बतिया पंचे के रही बाकिर खूंटवा रहिए पर रही (बतकुच्चन – ११०)

by | May 21, 2013 | 0 comments


बतिया पंचे के रही बाकिर खूंटवा रहिए पर रही. आजु जब बतकुच्चन करे बइठल बानी त सामने टीवी पर अइसने कुछ बहस चलत बा. पंच त पंच महापंच के बात अनठिया देबे पर लागल बा सभे. आ हमहु एह पर बेसी कुछ ना कहब काहे कि कहल गइल बा कि जर जोरू जमीन जबरदस्त के होला. आ एहले जबरदस्त लोग के कहाँ बा. खैर, कहाउत में खूंटा के जिक्र आइल बा आ हम खूंटे से बान्ह के राखब आजु के बतकुच्चन. खूंटा, खुंटी, खूंट, खूंटल, खोंट, खटका, खुटका, खुटचाल, खुटचाली. जब अतना कुछ बा त पंच आ पंचइती में अझूरइला के जरूरते का बा?

एगो अउर कहाउत याद पड़त बा आजु. ना खेलब, ना खेले देब, खेलवे बिगाड़ब. एगो आदमी अपने खूंट से अतना खिसियाइल कि खूंट के खूंटे उखाड़ देबे के किरिया खा लिहलसि. अब एह आदमी के तुलना चाणक्य से कइल चाणक्य खातिर अपमानजनक होखी जे नंद वंश के नाश करे खातिर आपन शिखा खोल दिहले रहलें. अपने खूंट के खूटा उखाड़े खातिर खूंटा गाड़ देबे वाला एह खुटचाली के खुटचाल से अइसने नुकसान होखे के खुटका होखला का बावजूद ओकर खूंट अपना कान के खोंट साफ ना कइलसि आ ओकरा जब ले सुनाई पड़ल तबले बहुते देर हो गइल रहल. आ खेत के फसल कटइला का बाद बाच गइल बा त बस खूंटी. बड़ बूढ़ समुझावेलें कि रहरी रहरी चहेटबऽ त तहरो रहरी रहरी दउड़े के पड़ी. आ रहरी के खूंटी से भरल खेत में चहेटल कतना मुश्किल होला ई त चहेटही वाला जानेला. चलीं त चहेटल छोड़ एक बेर एक एक करके समुझल जाव.

खूंटा के मतलब समुझावे चलनी त एगो चुटकुला याद आ गइल. अंग्रेज जज़ सुनवाई करत रहुवे आ वकील साहब खूंटा के नाम ले लिहलें. जज साहब पूछलें, ह्वाट इज खूंटा? वकील साहब समुझवलें, खूंटा इज ए पीस आफ बम्बू हाफ उपर हाफ नीचा! खूंटा से जानवर बन्हालें, तम्बू तनाले, आ खूंटा गाड़ल माने कि कवनो बात के जिद्द ठान लिहल, कवनो बात पर अड़ गइल. खूंटी फसल कटला का बाद खेत में गड़ल रह जाए वाला बाचल खुंचल हिस्सा होला त दीवाल में ठोकल कवनो कील भा लकड़ीओ होला जवना पर कपड़ा झोला सामान टाँगल जाला. खूंट कहल जाला छोर के, कोना के, हिस्सा के, भा कवनो समूह के. खोंट कान में जमल गंदा के कहल जाला त खूंटल जाला कवनो चीज के बढ़ल रोकला खातिर. खेत में खर पतवार के खूंटल जाला त चना वगैरह पौधो के खूंटल जाला. एह खूंटला में ओह पौधा के निकलत मोलायम कोंपल के नोच लिहल जाला जेहसे कि उ अउर ना बढ़े बाकिर लदरा जाय. खटका भा खुटका कवनो अनेसा के, कवनो डर भा संदेह के कहल जाला. खुटचाल आ खुटचाली के मतलब त साफ बा.

बात आजु एह खूँटला का फेर में अतना लदरा गइल बा कि अब बस करत बानी. पड़ोसी के मिट्ठू तोता अपना मालिक के बात दोहरावल शुरू कर दिहले बा. जात जात अतना जरूर बतावल चाहब कि ओह तोता के अपना मालिक से अतना मोह बा कि ऊ पिंजरा खोलियो दिहला पर बाहर ना उड़ी, कह सकीलें कि ऊ उड़ले भुला गइल बा.

Loading

0 Comments

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

संस्तुति

हेल्थ इन्श्योरेंस करे वाला संस्था बहुते बाड़ी सँ बाकिर स्टार हेल्थ एह मामिला में लाजवाब बा, ई हम अपना निजी अनुभव से बतावतानी. अधिका जानकारी ला स्टार हेल्थ से संपर्क करीं.
शेयर ट्रेडिंग करे वालन खातिर सबले जरुरी साधन चार्ट खातिर ट्रेडिंगव्यू
शेयर में डे ट्रेडिंग करे वालन खातिर सबले बढ़िया ब्रोकर आदित्य बिरला मनी
हर शेेयर ट्रेेडर वणिक हैै - WANIK.IN

अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 10 गो भामाशाहन से कुल मिला के पाँच हजार छह सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)


18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया


(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(5)

5 अगस्त 2023
रामरक्षा मिश्र विमत जी
सहयोग राशि - पाँच सौ एक रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


अँजोरिया के फेसबुक पन्ना

Categories

चुटपुटिहा

सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


अउरी पढ़ीं
Scroll Up