फगुआ के पहरा: डा॰ विमल के काव्य संग्रह

by | Aug 6, 2012 | 0 comments

डा॰ रामरक्षा मिश्र विमल के हालही में प्रकाशित काव्य संग्रह “फगुआ के पहरा” में २७ गो गीत, २२ गो गजल आ ६ गो कविता बाड़ी सँ. डा॰ विमल हिन्दी आ भोजपुरी के साहित्यकार हईं आ मूल रूप से गीतकार हईं. अँजोरिया के सौभाग्य बा कि एहिजो डा॰ विमल के रचना प्रकाशित होत रहेला. फगुआ के पहरा में डा॰ विमल के शुरूआत से ले के आजु तकले के रचनाकाल के प्रतिनिधि रचना दिहल गइल बा जवना से नवही गीतकार के पोढ़ होत देखल जा सकेला.

चूंकि हम समीक्षक ना हईं एहसे एह संग्रह के समीक्षा ना कर के अपना मन के बात कहत बानी. एह संग्रह में कुछ रचना मन के छू लिहलसि त कुछ उपरे उपर निकल गइल. “कइल बदले के जे गलती हवा के रुख बगइचा में / ठेठावल जात बा जाङर उठवना रोज कुछ दिन से” समय के रुख देखावत बा त ” चतुर रहे दुशमन त नीमन बुरबक बेटो बाउर ह” लोकोक्तियन के सुन्दर इस्तेमाल.

गीत आ गजल का बारे में खुद डा॰ विमल मनले बानी कि एहमें शास्त्र मर्यादित फार्मेट के कठिन आग्रह ठीक ना होखी. निबाह ठीक रही बाकिर प्रयोग के राह खुलल रहे के चाहीं.

संग्रह के प्रकाशन बनारस के कला प्रकाशन से भइल बा. जहाँ तहाँ छपाई के गलती सवाद बिगाड़े के काम करत बा. भोजपुरी प्रकाशन के अभाव का चलते भोजपुरी के टाइपिंग आ प्रूफ रीडिंग में गलती रहबे करी आ एहु संग्रह में वइसने भइल बा. किताब के दाम २१० रुपिया राखल गइल बा जवन आजु का जमाना का हिसाब से प्रकाशक भले सही ठहरा देव आम पाठक एह दाम पर किताब खरीदे से कतराई जरूर.

डा॰ रामरक्षा मिश्र के संपर्क सूत्र

डा॰ रामरक्षा मिश्र विमल,
केन्द्रीय विद्यालय बैरकपुर (थल सेना)
कोलकाता 700120
मोबाइल – 09831649817

प्रकाशक के पता

कला प्रकाशन,
बी 33/33-ए-1, न्यू साकेत कालोनी,
बी॰एच॰यू॰, वाराणसी – 5

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