rksingh-dubey-kuldeep12 दिसम्बर 2012 का दिने केन्द्रीय गृह मंत्रालय के बोलहटा पर दिल्ली आइल बिहार भोजपुरी अकादमी के अध्यक्ष प्रो रविकांत दुबे भारत के गृह सचिव आर के सिंह संगे लमहर बातचीत कइलन. एह बातचीत में प्रो॰ दुबे लगभग डेढ़ सौ पन्ना के दस्तावेजो गृह सचिव के सँउपलन. एह दस्तावेजन के देखला क बाद गृह सचिव के कहना रहल कि उनुका जवन चाहत रहल तवन भेंटा गइल.

गृह सचिव के एह कहना पर संगे आइल भोजपुरी पंचायत के संपादक आ मीडिया क्लब के महासचिव कुलदीप कुमार पुछिए लिहलन कि अब त सगरी बाधा दूर हो गइल भोजपुरी के आठवीं अनुसूची में शामिल करे के? त गृह सचिव बतवलन कि प्रो॰ दुबे से मिलल दस्तावेजन में ऊ सब कुछ बा जवना के जरूरत रहल आ अब भोजपुरी के संवैधानिक दर्जा देबे के काम तेज हो जाई.

प्रो॰ रविकांत दुबे भोजपुरी भाषा आ साहित्य के इतिहास लगभग एक हजार सालो से पुराना बतावत कहलन कि भोजपुरी में नाहियो त आठ से दस हजार किताब छप चुकल बाड़ी स जवना में भोजपुरी व्याकरण, शब्दकोष, तुलनात्मक अध्यन, भाषा आ साहित्य के इतिहास, आधुनिक लेखन, गद्य, पद्य समेत सगरी विधा के किताब शामिल बाड़ी स. भोजपुरी में पचासो से बेसी पत्रिका प्रकाशित होत बाड़ी स जवना के सूची गंह सचिव के दिहल गइल. उनुका के इहो बतावल गइल कि भोजपुरी फिलिम देश के 14 गो राज्यन में रिलीज कइल जाला आ देश में हिंदी सिनेमा का बाद भोजपुरिए सिनेमा के सबले बड़ बाजार बा.

भोजपुरी में प्राथमिक, माध्यमिक, इंटर, स्नातक, स्नातकोत्तर स्तर से लगाइत पी. एच. डी. तकले के पढ़ाई देश के अनेक विशवविद्यालयन में हो रहल बा. एहमें वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा, जय प्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा, बी. आर. आंबेडकर विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति, इंदिरा गाँधी उन्मुक्त विश्वविद्यालय के देश भर के अध्यन केंद्र, नालंदा खुला विश्वविद्यालय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय समेत अनेके नाम शामिल बाड़ी स. बिहार सरकार विधान सभा में अधिनियम पारित करा के भोजपुरी के विकास ला बिहार भोजपुरी अकादमी स्थापित करवले बिया. यूपीओ में एह तरह के अकादमी बनावे के माँग उठावल जात बा.

बातचीत क दौरान प्रो॰ दुबे कई गो सवालो उठवलन. जइसे कि

(1) भारत सरकार के गृह विभाग के पत्र संख्या – 7492 दिनांक 21 .08 . 2012 के अनेके बिंदू अव्यावहारिक बाड़ी स जवना में राज्य सरकारन से पूछल गइल बा कि कवना कवना सरकारी विभाग में भोजपुरी में काम काज होला, भोजपुरी के छात्र भोजपुरी के अलावे अउरी कवना विषय में भोजपुरी माध्यम से परीक्षा देलें भा फेर भोजपुरी इलाका के जे लोग जनगणना में मातृभाषा के नाम पर हिंदी लिखले बा ओह लोग के गैर भोजपुरी मानल जाव कि ना, वगैरह.

(2) का दोसरो भासन के संवैधानिक दर्जा देत घरी ई सब सवाल उठावल गइल रहल? जइसन अब भोजपुरी का मामिला में कइल जात बा.

(3 ) गृह मंत्रालय भोजपुरी के संवैधानिक मान्यता देबे के मसला जानबूझ के अझुरावत बावे आ बेमतलब के देरी पैदा करत बावे.

(4) 178 साल पहिले मॉरिशस गइल गिरमिटिया मजदूरन के वंशज आजु मारीशस में भोजपुरी के जवन मुकाम दिअवले बाड़न ओहसे हमनी का कई गुना पीछे बानी जा. ई हमनी के सरकार ला शरम के बात होखे के चाहीं.

(5) भोजपुरी भाषा भाषियन के प्रामाणिक जनसंख्या, संघ लोक सेवा आयोग के परीक्षा, भा भारतीय करेंसीं पर लिखावट जइसन समस्या का आधार पर मामिला अझूरावल गलत बा.

भारत सरकार के गृह सचिव आर के सिंह एह बातचीत में सहयोगात्मक रवैया देखवलन आ कहलन कि ई प्रस्ताव जल्दिए अग्रेसारित कर दिहल जाई. हालांकि गृह सचिव कुछ अउरिओ जानकारी मँगलन जवना के जल्दिए पठावे के भरोसा दिहलन प्रो॰ दुबे.


(कुलदीप श्रीवास्तव के रपट का आधार पर)

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By Editor

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