संस्कृति के जड़ एतना गहिर आ व्यापक बा कि अश्लील गीत से फर्क ना पड़ सकेला

by | Jan 7, 2012 | 0 comments

लखनऊ से प्रकाशित होखे वाली साप्ताहिक भोजपुरी पत्रिका “भोजपुरिया अमन” के ३० दिसम्बर वाला अंक में अरूण कुमार मिश्र के एगो साक्षात्कार छपल बा. ओही साक्षात्कार के एगो टुकड़ा एहिजा दिहल जा रहल बा.

आरा के कोईलवर खास में साल बासठ में जनमल अरूण कुमार मिश्र साल एकासी में पटना कॉलेज से ग्रेजुएशन कइले आ थियेटर में रूचि होखला का चलते कैमरामैन बन गइले. उनुका से जब भोजपुरिया अमन के संपादक डा॰ जनार्दन सिंह पूछले कि…

भोजपुरी गीत संगीत आ सिनेमा में अश्लीलता के बड़ी जोर शोर से परोसल जाता. एकरा चलते हमार संस्कृति भी खतरा में पड़ गइल बा. मनोज तिवारी भी अश्लीलता के बढ़ावे में दाल में घी के काम कर रहल बाड़न. एह संबंध में रउआ का कहे के बा ?

अरूण मिश्रा के जबाब रहे कि,

देखल जा, जे धन्धा करेला, उ इ ना जानेला कि एकर प्रभाव समाज पर कइसन पड़ी. उ मार्केट के देख के आपन व्यवसाय करेला. सबसे लमहर बात इ बा कि भोजपुरी सिनेमा के निर्माता लोगन के जवन लगन फैनिंसिअली मार्केटिंग के रहेला. भोजपुरी के क्षेत्र में मनोज तिवारी के कवनो विशेष योगदान नइखे. काहें कि सिनेमा भा कवनो कार्यक्रम के संपन्न भइला बा में एगो पानी पियावे वाला से ले के सांस्कृतिक कार्यक्रम वाला हर पात्र के विशेष जोगदान रहेला आ ओकर महत्व अतने बा जेतना मनोज तिवारी के बा.
कवनो तरह के अश्लील गीत भा सिनेमा के अइला से संस्कृतिर पर कवनो प्रभाव ना पड़ सकेला. कवनो सिनेमा भा व्यापार के अइला से कवनो फर्क ना पड़ सकेला. काहें कि संस्कृति के जड़ एतना गहिर आ व्यापक बा कि कवनों सिनेमा भा अश्लील गीत से फर्क ना पड़ सकेला.

डा॰ जनार्दन सिंह के दोसर सवाल रहल…
भोजपुरी भाषा के प्रति सिनेमा कलाकार राजनेता इ केतना संवेदनशील बाड़न. एकरा बारे में बताई.

अरूण मिश्रा के जबाब रहे कि,

हमार मातृभाषा भोजपुरी ह.बाकिर क्षेत्रीय रूप में भोजपुरी भाषा एक नइखे. हम लिख सकतानी बोल नइखीं सकत. हमनि किहाँ रिदम नइखे. काहें कि इहाँ एगो लड़िका लड़की के जब स्टेज पर भेजल जाला त लोग मजाक उड़ावेला. उ कहेला कि लउण्डा हो गइल बा त नचनिया हो गइल बा. ओहिजा बंगाल में, असम में दक्षिणी भारत में लोग खुश होके सहानुभूति देला आ प्रशंसा करेला. सबसे पहिले हमनि के आपन विचार कला के प्रति बदलिजा जबे ठीक हो सकेला.
मनोज तिवारी के कायदे से परीक्षा होई त कहीं से फिट ना बइठिहें. हमनि के सांसद विधायक जीत के विधानसभा आ लोकसभा गइला क बाद उ कबो भोजपुरी में उहवाँ ना बोलले लेकिन बंगाली, तमिल चाहे पंजाबी नेता अपना विधानसबा आ लोकसभा में उ आपना भाषा में बोलेल.
जुआ आ कला दुनु में समान अन्तर बा. कला के कवनो पाँव ना होला. सभे मेहनत करेला आँख मूंद के केहू आगे बढ़ जाला.

पूरा साक्षात्कार भोजपुरिया अमन के नयका अंक में बा.

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