लोकसभा में पेश “लोकपाल आ लोकायुक्त विधेयक -2011” के खास बात

by | Dec 23, 2011 | 1 comment

लोकपाल आ लोकायुक्त संस्था के उद्देश्य रही जिम्मेदारी में सुधार ले आवे पर जोर

  • केन्द्र खातिर लोकपाल आ राज्यन खातिर लोकायुक्त सस्था के स्थापना. एह संस्था का लगे भठियरपन रोके खातिर बनल कानूनन का तहत दायर शिकायत का बारे में अधीक्षण आ शुरूआती जाँच के निर्देश देबे के अधिकार रही जवना से जाँच करावल जा सके आ अपराधियन के सजा दिआवल जा सके.
  • एह विधेयक से केन्द्र आ राज्य दुनु का स्‍तर पर एक जइसन सतर्कता आ भठियरपन विरोधी खाका मिल जाई.
  • एह विधेयक में जाँच के मुकदमा चलावे से अलगा राखल गइल बा.

लोकपाल भा लोकायुक्त के संरचना का होई

  • लोकपाल संस्था में एक जने अध्यक्ष आ अधिका से अधिका आठ गो जने सदस्य रहीहें. एहमें से आधा लोग न्यायायिक क्षेत्र से जुड़ल होखी.
  • संस्था के कुल सदस्यन में से कम से कम आधा लोग अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछडा वर्ग, अल्पसंख्यक भा महिला होखे के चाहीं.
  • लोकपाल का लगे शुरूआती जाँच करावे खातिर एगो पूछताछ शाखा आ एगो स्वतंत्र अभियोजन खंड रही जवन मुकदमा चलाई.
  • लोकपाल के अधिकारियन में सचिव, अभियोजन निदेशक, पूछताछ निदेशक आ दोसर अधिकारी शामिल रहीहें.

लोकपाल कइसे चुनल जाई

लोकपाल के अध्यक्ष अउर सदस्यन के चुने खातिर एगो चयन समिति बनी जवना में नीचे लिखल लोग शामिल रही :-

  • प्रधानमंत्री
  • लोकसभा अध्यक्ष
  • लोकसभा में प्रतिपक्ष का नेता
  • भारत के मुख्य न्यायधीश भा उनुकर बतावल उच्चतम न्यायालय के कवनो मौजूदा न्यायाधीश.
  • आ एगो प्रतिष्ठित विधिवेत्ता जेकर नाम भारत के राष्ट्रपति बतइहे.

एह चयन समिति के मदद करे खातिर एगो सर्च समिति होई जेकर आधा सदस्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, दोसर पिछडा वर्ग, अल्पसंख्यक, आ महिला वर्ग से होखीहें.

लोकपाल के अधिकार के दायरा :-

  • प्रधानमंत्री के खिलाफ कवनो शिकायत के निपटावे खातिर खास तरीका अपनावे का शर्त का साथ कहल गइल बा कि लोकपाल ओह शिकायतन के जाँच ना कर सकी जवना के संबंध अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा, देश के भीतरी भा बाहरी सुरक्षा. सार्वजनिक आदेश, परमाणु उर्जा भा अंतरिक्ष से जुड़ल होखी.
  • दोसरे प्रधानमंत्री के खिलाफ शुरूआती पूछताछ भा जांच के शुरूआत तबे हो पाई जब लोकपाल संस्था के तीन चौथाई बहुमत अइसन फैसला करी. सगरी कार्रवाई कैमरा में रिकार्ड कइल जाई.
  • लोकपाल के दायरा में ग्रुप ए, बी, सी, डी के सगरी सरकारी कर्मचारी शामिल रहीहें. लोकपाल जब कवनो शिकायत जांच करे खातिर सीवीसी का लगे भेजी त सीवीसी ग्रुप ए, बी के अधिकारियन से जुड़ल शिकायतों पर आपन पूछताछ रिपोर्ट लोकपाल के भेजी आ लोकपाल आगे के कार्रवाई के फैसला करी. लेकिन ग्रुप सी आ डी का मामिला में सीवीसीए आगे के कार्रवाई अपना कानून का तहत करीहें जवना के रपट लोकपाल का लगे समीक्षा खातिर भेजल जाई.
  • हर ऊ संस्था, जे विदेशी योगदान नियमन कानून – एफसीआरए के तहत सालाना दस लाख रुपये से अधिका के दान बिटोरे ले, लोकपाल के दायरे में आई.
  • लोकपाल अपने से कवनो जाँच शुरू ना कर सकी.

विधेयक के अउरी खास बाति :-

  • लोकपाल के आदेश पर कवनो जांच शुरू करे खातिर केहू दोसरा से अनुमति लेबे के जरूरत ना रही.
  • लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष आ भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ प्रधानमंत्री के अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति सीबीआई के निदेशक चुने खातिर सिफारिश करी.
  • अदालती कार्यवाही चलत भा लटकल रहला का बावजूद भठियरपन से कमाइल धन के जब्त कइल जा सकी.
  • सार्वजनिक सेवा के प्रावधान से जुड़ल सार्वजनिक प्राधिकरणन के सगरी फैसला आ भठियरपन से जुड़ल शिकायत के निपटारा खातिर लोकपाल से आखिरी अपील कइल जा सकी.
  • लोकपाल कवनो मामिला में सीबीआई समेत कवनो जांच एजेंसी के अधीक्षण कर सकी भा ओकरा के निर्देश दे सकी.

शिकायत के निपटारा करे खातिर समय सीमा अइसे बनावल गइल बा

  • शुरूआती पूछताछ तीन महीना जवना के तीन महीना अउरी बढ़ावल जा सकेला, माने कि छह महीना.
  • जांच छह महीना जवना के छह महीना अउरी बढ़ावल जा सकी. माने कि एक साल.
  • मुकदमा एक साल जवना के अउरी एक साल ले बढ़ावल जा सकी. माने कि दू साल आ कुल मिला के साढ़े तीन साल ले आरोपी मजे से अपना कुर्सी पर रह सकी.

भठियरपन खतम करे वाला कानून के तहत विधेयक में सजा बढ़ावे के प्रस्तावो बा.
अधिकतम सजा सात साल से दस साल

कम से कम सजा छह महीना से दू साल ले.

विधेयक में हर सरकारी कर्मचारी खातिर अपना संपत्ति के खुलासा कानूनन जरूरी बना दिहल गइल बा.
विधेयक में पूछताछ कानून- 1952, भ्रष्‍टाचार निवारण कानून- 1988, आपराधिक प्रक्रिया संहिता-1973, केन्‍द्रीय सतर्कता आयोग कानून-2003 अउर दिल्‍ली विशेष पुलिस संस्‍थापना कानून-1946 में जरूरी सुधार करे के प्रावधानो डालल गइल बा.

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