हिन्दी सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन के आपन आदर्श माने वाला भोजपुरी फिल्म अभिनेता पंकज केसरी अब कवनो परिचय के मोहताज नइखन. पंकज केसरी पटना से शुरूआती पढ़ाई कइला का बाद ग्रेजुएशन खातिर मुम्बई अइलन आ फेर फिल्मी परदा का ओर खींचा गइले. सिनेमा में अइले त अपना अदाकारी के बदौलत दर्शकों के दिल में उतर गइलन. फेर त बिहार के आरा से सटल गांव गउसगंज के रहे वाला भोजपुरिया मिजाज के ई अभिनेता फिल्मे के आपन कैरियर बना लिहलन. पंकज केसरी स्वभाव से बहुते मिलनसार आ हँसमुख हउवे. सरकारी अधिकारी रहल पिता हमेशा पंकज के प्रोत्साहित करत रहले. पिछला दिने अपना फिल्म “जीजा जी के जय हो” का शूटिंग का सिलसिला में पहिला बेर बलिया आइल रहले. हालांकि एहसे पहिले ऊ गड़हा महोत्सव खातिर साल २०१० मे बलिया आ चुकल रहले.
फिल्म का शूटिंग के दौरान सेट पर भइल बातचीत का आधार पर पेश बा ई रपट.
साल २००७ में ‘माई कS बिटवा’ से अतिथि कलाकार के रूप में कैरियर शुरू करे वाला पंकज केसरी बाद में रविकिशन आ रिंकू घोष अभिनीत ‘हमार घरवाली’ से आपन पहिचान बनवलन. उमर खान निर्देशित फिल्म ‘बकलोल दुलहा’ से पंकज के लोकप्रियता मिलल आ ऊ दर्शकन के चहेता बन गइलन. ओकरा बाद से अबले नाहियो त दू दर्जन से बेसी फिलिमन में पंकज आपन दमदार हाजिरी दर्ज करा चुकल बाड़न. अपना संघर्ष भरल कैरियर के शुरु में पंकज केसरी पृथ्वी थियेटर से जुड़के कला के बारीकि सिखलन. कहलन कि एक्टिंग खातिर अलग से कवनो प्रशिक्षण ना लिहले. बतवलन कि अपना पढ़ाई के दौरान एम-टीवी में दू साल एंकर रहला से पंकज के आत्मविश्वास बढ़ल आ तब ऊ बड़का परदा खातिर कोशिश शुरु कइलन. बाकिर निराशा मिलल. बाद में वीएमजी म्यूजिक कंपनी में डायरेक्टर बनलन आ अबहियो वीनस कंपनी से जुड़ल बाड़े. एही दौरान “माई कS बिटवा” से पंकज के सपना पूरल.
छोटका आ बड़का दुनु परदा पर काम कर चुकल पंकज के कहना रहे कि छोटका परदा पर किरदार के जबरन परोसल जाले जेकरा के चाहे अनचाहे मनोरंजन का नाम पर देखे के पड़ेला. जबकि बड़का परदा पर अपना नायक नायिका के देखे खातिर सिनेमा घर जाये के पड़ेला. अपना यादगार लमहन का बारे में बतावत पंकज केसरी बतवले कि फिल्म ‘हमार घरवाली’ के आउटडोर शूटिंग देखे उमड़ल बड़हन भीड़ देखि के रोमांच हो आइल रहे आ मनोबल सतवाँ आसमान पर चढ़ गंइल.
फिल्म ‘बकलोल दुलहा’ का बारे में पंकज के कहना रहल कि फिल्म में उनुकर दोहरा चरित्र दर्शकन के भोजपुरी के सोन्ह खूशबू आ गवंई संस्कृति के अहसास करवलसि. सच्चिदानंद’कवच’ के गीतो के लोग खूबे पसंद कइल. भोजपुरी सिनेमा के अश्लीलता का बारे में बतियावत पंकज कहले कि भोजपुरी के सलिल संस्कृति के अश्लीलता के दहलीज पर पहुंचावे में गीतकार आ गायक दुनु दोषी बाड़े. भोजने का तरह मनोरंजनो के आदत होला कि जइसन परोसल जाई उहे सवाद मन के नीमन लागे लागेला धीरे धीरे. कहलन कि निर्माता निर्देशको लोग के आगा बढ़े के पड़ी आ कामर्शियल सोंच से ऊपर उठ के भोजपुरी के अन्तर्राष्ट्रीय छवि संजोवे के पहल करे के होई. तब जा के आम दर्शक परिवार का साथे सिनेमाघर आवल शूरू करीहे. अवधी-हिन्दी भाषा के भोजपुरी संस्कृति आधारित फिल्म ‘नदिया के पार’ के मील के पत्थर मानत पंकज कहलन कि फिलिम मनोरंजक आ पारिवारिक होखी त इतिहास हमेशा बनत रही. कहलन कि देर सबेर वइसने साफ सुथर फिलिम दर्शकन तक जरूरे पहूची बशर्ते एकरा खातिर सार्थक प्रयास होखे.
बिहार यूपी के हीरोवन के जमावड़ा बा बाकिर हीरोइन साउथ भा बंगाल से आवत बाड़ी. एह पर पंकज कहलन कि अब भोजपुरियो इलाका के अभीनेत्री आवे लागल बाड़ी. बिहार आ यूपी में शूटिंग होखला से एहिजा के टैलेंट के मौका मिले लागल बा.
पंकज केसरी के लोकप्रिय फिलिमन में विधाता, प्रतिज्ञा, वाह खेलाड़ी वाह, तेजाब, मोरे बलमा छैल छबिला, परिवार, हीरो हीरालाल, नथुनिये पर गोली मारे, त्रिनेत्र, शहरवाली जान मारेले, जुदाई, हमार देवदास के नाम बा. उनुकर आवे वाली फिलिमन में प्यार जिंदाबाद बा, आग, खतरा, जीजाजी की जय हो, मर्द हिम्मतवाला, बकलोल दुलहा (पार्ट-2), शनिदेव रखिह लाज हमार वगैरह बाड़ी सँ.
(सुधीर सिंह उजाला के रपट से)