आ गइल बा. निराशावादिता के बढ़ावा देबे ला कवनो मौका ना दिहल चाहीं काहे कि निराशावाद नैतिकता के अनदेखी कर देला. हमनी के अपना अंतरात्मा में गहराई से झांके के पड़ी आ ई पता लगावे होई कि हमनी से चूक कहाँ हो गइल. समस्यन क समाधान राय विचार आ नजरिया में तालमेल से ढूंढ़े पड़ी. लोग के एकर भरोसा होखे के चाहीं कि शासन भलाई के एगो माध्यम ह आ एकरा ला हमनी के सुशासन पकिया करे के पड़ी.

प्यारे देशवासी,

हमनी का दुसराक पीढ़ी से आवत बदलाव के मुहाना पर बानी; गांवन आ कस्बन में पसरल नवही एह बदलाव के अगुआ हउवें. आवे वाला समय ओह लोग के बा. ऊ आजु अस्तित्व से जुड़ल बहुते तरह के अनेसा के शिकार बाड़े, का तंत्र योग्यता के समुचित सम्मान दे ता? का समर्थवान लालच में पड़के आपन धर्म भूला चुकल बाड़े? का सार्वजनिक जीवन में नैतिकता पर भठियरपन हावी हो चलल बा? का हमनी के विधायिका उदीयमान भारत के प्रतिनिधित्व करेले आ कि फेर एहमें आमूल-चूल सुधार करे के जरूरत बा. एह अनेसा के दूर करही के पड़ी. चुनाइल प्रतिनिधियन के जनता के भरोसा फेरू से जीते होखी. नवहियन के मन के अनेसा आ बेचैनी के, तेजी से, गरिमाभरल आ सरिहावल तरीका से बदलाव के काम पर लगावे होखी.

नौजवान खाली पेटे सपना ना देख सकसु. उनका लगे आपन आ राष्ट्र के महत्वाकांक्षा पूरा करे ला रोजगार होखे के चाहीं. ई साँच बा कि हमनी के 1947 के बाद एगो लमहर राह तय कइले बानी. जब हमनी के पहिला बजट के राजस्व मात्र 171 करोड़ रुपिया रहल. आजु केन्द्र सरकार के संसाधन ओह बूंद क तुलना में महासागर जस हो गइल बा. बाकि हमनी के इहो पकिया करे के पड़ी कि कहीं आर्थिक बढ़न्ती से मिलत लाभ पर, पिरामिड के शिखर पर बइठल भाग्यशाली लोगे के एकाधिकार मत हो जाव. धन सिरजे के बुनियादी उद्देश्य हमनी के बढ़त आबादी से भुखमरी, निर्धनता आ कम आमदनी के बुराई जड़ से खतम कइल होखे के चाहीं.

प्यारे देशवासी,

पिछलका वर्ष हमनी सभ ला परीक्षा के साल रहल. आर्थिक सुधारन के राह पर आगे बढ़तो हमनी के बाजार-आधारित अर्थव्यवस्था के मौजूदा समस्यम से जागरूक रहे होई. बहुते धनी राष्ट्र अब सामाजिक दायित्व रहित अधिकार के संस्कृति के जाल में फंस गइल बाड़े. हमनी के एह जाल से बचे के होई. हमनी के नीतियन के परिणाम हमनी के गांवन, खेतन, फैक्टरियन, स्कूलन आ अस्पतालन में लउके के चाहीं.

ओह लोग ला आंकड़ा बेमानी होला जिनका ओकर फायदा ना मिले. हमनी के तुरते काम में लागे होई ना त आजु जवना अशांत इलाकन के अकसर ‘नक्सलवादी’ हिंसा के रूप में जिकिर होखेला ओहमें अउरी खतरनाक तरीका से पसार हो सकेला.

प्यारे देशवासी,

अबही पिछला दिने, नियंत्रण रेखा पर हमनी के सैनिकन पर गंभीर निर्दयता के मामिला सामने आइल बा. पड़ोसियन में मतभेद हो सकेला; सीवानन पर तनाव एगो सामान्य स्थिति हो सकेले. बाकिर राज्य से इतर तत्त्वन का जरिए प्रायोजित आतंकवाद सगरी राष्ट्र ला भारी चिंता के विषय बा. सीमा पर हमनी चाहीलें कि सीमा पर शांति रहो आ हमनी का हमेशा दोस्ती के उम्मीद में हाथ बढ़ावे ला तइयार बानी जा बाकिर एह हाथ के हलुका में ना लेबे के चाहीं.

प्यारे देशवासी,

भारत के सबले अजेय सम्पत्ति ह ओकर खुद में भरोसा. हमनी ला हर चुनौती, अभूतपूर्व आर्थिक विकास आ सामाजिक स्थिरता हासिल करे के हमनी के सकंल्प मजबूत बनावे के मौका बन जाले. एह संकल्प के, खासकर बेहतर अउर व्यापक शिक्षा पर बड़हन निवेश से मजबूत बनावे होखी. शिक्षा अइसन सीढ़ी ह, जवन सबले निचला पायदान पर मौजूद आदमी के व्यावसायिक आ सामाजिक प्रतिष्ठा के शिखर पर पहुँचा सकेले. शिक्षा अइसन मंत्र ह जवन हमनी के आर्थिक भाग्य बदल सकेले आ अइसनका दरार पाट सकेले जवन समाज में गैर बरोबरी जनमावेले. अबहीं ले शिक्षा के ई यह सीढ़ी, जइसन होखे चाहीं ओह स्तर ले, ओहन लोग ले नइखे चहुँपल जिनका एकर सबले बेसी जरूरत बा. भारत अपना वर्तमान वंचितन के, आर्थिक विकास के बहुतेरे उपादानन में बदल के आपन विकास दर दुगुना कर सकेला.

हमहन के चौंसठवाँ गणतंत्र दिवस के मौका पर हालांकि चिंता के कवनो कारण हो सकेला बाकि हताशा के कवनो ना. यदि भारत में साठ साल में पिछला छह सौ साल का मुकाबले अधिका बदलाव आइल बा त हम रउरा से वायदा करत बानी कि एहमें अगिला दस साल में, पिछलका साठो साल ले बेसी बदलाव आई. भारत के शाश्वत जिजीविषा जागल बिया.

अंग्रेजनो के ई लागत रहे कि ऊ अइसन देश छोड के जात बाड़े जवन ओकरा से बहुते अलगा बा. जवना पर ऊ काबिज हो गइल रहलें. राष्‍ट्रपति भवन में जयपुर स्तंभ के आधारशिला पर एगो शिलालेख में लिखल बा :-

‘‘विचारों में आस्था…
शब्दों में प्रज्ञा…
कर्म में पराक्रम…
जीवन में सेवा…
अत: भारत महान बने’’

एह शिलालेख में भारत के भावना पत्थर में उकेरल बा.

जय हिंद!


ई संबोधन महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के आधिकारिक हिंदी भाषण के भोजपुरी अनुवाद ह जवना में कुछ गलती अनजाने में अनचाहे हो गइल होखे त माफी चाहब. बाकि अँजोरिया हमेशा से एह तरह के अनुवाद परोसत आइल बिया.

हिंदू कोड बिल से जुड़ल एगो लेख अँजोरिया पर पहिले से प्रकाशित बा ओकरो के पढ़ीं.

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