स्टार ना, सभ्यता-संस्कृति आ परम्परा चलेले – डॉक्टर सुनील

by | Jun 15, 2010 | 0 comments

बिहार झारखंड मोशन पिक्चर्स एशोसिएशन के अध्यक्ष डाक्टर सुनील कुमार के फिल्म उद्योग में हरफनमौला का रूप में जानल जाला. ऊ सफल एमबीबीएस डाक्टर हउवें, सफल वितरक हउवें, सफल प्रशासक हउवें, आ एगो सफल राजनीतिज्ञ का साथ-साथ एगो सफल निर्मातो हउवन. डा॰ सुनील अबले तीन गो फिल्में बनवले बाड़न. बंगला में कुली, आ भोजपुरी में चाचा भतीजा आ दामिनी. तीनो फिल्म बाक्सआफिस पर जर्बदस्त हिट भइली सँ. पेश बा डाक्टर सुनील से भइल बातचीत के कुछ अंश:-

सुनील जी रउरा बिजेम्पा के अध्यक्ष, बिहार शरीफ से विधायक, एगो डाक्टर, फिल्म वितरक, आ निर्मातो हईं. अतना सारा काम आ व्यस्तता का बावजूद रउरा फिल्म निर्माण खातिर समय कइसे निकाल लेनी? का फिल्म निर्माण राउर पेशा बन गइल बा?
देखीं. जवन करीले मन लगा के करीले. आ कवनो काम अगर रउरा दिल से करब त सगरी शक्तिय रउरा के ओहमें सफलता दिआवे में लागिये जाले. एहीसे लोग हमरा के हर क्षेत्र में सफल मानेला. रहल बात फिल्म निर्माण के, त ई हमार पेशा ना ह. फिल्म बनाइले लोग के राह दिखावे खातिर. जब बंगला में कुली बनवले रहीं तवना घरी लोग मिथुन चक्रवती के लोग भूला गइल रहे. बाकिर जब फिल्म बनल आ रिलीज बइल त बंगला फिल्मन के सगरी रिकार्ड टूट गइल. ओकरा बाद मिथुन चक्रवर्ती के बंगला फिल्मों में रिइण्ट्री भइल. ओह फिल्म के पूरा शूटिंग हम मैसूर आ हैदराबाद में कइले रही.

भोजपुरी फिल्मन के निर्माण में कइसे अइनी?
जब भोजपुरी फिल्म पुनर्जीवित भइल त लोग बोले लागल कि एहिजा सिर्फ स्टार कास्ट वाला फिल्मे चलेला. बाकिर हमार मानल ह कि क्षेत्रीय भाषा का फिल्मन में स्टारडम ना चले. अगर भाषा के आत्मा में समेट के निकहा कहानी पर फिल्म बनावल जाव त जरुरे चली. इहे सोच के भोजपुरी फिल्म निर्माण में उतरनी.

चाचा भतीजा के योजना कइसे बनल?
साल 2005 में जब राज्य में सरकार बदलल आ बदलाव आइल त हम बिहार के बदलत परिवेश देखत नौजवानन पर ध्यान केन्द्रित करत एगो कहानी तइयार कइनी, ओह पर काम कइनी आ एह बात के पूरा ध्यान रखनी कि फिल्म स्वस्थ मनोरंजन का साथे मार्गदर्शको साबित होखे. अइसनके भइबो कइल. फिल्म पूरा हिन्दुस्तान में धूम मचवलसि. ओकर पूरा शूटिंग हम बिहारे में कइनी आ उहो नया कलाकारन का साथ.

चार साल बाद फेर दामिनी के नींव कइसे पड़ल?
हमरा जिम्मेदारी सकारे में बड़ा मजा आवेला. दामिनी का निर्माण के पीछे कई गो कारण रहे. एक त एन कुछ दिन से भोजपुरी सिनेमा के निर्माण से अनसा गइल रहीं. लोग भोजपुरी सिनेमा के बदनाम करत रहे. बोलत रहे कि बिना अश्लीलता के भोजपुरी फिल्म बनिये ना सके. दोसरे ई कि निर्माता के सगरी पइसा स्टार कलाकारन के देबही में खतम हो जाला आ ऊ लोग बढ़िया फिल्म ना बना पावे आ तब फिल्म असफल हो जाले. दामिनी बना के हम सभके देखावल चाहत रहीं कि अगर मजगर कहानी होखे आ ओकरा के नया तरीका से परोसल जाव त निश्चित तौर पर दर्शक ओकरा के पसंद करीहें. चाहे ओह फिल्म में स्टार होखस भा ना. काहेकि दर्शको बढ़िया फिल्म देखे खातिर खोजत रहेले.

दामिनी जइसन फिल्म के विषय रउरा दिमाग में कइसे आइल?
देखीं, क्षेत्रीय भाषाई फिल्मन में अगर रउरा ओहिजा के सभ्यता-संस्कृति परम्परा से हटके फिल्म बनाएब त निश्चित तौर पर असफल साबित होखब. एहीसे हम एहिजा के सभ्यता-संस्कृति अउर परंपरा के अनुरूप दामिनी बनवनी आ दामिनी का मुख्य भूमिका में रानी चटर्जी के लिहनी. काहे कि उनके में ऊ दम रहे जवन हमरा विषय के अनुकूल पर्दा पर काम कर सके.

दामिनी के कइसन रिस्पांस मिलल बा?
भोजपुरी सिनेमा का इतिहास में पहिला बेर अतना बड़ शुरूआत कवनो फिल्म के मिलल. उहो एगो नन स्टार कास्ट फिल्म के. भोजपुरी सिनेमा के तथाकथित सुपरस्टारनो के फिल्मन के अइसन ओपनिंग कबो ना लागल रहे, ना सराहल गइल रहे. अगर कवनो स्टार कास्ट वाली फिल्म बाक्स आफिस पर थोड़ बहुत चललो बा त ओहसे निर्माता के कवनो खास फायदा नइखे भइल. हँ स्टारन के जेब जरूर भर गइल.

अब आगा के योजना का बा?
हम चाहत बानी कि हमनी के निर्माता बंधु एह सगरी पहलुअन के ध्यान में राख के फिल्म बनावस जवना से भोजपुरी सिनेमा के मान-सम्मान बढ़े. हम फैसला लिहले बानी कि अब हर साल एगो फिल्म जरूर बनाएब. अगिला फिल्म सेट पर कब जाई ई अबही तय नइखी कइले बाकिर कहानी पर काम चल रहल बा. कलाकारन में विराज भट्ट आ रानी चटर्जी जरूर रहीहें. एगो नया हिरोईन से भोजपुरी इण्डस्ट्री को परिचय कराएब.


(स्रोत : उदय भगत, आ रंजन सिन्हा से अलग अलग)

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