आजुकाल्हु चुनाव के मौसम बा आ बरसाती ढबुसा बेंग का तरह नेता उछल उछल के टरटरात बाड़े. सभे लागल बा एक दोसरा के भकठा बतावे, साबित करे में आ अपना के दूधे नहाइल बतावे में. अब सोचीं त भकठा के मतलब होला बिगड़ल, खराब. आ जे अइसन होला ओकरा के भकठल कहल जाला. अब चाहे ऊ सरकार होखे भा नेता भा छूरी. भकठल छूरी कवनो काम के ना होखे आ भकठल नेता समाज के कामे ना आ सके. भकठल छूरी लउकियो ना काट सके. अब भकठल आ भठियारा में उपर से देखे में एके जइसन लाग सकेला बाकिर भकठल आ भठियारा में बहुते फरक होला. भठियारा पतित होला बाकिर अपना काम में, आपन मकसद साधे में तेज होला. जबकि भकठल कवनो काम के ना होखे एकरा बावजूद ओकर पतित होखल, गइल गुजरल होखल जरूरी नइखे. भकठल कवनो काम के ना होखे. ना त ऊ दोसरा के मकसद पूरा सकेला ना आपन. आ शायद एही चलते नेतवा एक दोसरा के भकठल भले बता लें भठियारा बतावे में हिचके ले काहें कि जाने ले कि एह पोखरा सबही लंगटे बा. अब एहिजा सवाल उठत बा कि भकठा आ भठियारा में कइसन नेता नीक कहाई, कवना के चुनल जाव. एह कसौटी पर कसला पर लागी कि भठियारा नीमन भकठा ना. काहे कि भठियारा आपन मकसद साधे का फेर में देशो समाज के कुछ ना कुछ भलाई कर जा सकेला जबकि भकठा कवनो काम के ना होखी. ना त खाई ना खाये दी. खयके खराब कर दी. जइसे कि अपने देश के एगो नेता भठियारा त ना रहले बाकिर भकठल जरूर रहले. देश के दुर्भाग्य से बहुते बड़हन पद ले चहुँप गइलन बाकिर आजु देखल जाव त उनुका खाते एकहु बढ़िया बाति ना लउकी. सवाल बा कि उनुका ईमानदारी से देश के का फायदा भइल ? कुछऊ ना. आ ऊ अइसन भकठल नेता रहलें जे ना त अपना जाति के भइल, ना समाज के, ना देश के. समाज में आग लगा के आपन सत्ता सुख भोगे के फेर में जवन नुकसान कर गइलन तवन आजु ले देश आ समाज झेलत बा. हमरा समुझ से भकठल आ भठियारा के फरक साफ हो गइल होखी. अब रउरा सभे के हाथ में बा कि चुनाव का समय मिलल अपना जनतांत्रिक अधिकार वाली छूरी पर शान चढ़ावत बानी कि ओकरा के भकठावत अपना वोट के औने पौने में बेच देत बानी. याद राखीं कि वोट के एह अधिकार से रउरा आपन भाग्य अपना देश के भाग्य लिख सकीलें. अतने ना वोट दे दिहला का बाद फेर अगिला चुनाव ले निश्चिंतो जन हो जाईं. जागत रहीं, ताकत रहीं, अपना ताकत के बनवले रहीं. जइसे कि मालदीव मे भइल कि जनता के वोट से चुनाइल राष्ट्रपति जनते का विरोध का चलते कुरसी छोड़े पर मजबूर हो गइले. अगर जनता चुपा गइल रहीत त वइसनका लोग के तानाशाह बने में देर ना लागे. एहसे सरकार भकठे त भकठे अपना के मत भकठे दीं.

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कुछ त कहीं......

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