एने कई दिन से अपना बिधुनाइल मन का चलते कुछ लिख ना पवले रहीं बाकिर काल्हु जब एक आदमी के धुनाइल देखनी त बतबनवा मन में बतकूच्चन होखे लागल. याद आवे लागल कुछ भोजपुरी कहाउत. बाते से आदमी पान खाला आ बाते से लात. एगो दोसर कहाउत ह बड़ जीव बतियवले, छोट जीव लतियवले. अब रउरा ई मत कहीं कि हम कहाउत के कुछ शब्द बदल काहें दिहनी ? बाति बेवहार में हमेशा साहित्यिक भा व्याकरण का हिसाब से सही होखल जरूरी ना होखे. एगो अंगेरजी ईडियम ह “पालिटिकली करेक्ट”. त बोले लिखे में हमेशा एह बाति के सावधानी राखे के चाहीं कि आदमी पॉलिटिकली करेक्ट रहे. पता ना कब कवना बाति पर कवन अक्खड़ राउर कपार फोड़े में लाग जाई.
खैर, बात बिधुनाइल आ धुनाइल से शुरु भइल त धुनिया आ बिधना तक जाये में कवनो हरज नइखे. धुनिया के काम होला रूई धुने के. अइसन धुन देवे के कि ओकर रेशा रेशा अलगा हो जाव. ओह धुनाइल रूई से बन तोसक तकिया रजाई के आनन्द बेधुनाइल रूई वाला से बढ़िया लागेला. अब बेधुनाइल आ बिधुनाइल सुने में भलही एक जइसन लाग जाव दुनु में धरती आकाश के अन्तर बा. बेधुनाइल मतलब जवना के धुनल ना गइल होखे आ बिधुनाइल ऊ जवन बिना धुनइले धुना गइल होखे ! बिधुनाइल मतलब जवन चिथड़ा चिथड़ा टुकड़ा टुकड़ा हो गइल होखे, बाकिर केहू दोसरा का चलते ना, अपने से. भा समय का फेर में. एह बिधुनाइल के बिधना से कवनो संबंध नइखे काहे कि बिधना त बिध लिखेला. बिध माने नियम कायदा. शुद्ध संस्कृत शब्द विधि के बिगड़ल रूप भा भोजपुरी रूप. अब बिधना केहू के बिधुनाइल किस्मत त देला ना, लोग अपने करम से भा सोचला का तरीका से बिधुनाइल हो जाव त अलगा बाति बा. ठीक ओही तरह जइसे संप्रग सरकार अपने से बिधुनाइल हो गइल बिया जबकि सगरी बिध बिधान लिखे के जिम्मेदारी ओकरे पर बा. कुछ लोग ओकरा बिध बिधान से बिखियाइल हो सकेला आ बिखियाइल लोग अमृत त बरसाई ना. देश धरम भाषा प्रान्त विचार के ले के कुछ अक्खड़ लोग हमेशा बिखियाइल रहेला ओहू लोग के ध्यान में राखे के चाहीं. बिखियाइल आदमी के समुझावल तबले संभव ना हो पावे जब ले ऊ शान्त चित्त ना हो जाव. दोसरे कवनो अइसन बाति कबो ना कहे के चाहीं जवना से समाज के बड़का हिस्सा असहमत होखे. असहमत होखे पर सहमत होखल हमेशा भा हरेक से संभव ना हो पावे. आ शायद एहीसे इहो बाति निकलल कि, गठरिया तोर कि मोर ? आगे के रउरा जानते बानी.