बतकुच्चन – ५६

by | Apr 22, 2012 | 1 comment


भाषा भोजपुरी से हमार परिचय नौ बरीस से बा. एह बीच बहुते तरह के लोग से भेंट भइल. कुछ ओह लोग से जे भोजपुरी में आपन धंधा करत बा त कुछ ओहू लोग से जे भोजपुरिए के आपन धंधा बना लिहले बा. सोचीं त दुनु में कवनो खास अंतर ना बुझाई बाकिर गौर करीं त मालूम होखी कि भोजपुरी में धंधा करे वाला कुछ ना कुछ करत बाड़े भोजपुरी खातिर बाकिर भोजपुरी के धंधा करे वालन खातिर जरूरी ना होला कि ऊ भोजपुरिओ खातिर कुछ करसु. ऊ लोग त बस भोजपुरी के आपन धंधा बना लिहले बावे, ओही बहाने आपन काम बनावे खातिर देश दुनिया घुमे खातिर. ई लोग कबो भोजपुरी के आठवीं अनुसूची में शामिल करावे के बात करेला त कबो भोजपुरी से अश्लीलता मेटावे खातिर. बिना ई जनले कि आठवीं अनुसूची में शामिल होखे से पहिले ओकर भाषा का रूप में पहिचानो होखल जरूरी बा. भारत सरकार भोजपुरी के भाषा मनबे ना करे, ओकरा खातिर त ई हिंदी के एगो बोलिए भर हवे. भोजपुरी के भाषा माने में का परेशानी बा सरकार? सबले बड़का परेशानी बा हिंदी के धंधेबाजन के जे कबो ना चहले कि भोजपुरी के भाषा के दर्जा दिहल जाव. हिंदी के बहुते विद्वान रहले भोजपुरिया बाकिर भोजपुरी में लिखे में उनुका आपन पहिचान बनला में दिक्कत लागल से उहो लोग भोजपुरी के बोली से उपर ना उठे दिहल चाहल. अब ई सब बतियावे में ऊ लोग पीछे छूट गइल जे भोजपुरी में आपन धंधा करेला. कवनो दिने हमरा मन में ओह लोग खातिर बेसी इज्जत बा बनिस्बत ओह लोग से जे भोजपुरी के आपन धंधा बना के रखले बावे. भोजपुरी में धंधा करे वाला जरूरी नइखे कि भोजपुरिए होखसु. ऊ हर भाषा से आवत बाड़े. उनुका त बस धन चाहीं, जहाँ से भेंटाव. भोजपुरी बुझाव भा ना अतना त जरूरे बुझात बा कि भोजपुरी में माल बा. भोजपुरी फिलिम भा अलबम बना के कमाई कइल जा सकेला आ ऊ लाग जाते बाड़े भोजपुरी फिलिम भा अलबम बनावे बेचे में. अब एह धंधा में कतना आ कइसन कमाई बा जे एगो अलगे अध्याय हो जाई एहसे एकरो के एहिजे छोड़त बानी आ अब धन के धाह लूटे वाला एह धंधेबाजन के छोड़ ओह लोग के बात करत बानी जे आपन धन-दाह करे के धंधा में लागल बाड़े. अब ई धन-दाह के धंधा का होला? ई ऊ धंधा ह जवना में लोग धंधा त करेला बाकिर अपना धन के दाह कर के. एह तरह के लोग अखबार-पत्र-पत्रिका-किताब छपवावेला, वेबसाइट चलावेला. निमना से जानत कि एह धंधा में धन-धाह ना मिली, धन-दाह जरूर हो जाई. बाकिर ई लोग कम से कम भाषा भोजपुरी खातिर कुछ करत बा. एह लोग खातिर भोजपुरी धंधा ना ह, एह लोग के धंधा भोजपुरी में बा, भोजपुरी खातिर बा. ई लोग भोजपुरी में कुछ ना कुछ रचत बा, सँजोवत बा, सहेजत बा. एही लोग का चलते भोजपुरी अइसन बनल बिया जे धन-धाह लेबे वाला लोग भोजपुरी में आपन धंधा करत बा आ उहो लोग जे भोजपुरी के आपन धंधा बना के आपन छवि चमकावत बा. भोजपुरी के ओहसे कवनो फायदा होखे भा ना ओह लोग के जरूरे फायदा, कुछ अनुदान-पुरस्कार मिल जाई, कुछ जगहा से निमन्त्रण मिल जाई आ देश दुनिया घूमे के मौका. लोग कह सकेला कि ई सब कुछ हम ओह लोग का डाहे कहत बानी. बाकिर डाहे ना डहइला का चलते कहत बानी. अब धाह, दाह, डाह, डहला, दहला पर फेरू कहियो चरचा होखी. आजु बस अतने.

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1 Comment

  1. चंदन कुमार मिश्र

    फेसबुक पर लिखल एगो बात…

    खड़ी बोली का सँवरनिहारन में से अगर भोजपुरी लेखकन के निकाल देहल जाय, त ऊ श्रीहीन हो जाई। कबीरदास, दरियादास आदि आदि निर्गुणिया सन्त लोग के त ई भूमिए रहे, सदल मिश्र, भारतेन्दु बाबू, रामदीन सिंह, देवकीनंदन खत्री, जयशंकर प्रसाद, प्रेमचंद, रामचन्द्र शुक्ल, राहुल सांकृत्यायन, श्यामसुन्दर दास, शिवपूजन सहाय, राजा राधिकारमण प्रसाद सिंहा, पाण्डेय बेचन शर्मा उग्र, हजारी प्रसाद द्विवेदी सभे त भोजपुरी-भाषिए रहे।

    – पृ 25, भोजपुरी व्याकरण- आचार्य रामदेव त्रिपाठी, प्रकाशक- भोजपुरी अकादमी, 1987

    नये लोगों में से तो केदारनाथसिंह से लेकर मैनेजर पांडेय तक मूलतः भोजपुरीभाषी ही हैं।

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
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सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
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पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 10 गो भामाशाहन से कुल मिला के पाँच हजार छह सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)


18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया


(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(5)

5 अगस्त 2023
रामरक्षा मिश्र विमत जी
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पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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