सियासत आ शराब के घालमेल के नतीजा

by | Dec 25, 2011 | 0 comments

– पाण्डेय हरिराम

पश्चिम बंगाल में सुंदरवन का गोदी में बसल अपेक्षाकृत कम शहरी बाकिर राजनीतिक प्रक्रिया में जरूरत से ज्यादा सक्रिय दक्षिण चौबीस परगना जिले के मोगराहाट में जहरीला शराब पियला से करीब पौने दू सौ लोग के जान चल गइल. सरकार मृतक परिवार दू दू लाख रुपिया मुआविजा के एलान कर दिहलसि. देश में अपना तरह के ई बड़हन घटना रहल. एहसे कुछ दिन पहिले कोलकाता के एगो अस्पताल में लागल आग से नब्बे लोग मरल रहे. ई दुनु घटना के जिक्र एह खातिर कइल जात बा कि अंदाजा लाग सके कि शासन तंत्र के लापरवाही कतना बेसी हो सकेला. ओहू ले बेसी चिंता के बाति ई बा कि सरकार अइसन घटना रोके का बदले ओह पर राजनीति शुरू कर दिहले बिया.

शराब से भइल मौतन का मामिला में सत्तारूढ़ तृणमूल कांगेस आरोप लगवलसि कि सगरी करतूत मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बावे. उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी खुल के कहलन कि ई सीपीएम के काडर कइले. ऊ जानतबूझत अइसन केमिकल शराब में मिलावेले कि लोग के जान चलि जाव. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विधानसभा में उ कहि के बखेड़ा खड़ा कर दिहल की जब सीपीएम नेता अब्दुल रज्जाक मौला मंत्री रहलें तबो उनुका नाक नीचे अइसने घटना घटल रहे. मौला दक्षिणे चौबीस परगना से चुनाव लड़ेलें. लेकिन एब एह बाति के जबाब के दी कि पिछला चार महीना से त ममते के सरकार बिया आ ऊ अपने का कइलसि रेल किनारे चलत भट्ठियन के बंद करावे खातिर. अगर राजनीतिक नजरिए के अलगा राख दीं ते एकर सबले बड़हन कारण प्रशासनिक भठियरपन कहल जा सकेला. मोगराहाट के इलाका कई माने में गैरकानूनी शराब के कुटीर उद्योग के केन्द्र बन गइल बा. सियालदह से आगे कैनिंग ले रेल लाईन का किनारे अवैध शराब चुआवल जाला जवना के एहिजा के बोली में ‘चुलाइ मद भा चुल्लू’ कहल जाला. 300 मिलीलिटर के पाउच में ई 9 रुपिया में बिकाले. एकरा के चाउर से बनावल जाला आ कोलकाता आ अगल बगल का इलाका में रबर के ब्लाडर में भर के भेजल जाला. चुल्लू शराब के मुख्य घटक इथेनॉल होला बाकिर ओकरा के अउरी नशीला बनावे खातिर ओहमें औद्योगिक स्तर के सोडियम क्लोरेट आ मिथाइल अल्कोहल मिला दिहल जाला. ई मिलावट वाला रसायन अतना खतरनाक होला कि 20 मिली पियला से आदमी आन्हर हो जाला आ 30 मिली पियल जान ले सकेले.

ई हादसा जवना इलाका में भइल तवना के बागलादेशी घुसपैठियन के गढ़ मानल जाला. ई लोग अपना भीतर भौगोलिक बंगलादेश लिहले चलेले आ ओकरा आ अपना हालात में तालमेल बइठावे में लागल रहेला. आर्थिक आ सामाजिक रूप में बहुते पिछड़ल ई आबादी राजनीतिक रूप से बहुते सक्रिय हवे आ ई ओकर जरूरतो हवे. अपना एही सक्रियता का चलते ई वर्ग अपना खिलाफ कवनो प्रशासनिक कदम के रोक देला. ई इलाका सुंदरवन के मुहाना पर बा आ एहिजा दक्षिण बंगाल के जंगलात का तरह माओवादियों के ना चले बलुक ‘ओह पार’ के तस्करन आ ओकनी के कूरियर्स के चलेला. कुल मिलाके ई इलाका राजनीतिक तौर पर जागरूक बाकिर सामाजिक तौर पर सूतल हवे. एहिजा के प्रखंड अस्पताल के डाक्टरन के ऊपर से निर्देश मिलत रहेला कि किवनो रोगी के इलाज खातिर बाहर जाये के सलाह मत देव. एहिजा सबले बेसी मरीज साँप काटल आवेले आ अस्पताल में दवाई ना रहला का बावजूद डाक्टर बाहर ना भेजस भलही मरीझ के जान चलि जाव. अस्पतालन में विश्व स्वास्थ्य संगठन से मिलल आ दोसर सस्ता दवाईये मिलेला. इलाका के लोग के माली हालत बहुते खराब बा. ई लोग कोलकाता के बाजारन में मजूरी करेला आ साँझ खा लवटत घरी लोकल टीसन का बगल से ‘चुल्लू’ पी के घरे लवटेला, औरतो मजदूरी करेली सँ भा शहर के विभिन्न इलाकन में अवैध शराब पहुंचावे के काम करेली सँ. ओकनी के शराब ढोवे के तरीको दिलचस्प होला. शराब से भरल रबर के थैली पेट पर अइसे बन्हले रहेली सँ कि लागो कि पेट से बाड़ी सँ. पुलिसो एह “राज” के जानेले. केनिंग से सबेरे आवे वाली पहिली लोकल से अवैध शराब के सैकड़ों कूरियर कोलकाता आवेले. पहिले के वाममोर्चा सरकार त नारा दे रखले रहुवे कि, ‘जे सर्वहारा मानुष खेटे खाछे ता कि आपोत्ति’ (सर्वहारा लोग जदि मेहनत कर के खा ता त कइसन आपत्ति). चूंकि बांग्लादेश में शराब पर रोक बा आ एहिजा ई कच्ची शराब बनावल आसान आ सुरक्षित बा, एह चलते एहिजा के विस्थापित शराब बनावे आ ओकरा के तस्करी से बांगलादेश चहुँपावेले आ ओने से चकलाघर खातिर लड़की ले आवेलें. इहे ना, बंगाल के खाड़ी से गुजरे वाला चीनी जहाजन से दवाइयन के अवैध खेपो उतार के ई लोग बाजार में चहुँपावेला. वोट बैंक के रूप में एह लोग के मान इनका के प्रशासनिक दबाव से आजाद राखेले. जहरीला शराब से मरल लोग के परिवार खातिर दू दू लाख रुपिया के मुआविजो का पाछा इहे कारण बा कि एह रुपियन से एह समुदाय के लागी सरकार इनका पर रहमदिल बिया आ बाद में ई आभार वोट में बदल जाई. एकरा पृष्ठभूमि में पश्चिम बंगाल के अर्थव्यवस्था आ समाज व्यवस्था बा. माली तौर पर पिछड़ल बंगाली समाज पूरा तरह से दू खेमा में बंटाइल बा. पहिला भद्रलोक, माने कि इलीट मिडिल क्लास, जेकरा के एहिजा के बोली में ‘घोटी’ कहल जाला. ई लोग बंगाल में शुरू से रहत आइल बा. दोसरा वर्ग हवे जवना के एहिजा ‘बांगाल’ कहल जाला आ जवन बांगलादेश से आइल बा. दुनु वर्ग में आंतरिक सामाजिक संघर्ष होखेला. चूंकि एहिजा के सरकार शुरू वे से कृषि आधारित अर्थव्यवस्था बढ़वलसि आ आपन नीति गरीबोन्मुख बनवलसि जवना में सरकार के जबरदस्त दखल रहे, एहिजा कवनो वैकिल्पक अर्थव्यवस्था के विकास ना हो सकल. नयको सरकार ओही दिशा में चलत बिया. मध्य वर्ग के निचला हिस्सा में भठियरपन के बढ़ावा मिलल बा आ अनैतिक अपराधन के कड़ी बने लागल बा. एह वर्ग के सियासी सक्रियता का बदले मिलल सुरक्षा कवच प्रशासनिक कार्रवाइयन पर असर डलले बा. एहसे ई लगभग निश्चित बा कि मौजूदा सरकार चाहे जतना बड़हन बतिया ले हालात के बदल ना सकी. आवे वाला दिन में अइसन घटना अउरीओ सुने के मिले त अचरज ना होखे के चाहीं.

(23 दिसम्बर 2011)


पाण्डेय हरिराम जी कोलकाता से प्रकाशित होखे वाला लोकप्रिय हिन्दी अखबार “सन्मार्ग” के संपादक हईं आ उहाँ का अपना ब्लॉग पर हिन्दी में लिखल करेनी.

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