भारत के साहित्य अकादमी के प्रतिष्ठित भाषा सम्मान बीच-बीच में भारत के गैर-मान्यता प्राप्त भाषावन के साहित्यकारनें को समय-समय पर दीहल जात रहेला. भोजपुरी भाषा में पहिला बेर ई सम्मान बरीस 1996 में धरीक्षण मिश्र के मिलल रहुवे. ओकरा बाद बरीस 2001 में मोती बीए के आ बरीस 2013 में हरिराम द्विवेदी के भाषा सम्मान से सम्मानित कइल गइल रहुवे. अब आठ बरीस बाद फेरु भोजपुरी भाषा के दू गो साहित्यकारन के बरीस 2021 में सम्मानित कइल गइल बा.
भोजपुरी भाषा के रचनाकार डॉ. अशोक द्विवेदी अउर अनिल ओझा ‘नीरद’ के एह साल के साहित्य अकादमी भाषा सम्मान से सम्मानित करे के घोषणा भइल बा. एह सम्मान में साहित्य अकादमी एक लाख रूपिया के धनराशि अउर प्रतीक चिन्ह देबेले.
डॉ. अशोक द्विवेदी के आशीर्वाद हमेशा से अँजोरिया के मिलत आइल बा. डॉ. अशोक द्विवेदी भोजपुरी दिशाबोध के पत्रिका का रुप में जानल जाए वाला ‘पाती’ के संपादक हईं आ पिछला 40 बरीस से एह पत्रिका के प्रकाशन हो रहल बा. पाती पत्रिका के पुरनका कई एक अंक अँजोरिया पर उपलब्ध बा. मूलतः गाजीपुर के रहे वाले द्विवेदी जी बैंक अधिकारी रहला का बाद अब सेवानिवृत हो चुकल बानी आ बलिया उहाँ के कर्मभूमि रहल बा. द्विवेदी जी कविता, कहानी, उपन्यास, समीक्षा, समालोचना वगैरह हर साहित्य विधा में उल्लेखनीय काम कइले बानी. ‘रामजी क सुगना’ (निबंध संग्रह), ‘गांव के भीतर गांव’ (कथा संग्रह), ‘फूटल किरिन हजार’ (गीत संग्रह), ‘मोती बीए का रचना संसार’ (मोनोग्राफ), ‘कुछ आग कुछ राग’ (कविता संग्रह), ‘बनचरी’ (उपन्यास), ‘राम जियावन दास बावला’ (मोनोग्राफ), ‘भोजपुरी रचना आ आलोचना आदि’ अशोक द्विवेदी की महत्वपूर्ण भोजपुरी कृति हईं स. उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान के प्रतिष्ठित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार समेत दर्जन श्रेष्ठ सम्मान से उहाँ के सम्मानित कइल जा चुकल बा.
बलिया के मूल निवासी अनिल ओझा ‘नीरद’ जी करीब पचास बरीस से भोजपुरी साहित्य सृजन में लागल बानीं. भोजपुरी के चर्चित पत्रिका ‘भोजपुरी माटी’ के संपादक रहल आ ठेठ भोजपुरी शब्दन के प्रयोग में माहिर नीरद के साहित्य- सृजन के दायरा बहुते पसार में बा. गीत, नवगीत, गजल, दोहा, मुक्तक, खंड काव्य, कहानी, उपन्यास में बहुते कुछ रच चुकल नीरद जी के कर्मभूमि कलकत्ता (अब एकर नाम कोलकाता हो गइल बा) हवे. अनिल ओझा ‘नीरद’ के कुछ परोसा में काव्य संग्रह ‘माटी के दीया’, ‘वीर सिपाही मंगल पाण्डेय’ (खण्डकाव्य), ‘पिंजरा के मोल’ (गीत संग्रह), ‘गुरू दक्षिणा’ (कहानी संग्रह), ‘बेचारा सम्राट’, ‘कहत कबीर’, ‘आचार्य जीवक’ (ऐतिहासिक उपन्यास), ‘बेचारा सम्राट’, ‘कहत कबीर’, आ ‘आचार्य जीवक’ के नाम लीहल जा सकेला.
भोजपुरी भाषा में उत्कृष्ट लेखन खातिर डॉ.अशोक द्विवेदी अउर अनिल ओझा ‘नीरद’ के नाम के संयुक्त रूप से भइल घोषणा पर हार्दिक प्रसन्नता व्यक्त करत विश्व भोजपुरी सम्मेलन संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत दुबे साहित्य अकादमी के धन्यवाद दिहले बानी. कहले बानी कि 8 बरस बाद मिलल भोजपुरी साहित्यकारन के ई सम्मान भोजपुरी भाषा अउर साहित्य के प्रोत्साहित करे वाला निर्णय बा. श्री दुबे दुनु साहित्यकारन के भोजपुरी भाषा के संवर्धन ला कइल गइल कामन ला कृतज्ञता व्यक्त कइले बानी.
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