संसद के पिछला सत्र में तब के गृहमंत्री पी चिदम्बरम भोजपुरी में एगो वाक्य का पढ़ दिहलन कि लागल सरकार अब भोजपुरी के ओकर जायज हक देइए दिहलसि. चारो ओर से नगाड़ा बाजे लागल. बाकिर अबकी के सत्र में विचार करे वाला विषयन में भोजपुरी के विषय शामिले ना रहल.
बिहार भोजपुरी अकादमी के अध्यक्ष प्रो॰ रविकांत दुबे केन्द्र सरकार के एह आचरण के धोखाधड़ी बतावत खुलासा कइले बाड़न कि केन्द्रीय गृहमंत्रालय भोजपुरी के मान्यता के सवाल लटकावे खातिर बिहार सरकार आ ओकरा माध्यम से भोजपुरी अकादमी से नौ बिन्दूवन पर जानकारी मँगवले बिया. जवन सवाल पूछल गइल बा तवनन के उलूल जलूल बतावत प्रो॰ दुबे कहले बाड़न कि एह तरह के बेमतलब सवाल पूछला से इहे लागत बा कि केन्द्र सरकार भोजपुरी के मसला लमहर दिन ले लटकावल चाहत बिया.
भोजपुरी अकादमी के अध्यक्ष प्रो॰ दुबे ओह सवालन के जानकारी देत कहले बाड़न कि केन्द्र सरकार जानल चाहत बिया कि बिहार सरकार के कवन कवन विभाग भोजपुरी के इस्तेमाल करेले, भोजपुरी लिपि में कतना विद्यार्थी कवन कवन विषय के परीक्षा देबेलें, कतना लोग भोजपुरी बोलेला, कतना प्राथमिक आ मध्य विद्यालयन में भोजपुरी पढ़ावल जाले आ कतना विद्यार्थी एकरा कक्षा में बाड़ें, सरकार कतना भोजपुरी शिक्षक बहाल कइले बिया, आ कवना स्तर ले सरकारी काम में भोजपुरी के इस्तेमाल होला. एह सवालन से केन्द्र सरकार के मनसा साफ पता लागत बा.
एह दिसाईं प्रो॰ दुबे कहले बाड़न कि भोजपुरी अकादमी भोजपुरी इलाका के ओह सांसदन के विरोध करी जे लोग संसद में भोजपुरी के सवाल पुरजोर तरीका से नइखे उठवले.
(भोजपुरी अकादमी के विज्ञप्ति से)
अब त बुझात होई भोजपुरी के धुरंधर लोग के कि तमासा का होला!