बतकुच्चन – ६६-६८

by | Jul 15, 2012 | 0 comments

बतकुच्चन – ६६

सोमार के बरखा त बरखल बाकिर अबहीं लर नइखे लागल. लर के मतलब त होला रसरी, सूतरी भा धागा बाकिर एकरा के निरंतरता भा लगातार होखे-बोले वाला बातो खातिर इस्तेमाल कइल जाला. का लर ध लिहले बाड़, एके बात के? जइसे कि पिछला दिने नेता दीदी लर ध लिहले रही एके नाम के कि राष्ट्रपति उनुके के बनाइब. बाद में उहे मुकर गइलन कि ना एह लथार‍-पथार में हम गोड़ ना धरब. बुद्धिमान मनई हउवन से एह लरछूतन से अलगे रहे के फैसला कइलन. लरछूत मतलब छूतहा बेमारी जवन एक लर से दोसरा लर ले पसरल जाला. एह पसरला पर धेयान आइल कि लर आ लतर एके तरह के होला. बाकिर लर अपना से ना बढ़े जबकि लतर अपने से बढ़त जाले. लतर लतरेला अपना फल फूल से बाकिर लर ना फरे ना फुलाव. लर का सहारे दोसर लोग बढ़ेला जबकि लतर दोसरा के सहारा लेके खुद बढ़त जाले. लतर कई बेर परजीविओ होले जबकि लर हमेशा निर्जीव चीज होले. हालांकि लर-झर बड़हन परिवार के कहल जाला. लर माने पुरनका पीढ़ी आ झर माने बाद वाली पीढ़ी. जेकर लर-झर ढेर रहेला ओकरा से केहु अझुराव ना. लथर-पथर आ लथार-पथार में फरक होला. लथर-पथर अस्त-व्यस्त होखला पर कहल जाला जबकि लथार-पथार जरूरत-बेजरूरत के बेसम्हार बिटोर के कहल जाला. जइसे कि कूड़ादान में लथार-पथार मिलेला. कई बेर लर-झरो लथार-पथार के रूप ध लेला. जइसे कि गठबन्हन में. गठबन्हन के लर-झर कब लथार-पथार बनि जाई केहु ना बता सके. लर-झर से परिवार के बेकति जरूर बढ़ जाला बाकिर एह बढ़ला से ओकर बेंवतो बढ़े ई पकिया तौर पर ना कहल जा सके. बेकत माने व्यक्ति, परिवार के सदस्य जबकि बेंवत माने क्षमता, ताकत. काल्हु के बरखा से उमेद हो गइल बा कि मानसून दू चार दिन में पश्चिमी बिहार आ पूर्वाचलो ले चँहुप जाई आ जब बरखा के लर धर ली त धान के बोआई कइल आसान हो जाई. पटवन के जरूरत ना पड़ी. पटवन पटइला जइसन सुने में जरूर लागेला बाकिर एकर मतलब होला सिंचाई, खेतन में पानी पटावल. खेत में पानी पटावल आ राजनीति में गईयाँ पटावल एके जस ना होले. गईंया पटावत पटावत कब पटकनिया दे जाई ई बतावल ना जा सके. गईंया के मतलब होला टीम के सदस्य. एह गईंया के गोतिया से मिलवला के कवनो जरूरत ना होखे काहे कि गोतिया गोत्र से उपजल शब्द ह, पटीदार जब पटीदार ना रह जाव त गोतिया हो जाला. ना त गोतिया पटिदार एके तरह के लोग के कहल जाला. पटीदार से कहीं ना कहीं सीधा जुड़ाव होला जबकि गोतिया से गोत्र का सहारे. पटीदार बिजनेस के पार्टनरो के कहल जा सकेला बाकिर ई अधिकतर पारिवारिक संपति के हिस्सेदारे के कहल जाला. पार्टनर खातिर बढ़िया शब्द होला साझीदार. हालांकि एह साझी में कवना कवना चीज के साझा बावे कहल ना जा सके. नेता दीदी नेता जी के आपन साझीदार बनावल चहली बाकिर नेताजी उनुका के धोबिया पाट दे के आपन गोटी लाल कर लिहलें. भगवान भला करे यूपीए के जिनकर साझीदार हो गइल बाड़ें अब नेताजी. का का आ कतना वसूलीहें ई के जानत बा. बाकिर एह बतकुच्चन के लर कहीं त टूटे के चाहीं. देखीं ना लरछूत लेखा कहाँ से कहाँ चलि अइनी. आजु बस अतने.


बतकुच्चन – ६७

जबरा मारबो करे आ रोवहू ना देव. एह भोजपुरी कहाउत के सच्चाई से शायदे केहू के विरोध हो सकेला. आ ई जबरा रउरा कतहींओ भेंटा सकेला. घर में, आफिस में, सफर में, राजनीति में, संगठन में. ओकर खासियत इहे होला कि अपने ऊ कतनो चिल्लाव बाकिर सामने वाला का मुँह पर हमेशा जाबी रहें के चाहीं. अब जाबी जाने नी नू कि कवना चीझु के कहल जाला? मत कहीं कि दँवाइल नइखीं देखले, धान के दँवरी ना होखे गेंहू जौ के जरूर होला. आ दँवरी होखत घरी दँवरी करे वाला बैलन का मुँह पर जाबी पहिरावल रहेला कि ऊ मुँह मत मारे आ चुप चाप दँवरी करत रहे. जाबी कवनो चीझु से बनल हो सकेला, बस मुँह बान्हे लायक होखे के चाहीं. अब जबरा के पीटल आ बएला के दाँवल एके जइसन नू होला. दुनु के मकसद एके होला कि सामने वाला के एतना तूड़ दीं कि ओकर सब कुछ जबरा का हाथे लाग जाव. पिछला दिने राजनीति के एगो जबरा देखे के मिलल जे अपने संघतिया का मुँह पर जाबी लगावत कहलसि कि तू आपन नेता चुन लऽ. चुने के काम तोहार बा बाकिर बस अइसन चुनऽ जवना के हम चाहऽतानी. आ तोहरा लगे केहू ओइसन नइखे त हमरे में का बुराई बा हमरे के आपन नेता घोषित कर द. एकरा बाद त ढेर दिन से दमि सधले ढेबुसा बेंग निकले लगलें आ टर्र टर्र शुरु हो गइल. बाकिर कहल गइल बा नू कि ना अति बरखा ना अति धूप, ना अति बोलता ना अति चुप. अति कवनो चीझु के खराब होले. अति के अंतो जल्दिए हो जाला. तबे नू एगो ट्रक का पीछे लिखल देखनी कि जुल्म किए तीनो गए धन धरम और वंश, ना मानो तो देख लो रावण कौरव कंस! रावण के अतिए के परिणाम रहल कि एक लाख पूत सवा लाख नाती ओकरा घरे दिया ना बाती. एह बात के हमेशा धेयान में राखे के चाहीं आ कबो कवनो बात के अति ना करे के चाहीं. जबरा तबहिए ले मार सकेला जबले मार खाए वाला बरदाश्त कइले बा. जहिया ऊ तय कर लिहलसि बस तहिये बस में आ जाए के पड़ेला हर जबरा के. पिछला दिने इमरजेन्सी के बरखी मनावल गइल. हालांकि कवनो बेसी चरचा ना भइल काहे कि इमरजेन्सी के समर्थक आ विरोधी दुनु छितरा गइल बाड़ें आ दुनु तरफ मौजूद बाड़ें. बाकिर एक बात त मानही के पड़ी कि तब सरकार के लागल रहे कि विरोध के अति होखऽता त ऊ इमरजेन्सी लगवलसि आ जब लोग के लागल कि ई अति हो गइल त बरेली का बाजार में झुमका गिरही के रहल गिरबो कइल. हालांकि ओकरा बाद जवन भइल तवन दोसरे तरह के अति हो गइल. ढेर दिन से बेमार आदमी के ठीक भइला पर अचके भारी गरिष्ठ खाना ना दिहल जाव खाए के. ओकरा के पथ दिहल जाला. पथ माने पथ्य जवन आसानी से पच जाव. काहे कि ना पचे वाला भोजन अएगुन कर सकेला, नुकसान चहुँपा सकेला. अएगुन अवगुण से बनल बा आ जबरा में अवगुण भरल होला. जबर होखल अपने में एगो अवगुण होला जवन अएगुन करबे करी. आ जबरा के उलटा होला अबरा, अबर. अबर माने जेकरा में बर, बल, ना होखे. जे बरियार बा से जबरा बनि जाला जे बरियार ना होखे ओकरा अबर बनि के जिए पड़ेला. बाकिर हमेशा याद राखीं कि केहू के जबरा बनावे का पाछा सामने वाला के अबर होखल जरूरी होला. एहसे अबर मत बनीं कि जबर झेले के पड़े.


बतकुच्चन – ६८

आजु बतकुच्चन लिखे बइठल बानी त दिमाग में भगाड़ जइसन बन गइल बा. भगाड़ जानीले कि का होला? कवनो बड़हन गड़हा के भगाड़ कहल जाला आ मकान बनावत घरीओ भगाड़ बनावल जाला जवना में मकान बनावे के मसाला फेंटल जाला. ऊ मसाला पुरनका जमाना में माटी आ बस माटी होत रहल, बाद में सुर्खी चूना आइल आ आजु का जमाना में सीमेंट बालू छर्री. कुछ अइसने एगो बड़हन भगाड़ वैज्ञानिक बनवलें जमीन का डेढ़ सौ मीटर गहिरा में जहाँ ऊ लोग गॉड पार्टिकिल के खोज करे खातिर आपन प्रयोग कइल. आजु ओह प्रयोग के कुछ जानकारी देत वैज्ञानिक लोग दावा कइले बा कि अब ऊ लोग गॉड पार्टीकिल का बहुते नजदीक ले चहुँप गइल बा आ एह प्रयोग में गॉड पार्टिकिल जइसन कुछ कण के झलक देखे के मिलल बा. अपना देश के चउबीस घंटा चले वाला खबरिया चैनलन पर भर दिन चलल. मिल गइले भगवान, वैज्ञानिक भगवान के खोज निकललें, भगवान कण मिल गइल वगैरह वगैरह अनेके मथैला देखे के मिलल अलग अलग चैनलन पर जहां हर केहू एह फिराक में रहल कि कइसे एह खबर के दोसरा से बेसी मसालेदार बनावल जा सके. एह खबर का बीच में ऊ खबर दब गइल जवना में कहल गइल बा कि एक जने के दस्तखत वाला कागज फर्जी ह. सब भगवान के कृपा. खुदा मेहरबान त गदहा पहलवान. बाकिर आजु हमहू भगवाने कण का बारे में बतियाएब काहे कि कुछेक बेर हमार चेक बैंक वाले एहले कैंसिल कर दिहलें कि हमार दस्तखत मिलत ना रहे उनुका रिकार्ड से. ऊ ई त मानलेसु कि हम सहीं हईं आ दस्तखतो हमरे ह बाकिर उनुका खातिर त ओह रिकार्ड से मिलावल जरुरी होला. खैर. लवटल जाव गॉड पार्टिकिल का तरफ. कहल गइल बा कि हममें तुममें खड़े खंभ में घट घट व्यापे राम! आ वैज्ञानिक ओही के खोज में लागल बाड़ें जे सबका में बा आ कतहूं नइखे. जेकरा बिना कवनो दोसरा चीज के अस्तित्व ना हो सके बाकिर खुद जेकर अस्तित्व सिद्धांत से आगा बढ़ के साबित ना कइल जा सके, देखल देखावल ना जा सके. कहे के त ओह कण के नाम दिहल गइल हिग्स बोसान कण बाकिर वैज्ञानिको लोग का बातचीत में ओकरा के गॉड पार्टिकिल कह कह के संबोधित कइल जाला. अब ऊ त रहल विज्ञान के बात हमरा जइसन बतबनवन का बस के बाहर. बाकिर अगर बतकुच्चना बतकु्च्चन कर के बात के कूच काच ना सके त ओकरा रहले ना रहले में का अंतर. से हम सोचे लगनी कि एह सब का बीच कवनो खबरिया चैनल एह बात के खबर काहे ना लिहलसि कि भगवान के भगवाने काहे कहल गइल कुछ अउर काहे ना? आ गाड़ी चलावे वाला के गाड़ीवान, दरवाजा सम्हारे वाला के दरवान, पहल करे के ताकत राखे वाला के पहलवान कहल जाला त भगवान कवना भग के मालिक भा चलावे वाला हउवें ? भग के कई गो मतलब होला बाकिर सबसे सटीक मतलब होला नारी जाति के जननांग जहाँ से सभे कुछ जनमेला. आ एही जनला का चलते भगवान के भगवान कहल गइल काहे कि ऊ सब कुछ के जनले. उनुका बिना दोसरा कवनो चीज के अस्तित्वे ना हो सके. भग सूरजो के कहल जाला. काहे कि अइसन मानल जाला कि सगरी उर्जा के जने वाला सूरज हउवें आ ओही उर्जा से सब कुछ जनमेला से सूरज के भग कहला में कवनो गलती ना होखी. अब भगवान आ भाग्यवान सुने में बहुत कुछ एके जइसन लगला का बावजूद अलग होलें. भाग्यवान भाग्य वाला के कहल जाला जेकरा के भगवान चुन ले लें सौभाग्य बाँटे खातिर. ओकर हर गलत सही मान लिहल जाला काहे कि ऊ भाग्यवान हऽ आ ओकरा के एगो भगवान आपन उम्मीदवार बना लिहले बाड़ें. लिहले बाड़ी शायद व्याकरण का हिसाब से गलत हो जाई, बा कि ना?

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(1)


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सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया


(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(5)

5 अगस्त 2023
रामरक्षा मिश्र विमत जी
सहयोग राशि - पाँच सौ एक रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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