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'हम वैशाली के माटी से प्यार करी ला' – मनोज तिवारी

by | Apr 8, 2012 | 0 comments

अपना बेजोड़ अभिनय आ गवनई से देशे ना विदेशो में धूम मचावे वाला भोजपुरी मेगा स्टार मनोज तिवारी के गाना पर वैशाली के जनता झुम उठल, जब अपना कार्यक्रम के पहिलके गाना गवले ‘हम वैशाली के माटी से प्यार करी ला’.

जैन तीर्थकर भगवान व‌र्द्धमान महावीर के जयंती पर आयोजित वैशाली महोत्सव का पहिलका दिने के सांस्कृतिक कार्यक्रम में मनोज तिवारी आकर्षक के केन्द्र बिंदू रहलन. उनुका के देखे सुने खातिर जिला के कोना-कोना से लोग वैशाली चहूँपल रहे. महोत्सव के पहिलका सत्र में उद्घाटन समारोह, नेता लोगन के भाषण वगैरह सुनला का बाद हजारों लोग के आंख अपना चहेता गायक-अभिनेता मनोज तिवारी के जोहत रहुवे. सांस्कृतिक कार्यक्रम के सिलसिला में मेलाडी आफ बिहार के नाम से मशहूर कल्याणी सिंह आ उनुकर सहयोगी कलाकार अपना ख्याति का अनुरूप कार्यक्रम पेश करि के दर्शक-श्रोता लोग के अपना जगहा पर बान्ह दिहले. ओकरा बाद भगवान महावीर के जन्म पर केन्द्रित मोहक नृत्य-नाटिका वैशाली कला मंच पेश कइलसि. हर प्रस्तुति का दौरान उद्घोषक ई कहि के तोस देत रहलन कि मनोज तिवारी आ उनुकर म्यूजिशियन अब मंच पर आवही वाला बाड़े. जबले मनोज तिवारी मंच पर अइले तब ले….

सुप्रसिद्ध लोक गीत गायिका शिक्षा सांभवी वैशाली के गौरव आ बिहार क सोन्ह माटी से अभिप्रेरित मधुर लोक गीत पेश कइली आयोजक मनोज तिवारी के कार्यक्रम सबले आखिर में शायद एहसे रखले रहले कि हजारों के भीड़ उनुका पहिले गायकन के धीरज से सुने. आयोजकन के ई योजना कामयाब रहल. जइसहीं शिक्षा सांभवी के गवनई खतम भइल मनोज तिवारी के सहयोगी कलाकार म्यूजिशियन म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट मंच पर लगावे लगले. अपना चहेता दर्शक-श्रोता लोगन के नब्ज पहिचाने वाला मेगा स्टार मनोज तिवारी बिना समय गंववले अपना सुपरिचित शैली में अपना खास अंदाज से मंच पर अवतरित भइले. वैशाली के पावन भूमि के नमन करत ऊ जइसहीं “हम वैशाली के माटी से प्यार करी ला” गावल शुरू कइलन हजारों जोड़ी हाथ ताली बजावे लागल.

भोजपुरी फिल्मों में चलत मौजूदा भटकाव के दौर का बावजूद हालात से समझौता ना करत आपन दामन साफ रखले मनोज तिवारी अवसर का अनुकूले देशी माटी के सोन्ह खुशबू बिखेरलन. कार्यक्रम के तय समय खतम होखला का बावजूद उनुका के छोड़े के तइयार ना रहले आ फरमाइश पर फरमाइश आवत जात रहुवे आ मनोजो तिवारी केहू के निराश ना कइलन.


(शशिकांत सिंह रंजन सिन्हा के रपट)

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