बतकुच्चन – ९९

by | Feb 27, 2013 | 0 comments


लाजे भवहि बोलसु ना, सवादे भसुर छोड़सु ना. अब एह बाति पर भड़कला के कवनो जरूरत नइखे. ई कहाउत हमार बनावल ना ह आ जमाना से चलल आवत बा. इहो बाति नइखे कि हमरा फगुनाहट लाग गइल बा. काहे कि फागुन के आहट बतावे वाला बयार अब भेंटात नइखे प्रदूषण का मारे. अलग बाति बा कि बसंत पंचमी बीत गइल त फगुआ के माहौल बनबे करी आ बने लागल बा. बाकिर एहिजा एह बाति के संदर्भ दोसर बा.

जब केहू के भलनियति के दोसर केहू नाजायज फायदा उठावे लागे त ओह हाल में भोजपुरी के ई कहाउत बहुते सटीक बइठेला. आ एही संदर्भ में हम ई कहाउत दोहरवले रहनी ह. रोज रोज का जिनिगिओ में अइसन देखे के मिलेला कि रउरा केहू के फरमाइश पर ना ना कह पाईं आ ओकर फरमाइश जे बा से कि खतमे ना होखे. एगो फरमाइश पूरा भइल कि ना तबले दोसरका फरमाइश हाजिर बा. आ शायद एही चलते फरमाइश शब्द के जनम फरमान से भइल बा. काहे कि ई निहोरा ना होखे, निर्देश होखेला, आदेश होखेला. कहले गइल बा कि सिधवा के मुँह कूकूर चाटे. अगर रउरा ना कहे ना आवे भा ना कहे के अधिकार नइखे रउरा पाले त राउर होल पोसुआ कुकुर से बढ़िया नइखे होखे वाला. आजु का राजनीतिओ में अइसनका सिधुआ लोग के ओही तरह इस्तेमाल होखेला जइसन महाभारत में भीष्म के मार गिरावे खातिर शिखण्डी के इस्तेमाल भइल रहुवे. हालांकि महाभारत के शिखण्डीओ के मनसा उहे रहुवे कि भीष्म के मार गिरावल जाव. बाकिर आजु का राजनीति के शिखण्डीअन का लगे इहो सुविधा नइखे रहि गइल. ऊ त बस कवच बनि के रहि गइल बाड़ें. पीछे से ओठगन लगवले लोग आपन माल काटे बनावे में लागल बा आ सामने के आदमी बस कवच बनि के रहि गइल बा. ओकर त ई हाल बा कि जबरा मारबो करे आ रोवहू ना देव.

अइसहीं आजु के शुभचिन्तकनो के हाल हो गइल बा. उपर से त ऊ राउर शुभ करे के देखावा करीहें बाकिर भितरे भीतर कुछ अइसन करे में लागल रहीहें कि उनकर त शुभ हो जाई बाकिर रउरा बस चिन्तक बनि के रहि जाएब. सरकारी आफिसन में महात्मा जी के हाथ उठवले फोटुओ के इस्तेमाल कुछ लोग एहीला कर लेला कि देखत नइखऽ महात्मा जी का इशारा करत बाड़न? सोझा सोझी पाँच गो द ना त आदेश के लाठी के इन्तजार करऽ. देश समाज कार्यालय हर ठाँव पर लोग मौजूद बा जे रउरा मजबूरी के इस्तेमाल रउरा के दूहे खातिर करे ला बेचैन बाड़ें. सरकारो उनुका पर कवनो कार्रवाई करे का बदला गोदी में लईका भर गांव ढिंढोरा वाला अन्दाज में काम करे के देखावा कर लीं. देखते बानी जा कि उड़न खटोला के खरीद में भइल घपला के दोषी एहीजे तिहाड़ में पड़ल बा आ जाँच करे वाला अधिकारी एही बहाने इटली उटली के दौरा करे में लागल बाड़ें. उहो जानत बाड़ें कि होखे हवाखे के कुछ हइए नइखे काहे कि जे असल दोषी बा ओकरा तक पहुँचले ना जा सके. राजनीतिओ में माफियागिरी का तरह अमर्टा नीति के इस्तेमाल खूब होखत बा. आ जनता जे बिया कि ना, से सरकार के भवहि बनि के रहि गइल बिया. ऊ बेचारी कुछ बोल नइखे पावत आ मंत्री संत्री अपना सवादे ओकरा के छोड़े के तइयार नइखन. बस इहे जान ली. कि आजु उहे इमानदार रहि गइल बा जेकरा बेइमानी करे के मौका ना मिलल भा हिम्मत ना भइल.

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
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सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 10 गो भामाशाहन से कुल मिला के पाँच हजार छह सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)


18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया


(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(5)

5 अगस्त 2023
रामरक्षा मिश्र विमत जी
सहयोग राशि - पाँच सौ एक रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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