सिनेमा भोजपुरी के मन मिजाज बाकी फिलिमन से अलगा होला. एहिजा लीक से अलगा हटते दर्शकन के हाजमा बिगड़े लागेला. अइसना में केहु लीक तूड़े का जिद पर कामयाबी से अड़ल रहे, त ओकर कोशिश बड़ाई के काबिल होखी. अभिषेक चड्ढ़ा अइसने निर्देशक हउवे जे अपना हर फिलिम में प्रयोग के तरजीह देले. उनुका पिछला फिलिमन ‘गंगा’, ‘गंगोत्री’, आ ‘वाह! जीजाजी’ का बाद अब ‘गंगादेवी’ एह बाति के एगो अउर सबूत पेश करी. गंगादेवी में कथानको का स्तर पर एगो प्रयोग भइल बा. फिल्म में कवनो शिवपुर के महिला सरपंच गंगादेवी के कहानी के आधार बनावले एगो साहसिक कदम बावे. पहिला बेर एह फिल्म से बैडमैन गुलशन ग्रोवर आ जया बच्चन के भोजपुरी दर्शकों से रु-ब-रु करावल जात बा.

हालांकि बतौर निर्देशक अभिषेक चड्ढ़ा के खासियत ई बा कि ऊ ओह चीजन से छेड़-छाड़ ना करसु जवन भोजपुरी फिलिमन के आत्मा ह, लेकिन एकरा बावजूद उनुकर फ़िलिम लकीर के फकीर नज़र ना आवे. गंगादेवी के खास आकर्षण बाड़े अमिताभ बच्चन आ जया बच्चन. एह फिलिम में हर कलाकार के ओकरा परम्परागत इमेज से बाहर निकाल एगो प्रयोग करे के कोशिश भइल बा.

ई सब प्रयोग कतना सफल होखत बा ई आवे वाला समये बताई.

अपना हर फिलिम में गंगा नाम राखे वाला अभिषेक चड्ढा अब “गंगाराम जी” के तइयारी में लागल बाड़े. कहलन कि अगर मौका मिलल त बड़का कलाकारन के लेके “गंगा किनारे वाला” नामो से एगो फिलिम जरूर बनइहे.


(रंजन सिन्हा के रपट से)

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By Editor

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