विश्व भोजपुरी सम्मेलन के राष्ट्रीय अधिवेशन

by | Dec 14, 2014 | 2 comments

DeoriaSammelan-VishwaBhojpuri
विश्व भोजपुरी सम्मेलन के दू दिन के राष्ट्रीय अधिवेशन 11 आ 12 दिसंबर के धरमेर महलिया का समता बालिका इन्टर कालेज, भागलपुर (देवरिया) में भइल.

पहिला सत्र : ” भोजपुरी साहित्य के प्रगतिशीलता”

” भोजपुरी साहित्य के प्रगतिशीलता” विषय पर गोष्ठी के संयोजक राष्ट्रीय सचिव डा॰ अशोक द्विवेदी कहलन कि भोजपुरी जीवन संघर्ष आ शोषण-अन्याय का प्रतिरोध के भाषा हऽ एही से एकर साहित्य शुरुए से प्रगतिशील रहल. अउर कुल्हि भाषा साहित्य आ हिन्दी साहित्य में प्रगतिवाद बहुत बाद में 1935 का आसपास आइल बाकिर भोजपुरी में त कबीर अउर सिद्ध संतन में सामाजिल प्रगतिशीलता रहल. डा॰ प्रेमशीला शुक्ल कहली कि गैर बराबरी आ सामंती दबाव का खिलाफ भोजपुरी नारी चेतना जवना पुनर्जागरण ला संघर्ष कइलस ऊ ओकरा संत साहित्य आ लोक साहित्य में देखल जा सकत बा. विषय प्रवर्तन करत डा॰ विष्णुदेव तिवारी खुलासा कइलन कि राहुल सांस्कृत्यायन, भिखारी ठाकुर आ स्वतंत्रता का चेतना से भरल केतने भोजपुरी साहित्यकार शुरुआते से प्रगतिशील रहलन. हीरा डोम के भोजपुरी कविता हिन्दियो में दलित चेतना के मिसाल बा. भोजपुरी साहित्य के विविधता देखावत डा॰ भगवती प्रसाद द्विवेदी, तुषारकान्त वगैरह साहित्यकार बतवले कि कइसे भोजपुरी साहित्य आधुनिकता आ समकालीनता से जुड़ल रहल. राष्ट्रीय महासचिव अरुणेश नीरन कहलन कि भोजपुरी लोक अपना सुभावे में, हर जिया-जन्तु, पशु-पच्छी तक के आपन नजदीकी मनलस. रैदास, कबीर, दादू आदि कवियन से चलल प्रगतिशीलता भोजपुरी लोक का मत आ विचार के वहन करत रूढ़ियन आ सामंती सोच पर प्रहार कइलस. समापन करत संयोजक डा॰ अशोक द्विवेदी कहलन कि जड़ता का खिलाफ चेतना क संचार साहित्यकार क पहिल जिमवारी हऽ आ व्यक्ति-समाज का भीतर-बाहर शोषन, अन्याय का प्रति भोजपुरी साहित्यकार तटस्थ ना रह सकेला. ओके समता आ स्वतंत्रता का साथ मानवी-मूल्यन क चिन्ता करहीं के परी. भा साहित्य के प्रतिनिधि साहित्य प्रगतिशील आ रचनात्मक बा.

दुसरका सत्र : कवि गोष्ठी

KavitaPaath-Deoriaसंस्थापक अध्यक्ष स्व॰ परमहंस त्रिपाठी का स्मृति में आयोजित कवि गोष्ठी के उद्घाटन करे चहुँपल जिलाधिकारी शरद कुमार सिंह स्व॰ त्रिपाठी जी के चित्र पर पुष्पांजलि चढ़वलन. एकरा बाद शैलेन्द्र मिश्र आ साथियन के गावल ‘बटोहिया’ देशगीत आ डा॰ अशोक द्विवेदी के गीत ‘कोरो बाँस के बनल पलनिया रे, ताहि चढ़े सरधा के बेल / दिन भर जँगरा खटनिया रे, रात जरे नेहियाँ के तेल’ पर भावविभोर होत जिलाधिकारी शरद कुमार सिंह कहलन कि भोजपुरी सम्मेलन के ई सांस्कृतिक-जागरण ओह समय में उल्लेखजोग आ सराहेजोग बा, जब भोजपुरी क्षेत्र में अपना भाषा आ परम्परा का प्रति उदासीनता बढ़ रहल बा.

फेर समता बालिका विद्यालय का आधारभूत समस्या आ उहाँ सड़क-बिजली-पानी ठीक करावे ला चौपाल लगावे आ पूरा सहायता करे क घोषणा करत जिलाधिकारी कहलन कि विश्व भोजपुरी सम्मेलन के संस्थापक त्रिपाठी जी के समाजवादी प्रयास क्षेत्र का विकास खातिर प्रेरना के स्रोत बा.

रात के 8 बजे तक चलल राष्ट्रीय स्तर के कवि सम्मेलन में पढ़ल गीत, गजल आ व्यंग्य कवितन पर श्रोता आ सुधी साहित्यिक लोग भावविभोर रहे. शिवजी पाण्डेय ‘रसराज’ का वाणी वन्दन आ बियहे जोग भइल बिटिया के पिता के भाव दरसावत करुण गीत का बाद तारकेश्वर मिश्र ‘राही’ के लोकप्रिय काव्य पाठ भइल. विजय मिश्र आ कन्हैया पाण्डेय के चिकोटी काटत व्यंग्य रचना का बाद डा॰ भगवती प्रसाद द्विवेदी के वैचारिक गीतन से भाषा आ कविता दूनों के महत्व रेघरियावल गइल. शशि प्रेमदेव आ भालचन्द्र त्रिपाठी के मधुर मीठ गीतन पर सुनवइया वाह-वाह करे लगलन. डा॰कमलेश राय का सुकंठ गीतन से कवि सम्मेलन अउर ऊँचाई पर चहुँपल. डा॰ अशोक द्विवेदी के संवेदनभरल सामयिक सवैया आ प्रेमगीत पर सुनेवाला मंत्र-मुग्ध रहलन. गिरिधर करुण आ अकादमी सम्मान से सम्मानित हरिराम द्विवेदी के कविता पाठ का बाद विश्व भोजपुरी सम्मेलन के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष सतीश त्रिपाठी, विश्व भोजपुरी सम्मेलन का ओर से ‘सेतु सम्मान’ फेर से शुरु करे क घोषणा कइलन आ सगरी साहित्यकार, कवि, प्रतिनिधि आ आइल लोगन के धन्यवाद दिहलन.

तिसरका सत्र

‘राष्ट्रीय पुनर्जागरण में भोजपुरी लोक के स्त्री संघर्ष के भूमिका’ विषय पर एगो लघु गोष्ठी भइल जवना में डा॰ अरुणेश नीरन, डा॰ अशोक द्विवेदी, तुषारकान्त उपाध्याय, डा॰ भगवती प्रसाद द्विवेदी, उपेन्द्र कुमार तिवारी वगैरह लोग आपन आपन विचार राखल. एह विषय पर विस्तार में एगो गोष्ठी फेरी जुलाई में करावे के फैसला लिहल गइल. इहो तय भइल कि ओही समय सम्मेलन 30-31 जुलाई 2015 में देवरिया नारी सशक्तिकरण खातिर ‘मैराथन दौड़’ आ कवि सम्मेलनो आयोजित करी.

विश्व भोजपुरी सम्मेलन का ओर से राष्ट्रीय कार्यकारिणी का ओर से उत्तर प्रदेश में “भोजपुरी अकादमी” के गठन के घोषणा खातिर मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार, अखिलेश सिंह यादव के धन्यवाद देत प्रस्ताव पास भइल.

राष्ट्रिय कार्यकारिणी का ओर से इहो विचार भइल कि आगे से फेरु भोजपुरी साहित्य के सर्वतोभाब सेवा खातिर ‘सेतु सम्मान’ का रूप में प्रशस्ति पत्र आ एकावन हजार रुपिया दिहल जाई. लोककलाकारन के भिखारी ठाकुर सम्मान का साथ पन्द्रह हजार रुपिया दिहल जाई.

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2 Comments

  1. Editor

    ना.

    रेघावल आ रेघरिआवल में फरक होला. रेघारी से बनल बा ई दुनू शब्द बाकिर रेघावल के माने होला कवनो बात के लकीर ध लिहल आ बार बार ओही बात के रेघावल. जबकि रेघरियावल के मतलब होला कवनो बात के खास बतावल. रेघरियावल के माने भइल कवनो बात के रेखांकित कइल, ओकरा के महत्वपूर्ण बतावल.

    रेघावे खातिर कवनो बात के रेघावल जा सकेला बाकिर रेघरियावे खातिर ओह बात में दम होखे के चाहीं. रेघावल में नकारात्मक पुट होला जबकि रेघरियावल सकारात्मक होला.

    हालांकि रउरा बात रेघिआवल के कहले बानी. त हमरा समुझ से रेघिआवल के मतलब रेघरियावले जइसन होखी. रेघरियावल अन्डरलाइन कइला के कहल जाला जबकि रेघिआवल कवनो बोलल बात पर जोर दिहला के कहल जा सकेला. रेघावल में आदमी आपने बात दोहरावेला जबकि रेघिआवल में दोसरा के बात प जोर दिआला.

  2. दिलीप कुमार पाण्डेय

    रेघावल आ रेघिआवल में समानता बा का।

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