दिल अभी पूरी तरह टूटा नहीं, दोस्तों की मेहरबानी चाहिये

by | Nov 3, 2011 | 1 comment

अँजोरिया एक जगहा नीचे खसकल

कुछ दिन पहिले कहले रहीं कि हम नं॰ वन का दौड़ में शामिल नइखीं काहे कि हमरा खातिर ऊ असंभव बा. जबे कुछ विजिट बढ़ेला तबे हमार वेब हॉस्ट मेहरबानी कर देलें आ दू तीन दिन खातिर सब कुछ गड़बड़ हो जाला. जइसे कवनो गाड़ी ब्रेक लगवला का बाद फेर पुरनका रफ्तार हासिल करे में समय लेले ओही तरह वेबोसाइट का साथे होला.

एक बेर ब्रेक लागेला त फेर कई दिन के सामग्री जाम हो जाले. भोजपुरिया बंधु लोग साहित्य आ सरोकार पढ़े ना आवे फिलिम आ संगीत के खबर जाने आवेला. अँजोरिया के पाठक परिवार के दू तिहाई लोग सिनेमा वाला पन्ना खातिर आवेला. देखीलें कि बढ़िया से बढ़िया साहित्य सामग्री लोग पर लोग नजर ना देव. हम चाहींले कि सिनेमा के समाचार त दिहलो जाव भोजपुरी के अस्मिता खातिर बढ़िया साहित्य आ सरोकारो के बात पर चरचा चलत रहो. एहसे सिनेमा का सामग्री खातिर बाकी सामग्री के अनदेखी ना करीं. टटका खबर एगो उदाहरण बा. भोजपुरी में एकही पन्ना पर बेसी से बेसी खबर देबे के कोशिश में कम से कम दू से तीन घंटा रोज लागेला. काहे कि खबर कहीं से भोजपुरी में ना आवे, सगरी खबर के भोजपुरी में लिखे के पड़ेला. बाकिर टटका खबर के पाठक संख्या ओह पर लागे वाला समय आ खरचा के जायज ना ठहरा पावे. बाकिर हम का करीं, हमहूँ अपना आदत से परेशान बानी. केहू आवे भा ना, केहू पढ़े भा ना आपन काम करत रहे के बा. भोजपुरी अनलिमिटेड के मंत्र वाक्य राखे वाला अँजोरिया कवनो एक सीमा में अपना के बान्ह के ना राख सके. जब ले जाँगर बा, जीवट बनल बा आ दाल रोटी के जुगाड़ दोसरा जगहा से होत रहत बा तबले अँजोरिया चलत रही, भोजपुरी के दियरा जरत रही.

बाकिर अइसे कतना दिन ले चली ? एक अकेला आदमी कब ले हर तरह के काम कर सकी ? खास कर के तब जब कवनो आमदनी ना होखत होखे ओह काम से. एक ना एक दिन आदमी अँउजियाइये सकेला आ कह सकेला कि, यह ले अपनी लकुटि कमरिया, यह ले अपनी सोटी. तेरी बहुत चराई गइया खा के बासी रोटी.

खैर आजु के एह पोस्ट के मकसद रहल एगो नया वेबसाइट के धन्यवाद देबे के जे कुछुए दिन में अँजोरिया के धाँगत आगा बढ़ गइल बा आ अलेक्सा रैंकिग में तिसरका जगहा पर आ गइल बा. भगवान करे कि ऊ ओहिजा बनल रहो काहे कि इहो देखले बानी कि लोग आवेला, कुछ दिन टिकेला, फेर जब देखेला कि मेहनत का हिसाब से आमदनी नइखे होखे के, त टहल जाला.

रउरा देखब कि एह चार्ट में बहुते वेबसाइटन के नाम नइखे दिहल. एकर कारण बा कि ओह साइटन के संचालक के अनुमति हमरा लगे नइखे कि ओह लोग के पोजीशन देखा सकीं. काहे कि हमेशा निमने खबर ना नू रही, कबो ना कबो त कुछ उलुटो खबर आ जाई, जइसे कि अब अँजोरिया का साथे भइल बा.

देखल जाव कि का होखत बा आगा चल के. पोजीशन बदलत बा कि बिगड़त बा.

दिल अभी पूरी तरह टूटा नहीं, दोस्तों की मेहरबानी चाहिये.

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 10 गो भामाशाहन से कुल मिला के पाँच हजार छह सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)


18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया


(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(5)

5 अगस्त 2023
रामरक्षा मिश्र विमत जी
सहयोग राशि - पाँच सौ एक रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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