भोजपुरी के सौभाग्य आ दुर्भाग्य

by | Dec 3, 2013 | 0 comments

PaatiDec13coverभोजपुरी के सौभाग्य बा कि एम्मे एक से एक महात्मा संत, प्रतिभाशाली राजनीतिज्ञ, विद्वान, हुनरमन्द कलाकार, वैज्ञानिक आ समाज सेवियन क लमहर कतार बा. विशाल भू-भाग, नदी-पहाड़ आ कृषि संपदा बा. वाचिक संपदा का साथ सिरजल साहित्य बा बाकि भोजपुरी के दुर्भाग्य ई बा कि सबकुछ का बादो एकर अपने कहाये वाला लोग जाने अनजाने एकर कुआदर आ उपेक्षा कइले बा. अपना मातृभाषा का दिसाईं लोगन में ऊ चेतना नइखे, जवना से एकर भाषिक अस्मिता सम्मानजनक स्थान पावे. हमनी के कूप-मण्डूक स्थिति से निकलतो बानी जा त अपना भाषा के ‘बहता नीर’ बनवला आ ओह नीर का महत्व बढ़वला से हिचकिचात बानी जा.

भोजपुरी क कतने समूह, संस्था, सम्मेलन, अउर अकादमी, बनली स, बलुक कुछ कथित रूप से राष्ट्रीय आ अन्तर्राष्ट्रीयो कहाए लगली स; बाकि स्वारथ, गोलबन्दी आ निजी एक्सपोजर से ऊपर उठि के रचनात्मक विस्तार के सोगहग उदाहरन ना बन पवली स. एकरा साहित्यिक सांस्कृतिक आ कला क्षेत्र के स्वयंभू नेतृत्व के पुछहीं के नइखे, ऊ ‘अच्छा’ के ‘अच्छा‘ माने आ कहे के छोड़ीं, ओके उपेक्षित करे मे कवनो कोर-कसर नइखे छोड़त. ‘पाती‘ बत्तीस बरीस से साहित्यिक मंच का रूप में अपना भूमिका निर्वाह का साथ सामाजिक आ सांस्कृतिको पक्ष के लेके सचेत रहल बिया. एह अंक में एही अस्मिता-चिन्तन का बहाने, ‘‘बिहार भोजपुरी अकादमी‘‘ का मौजूदा क्रिया कलाप पर भोजपुरी जगत के हलचल शामिल कइल गइल बा.

एह अंक के ‘कथा- विशेषांक’ कहला का पाछा कारन अतने बा कि बिना कवनो पूर्व घोषणा आ बिना कवनो विशेष आयोजन के आठ गो कहानी आ पॉच छव गो लघुकथा प्रकाशन खातिर आ गइली स. हर रचना के आपन खासियत आ सवाद रहे. साँच कहल जाव त कहानी-खिस्सा कहे क सभकर अलग अलग अंदाज होला बाकिर एह अंदाज में जब नया कथ, संवेदना के नया कोन भा जिनिगी के कवनो पक्ष क नया बिम्ब, नया भाषाई बिनावट का साथ सुभाविक मुहावरा आ शब्द- विधान का साथ उभरेला त कहानी पढ़े, सुने, गुने वालन क सवादो बदल जाला. एह अंक में शामिल कथाकारन क कोसिस कि ‘कहानी‘, कहानी का साथ-साथ ब्यौहारिक सनेस (मेसेज) बनो. अंक में मँजल आ सिद्धहस्त रचनाकारन का साथ, कुछ नयो प्रयास वाला रचनाकार शामिल बाड़न. एह अंक में ‘‘हमार जनपद/ हमार गाँव’’ स्तम्भ में ‘सोनांचल’ पर आलेख का साथ भोजपुरी के आदि कवि कहाए वाला कबीर पर डा॰ गदाधर सिंह के सुचिन्तित आलेख पढ़े लायक बा.


(भोजपुरी दिशा बोध के पत्रिका “पाती” के दिसंबर १३ अंक से.)
पूरा पत्रिका डाउनलोड क के पढ़ीं.

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 10 गो भामाशाहन से कुल मिला के पाँच हजार छह सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)


18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया


(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(5)

5 अगस्त 2023
रामरक्षा मिश्र विमत जी
सहयोग राशि - पाँच सौ एक रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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