बतकुच्चन १०६

by | Apr 17, 2013 | 1 comment


आजु पता ना काहे मन करत बा कि बिर्हनी के छत्ता खरकोंच दी. काहे कि एने कुछ दिन से मधुमाखी के छत्ता चरचा में आ गइल बा. अब मधुमाखियन के भरभरा के निकल पड़े खातिर अतने बहुत बा. बिना कुछ अउर बोललहू लोग भँभोरे निकल पड़ी बाकिर आजु त कहला बिना मनबो ना करब, भोजपुरियन के सुभाव होला कि बात कहेले खर्रा, गोली चले भा छर्रा. ई बात सोरह आना साँच ह कि बाते आदमी के पान खियावेला आ बाते लातो खियावेला. आ एकरा के हमनी बतबनवन से अधिका बस नेतवे बूझ सकेलें एह बात के. अब अतना भूमिका का बावजूद आजु कहे से पहिलही हम माफी माँग लिहल चाहत बानी. काहे कि आजु जाने अनजाने कूछ ना कुछ अइसन कहा जाई जवना के हो सकेला कि सभ्य श्लील समाज पसंद ना करे. बाकिर चूंकि ई स्तंभ… एक मिनट रुकीं. स्तंभ खातिर कवनो भोजपुरी शब्द सोचें दीं. दियरखा कइसन रही एह ला? पहिले का जमाना में दीवालन में दियरखा बनावल जात रहे. दियरखा माने जहाँ दिया रखाव. अखबार भा पत्र पत्रिकन का संदर्भ में स्तंभ आ दियरखा में बहुते कुछ एक जइसन मिल सकेला. दियरखा में रोज दिया बार के राखल जात रहे त स्तंभ में कवनो ना कवनो लेख टंगात टुंगात रहेला. हँ त आजु हम ऊ बात दोहरावल चाहत बानी जे पिछला दिने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री बड़ा ताव में कहले रहलन. कहल त जाला कि बिना बिचारे जो करे सो पाछे पछताय, काम बिगाड़े आपना, जग में होत हँसाय. त बिना बिचरले कुछ कइल आ बिना बिचरले कुछ कहल एके जइसन होला. काम त ओकर बिगड़हीं के बा दुनिया ओकरा पर हँसी भा थूकी से उपर से. हँ त नेता जी ताव में कह त गइलन कि नहर में पानी नइखे त हम का करीं? जा के ओहिजा सूसू करीं.? कहले त कुछ अउर रहलन बाकिर ओकरा के एहीजा दोहरावल जरूरी नइखे काहे कि “सूसू” से ऊ शब्द सभका यादो आ जाई आ हमरा बोलहू के ना पड़ी. हँ त पवार साहब कह त दिहलन सूसू वाली बात बाकिर बाद में ना त उगिलते बनत बा ना घोंटते. मौका गरम देख एगो दोसर नेता ओहू ले बेसी खराब बयान दे दिहलन कि अबकी जनता मत मत दी उनका के. बस मूत दिहला के काम बा उनका नाम पर. कुछ लोग कहल कि सत्ता के मद में मातल नेता के मुँह से अइसने कूछ निकले के उमेद कइल जा सकेला. आ उनकर हाल ई बा कि माफी माँगत माँगत परेशान हो गइल बाड़न बाकिर केहू सुने के तइयार नइखे. वइसहीं जइसे मधुमाखी के छत्ता खरकोंच दिहला का बाद भँभोरइला से बाचे खातिर कतनो जतन बेकार हो जाला. बाकिर जेकर पेशे होला मधुमाखी के छत्ता खरकोंचे के, से ऊ एगो मोट कम्मर लपेटले रहेला. राजा जमींदारन का जमाना में फेंकू राजा भा जमींदार अपना मुँह से निकलल बात के रफू करे खातिर रफूगर राखत रहुवे जवना के आजु का जमाना में स्पिन मास्टर कहल जाला. स्पिन मास्टर के काम होला कि बात के अतना घूमा दीं कि बतकुच्चन फेल हो जाव. सबसे पहिले बयान आइल रहे कि देश के तुलना हाथी से ना कर के मधुमक्खी के छत्ता से करे के चाहीं. सामने वाला नेता तुरते बात पकड़ लिहलन आ कह दिहलन कि देश जेकरा ला मधुमाखी के छत्ता होखे त ओकरा ला, हमरा ला त ई माई समान हियऽ, भा ओहू ले बढ़ के. एगो तिसरका नेता कह दिहलन कि मधुमाखी के छत्ता का बारे में कुछ ना कहीहें काहे कि शहद केकरा ना चाहे? अब आप सभे मधुमक्खियन के एह छत्ता के महल शुरू कर दीं. महल महले ना मथलो खातिर इस्तेमाल होला भोजपुरी में. सब बात हमहीं कह दीं त बतकुच्चन के आनन्द खतम हो जाई. अरधो कहे त सरबो बूझे, सरबो कहे त बरधो बूझे.

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1 Comment

  1. omprakash amritanshu

    बहुत नीमन से बतकुच्चन में बतकुच्चन के छाता भाभोराइल बा ,

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(1)


18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया


(4)

18 जुलाई 2023
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सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(5)

5 अगस्त 2023
रामरक्षा मिश्र विमत जी
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पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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