पति आ पत्नी ज़िनिगी के गाड़ी के दू गो पहिया जस होलें. दुनु में सही तालमेल आ सामंजस्य होखी तबहिए ज़िनिगी के गाड़ी बे रुकावट बढ़त रही. मरदन का मुकाबले आज औरतो कवनो मैदान में पीछे नइखी स. आमतौर पर मरद बाहर के काम करेले आ औरत घर के. बाकिर जब औरत बाहर के काम करे, माने कि पइसा कमा के ले आव त ओह हालत में अगर मरद अपना मरजी से बिना कवनो दबाव भा मजबूरी घर के काम सम्हारे लागे त ओकरा के लोग मेहरी के गुलाम कहे लागेला.
एही विषय पर निर्माता करुनेश कश्यप शैला इंटरटेनमेंट के बैनर तले भोजपुरी फिलिम ‘मेहरी के गुलाम’ बनवले बाड़न जवना के निर्देशक संपादक गुड्डू जाफ़री, लेखक-गीतकार करुनेश कश्यप अउर संजय झरेला, संगीतकार प्रदीप, कोरियोग्राफर युवराज मोरे, एक्शन मास्टर हीरा यादव, कैमरामैन दिनेश आर.पटेल आ कार्यकारी निर्माता धर्मेश कुमार हउवें. एह फिलिम में पंकज केसरी, प्रीति सिंघानिया, बृजेश त्रिपाठी, हीरा यादव, करुनेश कश्यप, रवि रंजन, प्राची कश्यप, संजय झरेला, उपेन्द्र सिंह, हरेन्द्र शाह, शकाल, त्रिभुवन, प्रीतम पटेल, हरेश, किताबुद्दीन वगैरह खास भूमिका में बाड़ें.
(समरजीत)