भोजपुरी फिलिमन के प्रस्तुतिकरण के खुश नइखन मनोज तिवारी

by | Oct 18, 2011 | 5 comments

एक कहावत ह चमत्कार के नमस्कार! इहो कहल जाला कि चमत्कार रोज-रोज ना होले. अइसने एगो चमत्कार भइल रहे साल 2004 में जब ‘ससुरा बड़ा पइसावाला’ बनल. ओह समय भोजपुरी में फिलिम बनत रहली सँ बाकिर ओतना ना जतना आजु बनत बा. एगो नाम रहल मनोज तिवारी ‘मृदुल’के जिनकर लोक गायक का रूप में श्रोता आ दर्शकन का बीच पहिचान रहे आ एही पहिचान के फिल्म में डाले के प्रयोग कइलन निर्माता सुधाकर पाण्डे आर निर्देशक अजय सिन्हा. प्रयोग सफल रहल आ लोकगायिकी के स्टार भोजपुरी सिनेमा के स्टार बन गइल. फेर त भोजपुरी सिनेमा में स्टार सिस्टमे शुरु हो गइल. एही चमत्कारी अभिनेता मनोज तिवारी से उनुकर हालिया फिल्म इंसाफ आ भोजपुरी सिनेमा के दशा-दिशा पर भइल खास मुलाकात के कुछ अंश एहिजा दिहल जात बा –

मनोज जी, एह साल राउर एगो बड़हन फिल्म ‘इंसाफ़’ आवेवाली बा. एकर कथावस्तु का बा आ एकरा से राउर उम्मीद का बा ?

‘इंसाफ’ कहानी ह न्याय के. न्याय से जुड़ल बहुते मुद्दा एहमें उठावल गइल बा. फिल्म में हम आ पवन सिंह पंच के बेटा बनल बानी बाकिर सगा भाई ना हईं जा. पंच का कुर्सी पर बइठला का बाद सगरी कर्तव्य अउर फर्ज के परीक्षा होत रहत बा.

आप सबले बेसी फिल्म अभय सिन्हा के कइले बानी. एगर हम गलत नइखिं त ‘इंसाफ’ उनुका साथ राउर नौवां फिल्म ह, कवनो एक निर्माता का साथ अतना फिल्म कइसे कर पवनी ?

अभय सिन्हा खातिर हमरा मन में बहुते इज्ज़त बा. उनुकर बाते हमरा ला एग्रीमेंट हो जाला. ऊ हमेशा कुछ नया कइल चाहेलें. उनुका फिल्म माध्यम के समुझ बा. पुरा इंडस्ट्री उनुका में रचल-बसल बा. फिल्म निर्माण से लेके वितरण ले सगरी बारीकियन से ऊ वाकिफ बाड़े. उनुका साथ काम करे के मतलब होला कि फिलिम बनी , बढ़िया बनी आ समय पर रिलीजो हो जाई.

आपके एह फिल्म ‘इंसाफ’ के कहीं त एगो नया निर्देशक अजय श्रीवास्तव निर्देशित कइले बाड़न. कइसन लागल उनुका निर्देशन में काम करि के?

अजय श्रीवास्तव नया जरूर बाड़े बाकिर अनाड़ी ना. उनुका सिनेमा के समझ बा. कइसे बढ़िया फिलिम बनावल जाला ई उनुका आवेला. उनुका साथ काम करि के बहुते बढ़िया लागल. ‘इंसाफ’ से पहिले उनुकर निर्देशित ‘हो गइनी तोहरे प्यार में’ अउर ‘नथुनिया पे गोली मारे’ बहुते बढ़िया बिजनेस कर चुकल बाड़ी सँ.

भोजपुरी सिनेमा के वर्तमान दौर के सुपर स्टारन के बात कइळ जाव त गायक से नायक बनल सितारन के अधिका सफनता मिलल बा. अइसन काहे ?

दरअसल, गायक से नायक बनला सितारा पहिलही से स्टार होखेले. ऊ दर्शकन खातिर नया ना होलें. पहिलहीं से ऊ उनुका मन में अपना गायकी आ अलबम का जरिये बसल होले. आ जब फिल्म में आवेलें त अपना स्टार के सिनेमा के बड़ला परदा पर देखे के ललक फिल्म के सफल बना देले. हम दिनेश जी, पवन जी आ अब खेसारी लाल जी सबही एही श्रेणी में आइलाँ. फिलिमन से आवे से पहिले हमनी का अनजान ना रहीं जा. हमनी के क्रेज मौजूद रहे. हम त कहब कि फिलिमन में अइला का बाद हमनी के हैसियत कम हो जाले, स्टारडम में कमी आ जाले.

आप सबसे अधिका सहज कवना नायकन का साथ महसूस करीलें ?

देखीं, हम दिनेश जी अउर पवन जी का साथे बेसी सहज महसूस करीलें. दुनु सहज सहज अभिनेता हउवें, अपना चरित्र के बखूबी समुझेले आ कहानी के मांग अउर किरदार के विशेषता ध्यान में राखत चरित्र के जियेलें. रवि किशन जी का साथ काम करे में असहज लागेला. ऊ चरित्र के परदा पर ना जियसु, बलुक रविए किशन के जीए के कोशिश करेले आ एहसे साथी कलाकार आ निर्देशक असहज हो जालें.

भोजपुरी फिल्म बनत 50 साल हो गइल बाकिर अबही ले कवनो ऐतिहासिक फिल्म ना बनल. एकर कारण का हो सकेला ?

अभय सिन्हा ना चाहसु ! जे दिन चाह लीहें ओही दिने बनि जाई. असल में ऐतिहासिक फिल्म बनावला आसान ना होखे. इतिहास के वातावरण बनावे खातिर शोध करे पड़ेला, ओह माहौल के फिल्मावे खातिर बड़हन बजट चाहेला. आ अधिकतर निर्माता का लगे अइसन इन्फ्रास्ट्रक्चर नइखे. हम त इहे जानीला कि भोजपुरी सिनेमा में अगर केहू सक्षम निर्माता बा जे ऐतिहासिक फिल्म बना सकेला त ऊ सिर्फ अभय सिन्हा हउवें. एही से कहनी कि ऊ ना चाहसु एहसे ना बनल !

भोजपुरी फिल्मों में गीत-संगीत का बहुत महत्व होला. ‘इंसाफ’ में गीत-संगीत कइसन बा ?

एह फिल्म के गीत-संगीत पर बहुत बारीकी से ध्यान दिहल गइल बा. संगीत बहुते बढ़िया बनल बा, एहमें हमार गावल तीन गो गीत बाड़ी सँ.

आप भोजपुरी के महानायक हईं. अपना पहिला फिल्म ‘ससुरा बड़ा पईसावाला’ से इंडस्ट्री के नया जिनिगी दिहनी. का आप भोजपुरी फिलिमन के मौजूदा दशा दिशा से संतुष्ट बानी ?

ना, पूरी तरह संतुष्ट नइखीं. कथा आ प्रस्तुतिकरण से संतुष्ट नइखीं. आजु अधिकतर फिलिम सेक्स का आसपास घूमत बाड़ी सँ एहसे ओकनी के मास अपील कम हो जाता. हमनी का अपना फिलिमन से दर्शकन के बढ़िया फिलिम देखे खातिर प्रेरित ना करीं बलुक ओह लोग के यौन पिपासा शांत करे के माध्यम बन गइल बानी. अगर दोसरा क्षेत्रीय, खास कर के मराठी फिलिमन के बात करीं, त ऊ बढ़िया फिलिम बना के दर्शकन के टेस्ट बदले के काम कइले बाड़ी सँ. मराठी दर्शकन में क्लासिक फिल्म देखे के चस्का लाग गइल बा, जबकि पहिले मराठीओ में वइसने फिलिम बनत रहली सँ जइसन आझु भोजपुरी में बनत बा. तब के मशहूर मराठी फिल्मकार रहलें दादा कोंडके. सही बा कि उनुकर सगरी फिल्म सफल रहली सँ बाकिर बाद में बनल मराठी के संवेदनशील फिलिमो के दर्शक अपनवलें. हँ, एक बात जरुर बा कि हम एह खातिर संतुष्ट बानी कि अब भोजपुरी फिल्मोद्योग बंद ना होई, भोजपुरी भाषा-भाषियन के बहुते पसराव भइल बा. ओहल लोग के मौजूदगी अखिल भारतीय बन गइळ बा. आ अपना परिवार से अलगा भइल लोग में अपनन से जुड़े के माध्यम बन गइल बा भोजपुरी सिनेमा.

आप स्टार हईं. स्टार के दखल सिनेमा के हर क्षेत्र में होखेला. ऊ कंटेंटो बदलवा सकेलें. अइसना में आप कवनो कोशिश काहे ना करीं ?

ना, एहमें हमनी के बेसी ना चले. हमनी का महज अभिनेता हईं जा. हमहन के जवन किरदार दिहल जाला ओकरा के बढ़िया से निभा दिहल हमनी के कर्तव्य होला. हँ कभी-कभार कुछ सलाह ज़रूर दिहिला सँ लेकिन ओकरा के मानल आ ओकरा पर अमल कइल निर्देशकन पर निर्भर करेला. काहे कि सिनेमा निर्देशक के माध्यम होला, उहे ‘कैप्टन ऑफ दी शिप’ होला.

हाल का दिन में आपके फिलिम बढ़िया व्यवसाय ना कइली सँ. का कारण रहे ?

अइसन नइखे. पिछला साल हमार फिल्म ‘रणभूमि’ सफल रहल. एक बात अउर. हमार फिल्म बढ़िया बनल बाड़ी सँ आ कालांतर में ओकनिये के याद राखल जाई आ देखल जाई. जहां ले हिट आ फ्लॉप के गणित बा त ई इण्डस्ट्री झूठ पर टिकल बिया, सात-आठ लोग के टीम बा जे मिल के इंटरनेट पर फिलिमन के हिट भा फ्लॉप करावत रहेलें. मुंबई में बइठ के ब्रांड ना बनावल जा सके. भोजपुरी इलाकन में जाईं त पता चली कि ब्रांड वैल्यू का ह ? आप कहत बानी कि हमार फिल्म असफल रहल बाड़ी सँ. अगर अइसन रहीत त हमरा शोज ना मिलीत. हम गायक हईं, आजुओ हमरा लगे शोज के भरमार बा, हमार शोज मंहगा बिकात बा. मार्केट में हमार क्रेज बा, बड़हन-बड़हन बात कइला से इण्डस्ट्री बड़हन ना हो जाले. जे लोग अइसन करत बा ओह लोग के ज़मीनी हक़ीक़त पहिचाने के चाहीं.

आपके आवेवाली फिल्मन कवन-कवन बाड़ी सँ ?

कई गो फिल्म बाड़ीं सँ. सबसे पहिले त ‘इंसाफ’ आई. ‘अंधा कानून’ लगभग पूरा होखेवाली बा. ‘ऐलान बा’, ‘यादव पान भंडार’ अउर ‘भईया हमार दयावान’ बा. दोसरो फिलिमन पर काम शुरु हो चुकल बा. एगो हिन्दीओ फिलिम साइन कइले बानी. एकरा बारे में बाद में बताएब. एह साल आप सभ के हमरा अभिनय से सजल बढ़िया-बढ़िया फिल्म देखे के मिली.


(स्रोत : शशिकांत सिंह)

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5 Comments

  1. prince rituraj

    kahe se ki unkar film me “aslilta” rahela jawan aaj kam ke darsak chahele,
    unkara ke “astitw” se kauno matlab na rahela

  2. Chandan tiwari

    Manoj ji mai aapke kathan se sahamat nhi hu, ki ravi kishan parde par kirdar ko jee nhi paate hai, lekin ? Fir bhi unki filme kyon superhit ho jaati hai,

  3. Ramu

    I like this

  4. Raghvendra

    मनोज तिवारी जी …. आपने एक लाइन में कहा है की आप रवि किशन के साथ काम करने में असहज महसूस करते हैं .. भाई आप ठहरे गायक वो ठहरे एक्टर ( वो भी अच्छे एक्टर ) अब आप ही बताइए आप कहां टिक पाएंगे ? फिर असहजता तो आएगी ही ना ? वैसे क्या ज़रूरत था इस सवाल और जवाब का हमको समझ नहीं आया ? आप तो आजकल भोजपुरी फिल्मो से भी गायब हैं वो भोजपुरी के साथ साथ हिंदी फिल्मो में भी नज़र आ जाते हैं ….आपने रणभूमि को हिट फिल्म बोला है जबकि फिल्म बकबास और फ्लॉप थी …खैर जैसा आप बोलें..हमारा काम तो सिर्फ पढना है और कभी कभी अपनी राय देना ..क्षमा प्रार्थी हूँ अगर सच कड़वा लगा हो तो ..

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