जिए भोजपुरी ! बाकिर कइसे?

by | Mar 10, 2013 | 9 comments

पिछला दस साल से भोजपुरी के वेबसाइट चलावत अपना अनुभव से इहे सिखले बानी कि भोजपुरी में वेबसाइट चलावल बहुते मुश्किल काम होला. सबसे पहिले भोजपुरी में वेबसाइट शुरू भइल रहे अँजोरिया. एकरा बाद बहुते वेबसाइट अइलीं स. कुछेक त बहुते मजगर तरीका से निकलली सँ बाकिर गँवे गँवे सभकर उत्साह मधिम होत चल गइल. जब कवनो वेबसाइट शुरु होला त बहुते उछाह रहेला शुरू करेवालन का मन में. सोचेला लोग कि बहुते सफल हो जाई लोग. बाकिर जब पता चलेला कि एकर कवनो व्यावसायिक पक्ष नइखे त फेर धीरे धीरे अलस्त पड़त जाला लोग.

अब ई अँजोरिया के सौभाग्य कहीं भा दुर्भाग्य बाकिर बिना कवनो संसाधन, बिना कवनो ढाँचा एकरा के अबले चलावत आइल बानी. अब जब जवानी ढलान पर बिया आ रिटायर होखे के उमिर सोझा लउके लागल बा त चिंता होत बा कि कइसे एकरा के सम्हारल जाव. बहुत सोच समुझ के आजु महाशिवरात्रि पर कल्याणकारी शिव से आशीष माँगत एगो दुस्साहस करत बानी. सोचत बानी कि कुछ प्रशिक्षु लोगन के अपना साथे जोड़ीं. आ कुछ अइसन करीं कि भोजपुरी कुछ लोग के जीविका बने लागे. कैच देम यंग का सिद्धांत के पालन करत कालेजिया विद्यार्थियन के एह “जिए भोजपुरी आन्दोलन” से जोड़े के योजना बनावत बानी. नवहियन के कुछ सिखावल आसान होखी, नवहियन के इंटरनेट से यारी दोस्ती होला, आ आवे वाला जमाना नवहियने के बा. दोसरे कालेजिया विद्यार्थियन के कम खरचा पर राखल जा सकेला.

पहिला चरण में अँजोरिया उत्तरप्रदेश आ बिहार के बाइस गो भोजपुरी भाषी जिला जनपद से शुरूआत करत बिया. एह जिलन के नाम ह “पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सिवान, सारण, भोजपुर, बक्सर, रोहतास, कैमूर, बलिया, देवरिया, मऊ, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, जौनपुर, आजमगढ़, ,गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज, सोनभद्र, आ इलाहाबाद”. हर जगहा से एगो प्रशिक्षु प्रतिनिधि चुनल जाई.

प्रशिक्षु प्रतिनिधि बने वाला स्नातक कक्षा के मौजूदा विद्यार्थी होखे के चाहीं जे इंटरनेट पर रोजाना एक घंटा दे सके आ अंजोरिया शैली में भोजपुरी लिख सके.

एह प्रशिक्षु प्रतिनिधियन के सालभर के प्रशिक्षण के दौरान हर महीना डेढ़ हजार रुपिया के मानदेय का अलावे बढ़िया कमीशन दिहल जाई. अगर कुछ कमाए जोग ना कर पइहें तबहियों उनुका के डेढ़ हजार रुपिया के मानदेय साल भर ले दिहल जाई बशर्ते एह बीच उनकर काम संतोषजनक रहे. जिनकर काम संतोषजनक ना रही उनुका के बीचो में हटावल जा सकेला जवन ओही दिन लागू हो जाई जहिया उनुका के खबर भेजल जाई. सालभर प्रशिक्षण लिहला का बाद सफल प्रशिक्षुअन के नियमित वेतन पर नियुक्त कर लिहल जाई.

सफलता के मापदंड रही प्रशिक्षण का दौरान ओह प्रशिक्षु के अर्जित कमीशन. अगर प्रशिक्षु साल भर में कुल मिला के कम से कम साठ हजार रुपिया कमीशन अर्जित कर ली त ओकरा के नियमित वेतन पर राख लिहल जाई. आ वेतन खुद ओकरे काम से तय होई. प्रशिक्षण का दौरान मिलल औसत महीनवारी आमदनी ओकर नियमित वेतन हो जाई आ कमीशन ओकरा उपर से मिलल करी.

अब सवाल उठत बा कि प्रशिक्षु के काम का करे के बा?

१. प्रशिक्षु रोजाना अपना इलाका के कम से कम पाँच गो खबर भोजपुरी में भेजल करी.
२. इलाका के भोजपुरी साहित्यकारन से मेल जोल राखत ओह लोग के रचना अँजोरिया पर प्रकाशित करे ला भेजत भेजवावत रही.
३. हर महीना इलाका के भोजपुरी साहित्यकारन के गोष्ठी आयोजित करी जवना में दस से अधिका साहित्यकारन के शामिल भइला पर हर बइठकी के चाय नाश्ता ला एक हजार रुपिया के भुगतान दिहल जाई.
४. इलाका के स्कूल, कॉलेज, नर्सिंग होम, बिजनेस प्रतिष्ठान, संगठन वगैरह से संपर्क कर के ओह लोग के आपन वेबसाइट बनवावे ला प्रोत्साहित करी आ हर वेबसाइट के आदेश पर भुगतान मिलला क बाद प्रशिक्षु के एक हजार रुपिया के कमीशन दिहल जाई.
५. अँजोरिया समूह के वेबसाइटन पर विज्ञापन बिटोरे पर बीस फीसदी के कमीशन मिलल करी.

कोशिश रही कि हर प्रशिक्षु महीना में दस पन्दरह हजार रुपिया कमा लेव. बाकिर एकरा ला ओकरा पूरा मेहनत करे के पड़ी. देखल जाव कि एह प्रयास से कतना फायदा होखत बा. अगर रउरा खुद भा अपना कवनो जान पहिचान के एह काम में लगवावल चाहत बानी त आजुए से देवनागरी लिपि में इलाका के खबर भिजवावल शुरू कर दीं. सात दिन का भितरे बता दिहल जाई कि रउरा एह काम लायक बानी कि ना. एह सात दिन ला कवनो भुगतान ना दिहल जाई, ई काम आवेदन आ चयन प्रक्रिला कइल जाई. अगर सात दिन का भीतर राउर बतौर प्रशिक्षु चयन नइखे होत त आगे खबर भेजल बन्द कर दीं.

बाकिर ई सब करे से पहिले आपन नाम पता, कालेज के नाम, आपन परिचय पत्र के स्कैन कापी, आ आपन फोन नंबर जरूर भेज दीं. ई आवेदन भोजपुरी में आ देवनागरी लिपि में होखे के चाहीं.

मेल anjoria@outlook.com पर जतना जल्दी हो सके भेजीं.

एह मुद्दा पर आपन राय सलाहो जरूर दीं.

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9 Comments

  1. OP_Singh

    तिवारी जी,
    प्रणाम.

    होली के बधाई.

    बहुते दुखद स्थिति ई बा कि आजु ले एको आवेदक ना मिललें. पता ना का कारण बा. रउरा कुछ बता सकीलें कि कइसे लोग के एह काम में जोड़ल जा सकेला?
    राउर,
    ओम

  2. Lokenath Tiwary

    जिए भोजपुरी- योजना से त भोजपुरी आ भोजपुरियन दूनों के भला होई। राउर ई कोशिश सार्थक अउरी सफल होखे, ईहे भगवान शंकर जी आ हनुमान जी से प्रार्थना बा। अंजोरिया अउरी ओ पी जी के बधाई आ होली के शुभ कामना।
    लोकनाथ तिवारी, कोलकाता।

  3. केशव मोहन पाण्डेय

    आदरणीय संपादक जी!
    आज के भागमभाग के युग में सभे हरदम अपनही लाभ के सोचेला।
    रउआ त अपना भोजपुरी के उजागर करे खातिर कर्मयोगी लोग के पारिश्रमिक भी देबे के घोषणा करत बानी।
    अब एसे नीमन का चाहीं?
    एह शंखनाद के गूंज ढेर लोग के जगाई।
    सुतलो के, बहिरो के आ सेवको के।
    हार्दिक शुभकामना आ बधाई!

  4. amritanshuom

    बहुत -बहुत नेक आ सराहनीय कदम बा . इहे ह असली भोजपुरी के प्रति समर्पित प्रेम .
    हमरा आशा बा अंजोरिया बहुते आगे जाई.
    ई भोजपुरिया सिपाही के सदर सलाम .
    ओमप्रकाश अमृतांशु

  5. OP_Singh

    प्रिय विमल जी, प्रभाकर जी, बागी जी आ संतोष जी,

    योजना के सराहे खातिर रउआ लोग के हम आभारी बानी. हमरा दिमाग में जवन योजना बा तवना के पहिला चरण के सफलता ला जरूरी बा कि कुछ नवहियन के साथ मिले. देखल जाव कि नवही कतना मिलत बाड़ें आ कि मिलतो बाड़ें कि ना.

    दोसरा चरण में हमार योजना पुस्तक आ पत्रिका प्रकाशन के बा. ओकरा ला भोजपुरी साहित्य के एगो मानक प्रकाशन का तौर पर पाठक, ग्राहक, आ लेखक सभके जोड़ल जाई. अगर पर्याप्त संख्या में ग्राहक मिले के संभावना बन जाव त कम दाम पर स्तरीय प्रकाशन करे के सोचल जा सकेला जवना में लेखको लोग के फायदा होखे आ ग्राहक पाठको लोग के. अबहीं त जवन देखे के मिलत बा तवन इहे कि लोग भोजपुरी पत्र पत्रिका किताब खरीद के पढ़े में कोताही करेला. हर लेखक में अतना सामर्थ्य ना होखे कि ऊ आपन लिखल किताब खुदे छपवा सको. आ जे समर्थ बा से अथार पथार कुछुओ छपवा सकेला बिकाव भा मत बिकाव छपा त जइबे करी आ दोस्त मित्रन के बाँट के संतोषो कइल जा सकेला.

    एह काम ला जब नाम सोचे चलनी त “जिए भोजपुरी” सबले बढ़िया लागल. भोजपुरी के जयकारा लगवला से बेसी जरूरी बा कि भोजपुरी जिए. आ एह काम ला हमनी सभे के आपन आपन व्यक्तिगत मनमुटाव भुला के एकसाथे लागे के चाहीं. हम अकेले ई काम ना कर सकब. चाहत बानी कि सभे जुटे एह काम में. बाकिर भोजपुरी के नेटवर्कन के हालत देख के डर लागत बा कि कहीं नौ कन्नौजिया तेरह चुल्हा वाला हाल मत होखे लागे. अकेले बानी त बिना कवनो समझौता लाग लपेट अपना हिसाब से चलत रहीलें. गोल बनाएब त गोल का हिसाब से चले के पड़ी जवना के आपन समस्या होले.

    आईं एह मुद्दा के जियवले राखल जाव आ बात चलत रहे. धीरे धीरे लोग जुटे आ एगो ढाँचा खड़ा होखे.

    रउआ सभे के,
    ओम

  6. गणेश जी बागी

    अंजोरिया भोजपुरिया के पहिलका साईट ह अउर वोकर स्तर सुरु से लेके अबही ले बनल बा, इ एगो बहुते नया अउर सराहनीय योजना बा, एह योजना में भोजपुरी साहित्य, भोजपुरी साहित्यकार अउर भोजपुरिया बेरोजगार सबकर विकास के बात बा ।
    आदरणीय भाई ओम प्रकाश जी अउर अंजोरिया दुनो बधाई के पात्र बा ।
    एह योजना के सफल होखे खातिर हमार हार्दिक शुभकामना बा ।

    गणेश जी बागी

  7. santosh kumar

    भोजपुरी भाषा, साहित्य, संस्कृति के बढ़ावे खातिर एगो क्रन्तिकारी कदम. हमार बधाई स्वीकार करीं.हमरा ला कवनो सेवा होखे बेझिझक …
    सादर
    संतोष पटेल
    संपादक : भोजपुरी जिंदगी

  8. प्रभाकर पाण्डेय

    जेतने सराहना कइल जा..कम्मे रही।। बहुते नीमन परयास खातिर दिल से बधाई।। रउआँ जरूर सफल होखबि..अउर कुछ भोजपुरिया भाई-बहनी के रोजगार उपलब्ध त होखबे करी साथे-साथे भोजपुरी के विकास भी होई अउर लोगन में भोजपुरी के प्रति सम्मान अउर अपनापन भी जागी।।

  9. रामरक्षा मिश्र विमल

    बहुत सही आ ब्यावहारिक कदम. एह काम में जो बीसो प्रतिशत सफलता मिल जाई त समुझीं कि भोजपुरी के विकास यात्रा के एगो जबर्दश्त क्रांति के शुरुआत हो गइल. हमार बधाई कबूल करीं.
    विमल

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अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 10 गो भामाशाहन से कुल मिला के पाँच हजार छह सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)


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गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया


(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(5)

5 अगस्त 2023
रामरक्षा मिश्र विमत जी
सहयोग राशि - पाँच सौ एक रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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