फेर बैतलवा फेंड़ पर

by | Apr 16, 2011 | 0 comments

कुछ लोग अपना असफलता से बरबाद हो जाला आ कबो कबो कुछ लोग अपना सफलता से बरबाद हो जाला. सफलता के पचावे के, ओकरा के सम्हार के राखे के, आ अपना सफलता के जोगवले राखत आगा के सफर जारी रखल जरुरी होला. कई बेर सफलता कुछ अलगे तरह के समस्या ले के आवेला.

अँजोरियो का साथे कुछ अइसने हो रहल बा. कवनो वित्तीय लाभ ना मिलला का बावजूद एकरा से अतना आत्मीय लगाव हो गइल बा कि थोड़हू देर खातिर कवनो व्यवधान आवेला त हम परेशान हो जाइले. वेबहोस्टिंग के अलगे समस्या होले. जबले राउर वेबसाइट लोकप्रिय नइखे होखत त एक से एक सस्ता वेबहोस्ट मिलल करेले बाकिर जसहीं रउरा वेबसाइट के लोकप्रियता बढ़ल होस्ट लोग अंकुशा लगावल शुरु कर देले. एह क्रम में एह होस्ट से ओह होस्ट तक आवत जात रहीं कवनो अन्तर नइखे पड़े वाला काहे कि उपर चढ़ के देखा त घर घर एके लेखा. करीब करीब हर वेबहोस्ट के एकही हाल बा.

खैर पहिला कदम में शेयर्ड होस्टिंग से उपर आ के सेमी डेडिकेटेट होस्टिंग तक के बोझा त उठा लिहनी. अब एकरा आगा जाये के हिम्मत नइखे. कोशिश रही कि एही सीमा में आपन काम कइल जाव. कुछ सुविधा कम कर के, कुछ इन्टरएक्टिविटी कम कर के काम चलावे के पड़ी.

रउरा ई जान के खुशी त जरुरे होत होखी कि राउर अँजोरिया पिछला कुछ महीना से लगातार हिन्दुस्तान के सबसे लोकप्रिय भोजपुरी वेबसाइट बनल बिया बावजूद एकरा कि एहिजा विवादास्पद मुद्दन से दूरी बना के राखल जाला. भोजपुरी के दुनिया में कतनो किचकिचाईन होखे अँजोरिया ओह सबसे बेखबर बनल रहे के कोशिश करेले. एह क्रम में कुछ लोग दोस्त से बदल के अपरिचित बन जाले, बाकिर हम संतोष कर लिहिलें कि चलऽ कम से कम दुश्मन त ना बनल. ना त एहिजा दोस्ती कब दुश्मनी में बदल जाई केहू नइखे जानत.

अँजोरिया के दोसर मजबूरी बा कि ई कोशिश कि भोजपुरी के प्रतिनिधि साहित्य दिहल जाव, जवन रचना चुनल जाव तवना के स्तर अँजोरिया के सुभाव का अनुरुप होखे. कुछेक रचनाकारन के एह पर आपत्ति भइल तबसे हम तय कर लिहनी कि अब केहू के रचना में सुधार, भा ओह लोग का नजरि में बिगाड़, ना करब आ रचना जस के तस परोस देब. अब उहे कर रहल बानी. दोसरा के सुधारल आसान ना होला त अपने सुधर जाये के तय कर लिहनी. तबहियो रउरा ई जान के खुशी होखी कि अब ले कवनो प्रतिष्ठित रचनाकार के हमरा संपादन भा अनुवाद पर कवनो आपत्ति नइखे भइल. आ एहसे हम सोचीलें कि हमार अनुवाद आ सुधार काम लायक होले.

आजु ई बाति कहे के कारण ई बा कि आजु फेर रात बारह बजे से सबेरे नौ बजे ले अँजोरिया बन्द रहुवे. कारण जाने के कोशिश कइनी त वेबहोस्ट से मालूम चलल कि एकरा पहिला पन्ना के बोझा कुछ बेसी बा जवना चलते ओही सर्वर पर मौजूद दोसर साइटन के दिक्कत हो रहल बा. एह सुधार का कोशिश में आजु बहुते कुछ बोझा घटा दिहले बानी. देखल जाव अब अगिला बेर व्यवधान कब आवत बा.

अँजोरिया के अंजोर बनवले राखे खातिर रउरा के धन्यवाद देत

राउर,
संपादक, अँजोरिया.

Loading

0 Comments

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

संस्तुति

हेल्थ इन्श्योरेंस करे वाला संस्था बहुते बाड़ी सँ बाकिर स्टार हेल्थ एह मामिला में लाजवाब बा, ई हम अपना निजी अनुभव से बतावतानी. अधिका जानकारी ला स्टार हेल्थ से संपर्क करीं.
शेयर ट्रेडिंग करे वालन खातिर सबले जरुरी साधन चार्ट खातिर ट्रेडिंगव्यू
शेयर में डे ट्रेडिंग करे वालन खातिर सबले बढ़िया ब्रोकर आदित्य बिरला मनी
हर शेेयर ट्रेेडर वणिक हैै - WANIK.IN

अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 10 गो भामाशाहन से कुल मिला के पाँच हजार छह सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)


18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया


(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(5)

5 अगस्त 2023
रामरक्षा मिश्र विमत जी
सहयोग राशि - पाँच सौ एक रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


अँजोरिया के फेसबुक पन्ना

Categories

चुटपुटिहा

सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


अउरी पढ़ीं
Scroll Up