जनतब, अनचिन्हार आ परिचिताह (बतकुच्चन – 184)

by | Mar 30, 2015 | 0 comments

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जनतब, अनचिन्हार आ परिचिताह. तीनो के तीनो जान-पहचान से जुड़ल शब्द आ आजु के बतकुच्चन एकनिए पर. जनतब के जगहा हिन्दी में जंतव्य ना होखे आ हिन्दी के गंतव्य का जगहा भोजपुरी में गनतब ना भेंटाव. परिचित त हिन्दीओ में भेंटा जाई बाकिर परिचिताह भोजपुरिए में मिलेला, हिन्दी में नइखीं पढ़ले कबो. परिचिताह ना त परिचित होला ना अपरिचित. ऊ एह दुनू का बीच के होला त्रिशंकु जइसन. ना त स्वर्गे में जा सकल ना धरतिए पर लवट सकल, बीचे में लटक के रह गइल. परिचिताह आदमी लागेला परिचित जइसन बाकिर याद ना पड़े कि के ह भा कब कहाँ भेंटाइल रहे. चेहरवा देखल लागत बा बाकिर सही-सही याद नइखे पड़त. अब अइसन आदमी के अपरिचित त कहल ना जा सके आ परिचितो बतावे में जोखिम बा त एगो शब्द गढ़ा गइल परिचिताह. जे परिचित जइसन लागे, परिचय के आहट जइसन सुनाव मन-दिमाग में, जेकरा बारे में.

अब मान लीं कि रउरा कवनो परिचिताह भेंटाइल राह-पेड़ा में. रउरा चाहत नइखीं कि ओकरा के पहचानी, त महटियावे के कोशिश करब. तबले ऊ आदमी टोक दिहलस रउरा के, का हो अनचिन्हार हो गइल बाड़ऽ का आजु? कहे के मतलब कि आजु हमरा के चिन्हे से भागत बाड़ऽ. अनचिन्हल बिना चिन्हाइल आदमी भा सामान का बारे में कहल जा सकेला बाकिर अनचिन्हार ओह आदमी के कहल जाला जे चिन्हियो के ना चिन्हे के नाटक करत होखे. अनजान माने जेकरा बारे में कवनो जानकारी ना होखो, जेकरा के जानत ना होखीं ओकरा के अनजान कहल जाई. बाकिर कई बेर अइसनो होखेला कि जानकारी त पूरा होला बाकिर चिन्हत नइखीं त ऊ अनचिन्हल होला. जइसहीं ओकरा के चिन्ह लेब त पता चली कि रउरा ला ऊ अनजान ना ह, अनचिन्हल ह. जबकि ओकरा ला हो सकेला कि रउरा अनजाने होखीं. रउरा बारे में ओकरा लगे कवनो जानकारी ना होखो.

कई बेर होला कि रउरा बढ़िया से मालूम बा कवनो आदमी का बारे में बाकिर ओकरा के चिन्हत नइखीं. अब ऊ आदमी रउरा मिलियो जाई त रउरा ला ऊ अनचिन्हले रही, जबले केहू चिन्हवा ना देव. अनजान आदमी के चिन्हल ना जा सके. जानकारी का बाद आदमी ओकरा बारे में अपना मन-दिमाग में कवनो चिन्हासी बना लेला आ बाद में दिमाग में बनल ओही चिन्हासी का सहारे ओकरा के चिन्हत रहेला.

ई त भइल अनचिन्हल आ अनचिन्हार के चरचा. चलत चलत जनतबो के निपटावत चलीं. शादी-बिआह का चरचा में अकसर कह दिआला कि ओकर पूरा परिवार जनतब में बा. जनतब माने जेकरा बारे में जानकारी बा. अगर कवनो बात भा घटना रउरा जानकारी में बा त कहल जा सकेला कि रउरा जनतब में ई बात भा घटना बावे. आ जनतब का बारे में अउरी जाने के जरूरत ना होखे. जबले पूरा नइखीं जानत तबले जनतब में होईए ना सके. जवना भा जेकरा बारे में जानकारी होखे ऊ जनतब में होला. कुछ देर पहिले गंतव्य के चरचा कइले रहीं. संस्कृत आ हिन्दी में द्रष्टव्य आ ज्ञातव्य मिलेला. जवन देखला के जरूरत बा ऊ द्रष्टव्य आ जवना बारे में जाने के जरूरत बा तवन ज्ञातव्य. आ जनतब के कवनो दिसाईं ज्ञातव्य से नाता ना खोजल जा सके. काहे कि जनतब का बारे में जाने के जरूरत ना होखे ज्ञातव्य का बारे में होला.

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